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सुप्रीम कोर्ट का आदेश बना बाधा, मंदिर माफी की जमीनों पर बसी कॉलोनियों का नियमन अटका Monday 30 August 2021 10:53 AM UTC+00 ![]() उमेश शर्मा /जयपुर। प्रशासन शहरों के संग अभियान में मंदिर माफी की भूमि पर बसी कॉलोनियों के नियमन का मामला अटक गया है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश और इन जमीनों की अवाप्ति में भारी-भरकम राशि चुकाने के चलते फिलहाल इन कॉलोनियों का नियमन नहीं हो पाएगा। अलवर में इस मसले को लेकर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और यूडीएच अधिकारियों के बीच देर रात बाद तक मंथन चला, मगर कोई नतीजा नहीं निकल पाया। इन जमीनों की अवाप्ति को लेकर भी मंथन किया गया, लेकिन इसमें बाजार दर से पैसा चुकाने का नियमन होने की वजह से बात अटक गई। 7 हजार बीघा से ज्यादा भूमि पर अतिक्रमण राजस्थान में देवस्थान विभाग की 7 हजार बीघा जमीन पर कब्जा है या फिर इनका बेचान का कॉलोनियां काट दी गई है। इस भूमि का ना तो नियमन हो पा रहा है और ना ही सरकार इन्हें हटा नहीं पा रही है। पिछले 4 सालों में 5 पुजारियों की भू-माफियाओं के मंदिर की जमीन कब्जाने की कोशिश की चलते मौत भी हो चुकी है। सरकार का ये था प्लान सरकार का प्लान था कि मंदिर माफी की जमीनों पर बसी कॉलोनियों के नियमन से जो पैसा मिलेगा, उसका कुछ हिस्सा देवस्थान विभाग को देकर नियमन का फैसला किया जा सकता है। ये पट्टे मौके पर काबिज होने के वर्ष के आधार पर दिए जाने थे। देवस्थान विभाग के पास 857 से ज्यादा मंदिर प्रदेश के 27 जिलों में देवस्थान विभाग के रिकॉर्ड में 857 मंदिर हैं। इन मंदिरों के पास मंदिर माफी की कृषि भूमि करीब 25 हज़ार बीघा से ज्यादा है। इनमें कुल 624 आवासीय और 1267 व्यावसायिक संपत्ति के रूप में रिकॉर्ड है, लेकिन करीब 7 हज़ार से भी अधिक बीघा जमीन पर अतिक्रमण हो रखा है। पूर्वी राजस्थान में सबसे ज्यादा विवाद पूर्वी राजस्थान में मंदिर माफी की जमीनों का सबसे ज्यादा विवाद है। यहां करौली, हिंडौन, गंगापुरसिटी, भरतपुर जिलों में सबसे ज्यादा हाल खराब हैं। देवस्थान विभाग के सबसे ज्यादा 113 मंदिर करौली में हैं। वहीं, भरतपुर में 110, जयपुर में 107 और उदयपुर में 86 मंदिर हैं। सबसे ज्यादा आवासीय संपत्ति जोधपुर के मंदिरों के पास हैं, जिनकी संख्या 146 है। जबकि सर्वाधिक 237 व्यावसायिक संपत्ति उदयपुर के मंदिरों के पास हैं। मंदिर माफी की उदयपुर के मंदिरों के पास सर्वाधिक 8660 बीघा कृषि भूमि है। पीआरएन में एक दर्जन से ज्यादा कॉलोनियां पीआरएन में साेसायटियाें ने एक दर्जन से अधिक काॅलाेनियां मंदिर माफी की जमीन पर बसा दी हैं। यहां भी नियमन का पेच बरसों से अटका हुआ है। |
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