>>: भीलवाड़ा जिले के कानिया गांव में जल संकट, बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा

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भीलवाड़ा. जिले की हुरड़ा पंचायत समिति का कानिया गांव कई साल से पेयजल संकट से गुजर रहा है। स्थिति यह है पूरा गांव मात्र एक कुएं के भरोसे अपने कंठ तर करने पर विवश है। वैसे तो गांव में मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है, लेकिन पेयजल संकट के आगे ये सारी समस्याएं अब ग्रामीणों के लिए मायने नहीं रखती। गांव में जो हैंडपंप है उनका पानी बहुत ही खारा है।

 

पीना तो दूर नहाने और कपड़े धोने में भी हैंडपंप के पानी का उपयोग नहीं किया जा सकता। मात्र एक कुआं है वह भी सूख चुका है। इस कुएं के पैंदे में थोड़ा-थोड़ा पानी इकट्ठा होता है और उसे ही महिलाएं भरकर ले जाती हैं। कुछ मटकियां भरने के बाद जब कुएं में पानी खतम हो जाता है तो महिलाएं खाली मटकियां लेकर वापस घर चली जाती हैं, और कुएं में पानी इकट्ठा होने का इंतजार करती है। यह क्रम सुबह 4 बजे शुरू होता है जो दिनभर चलता है। जैसे-जैसे कुएं में थोड़ा-थोड़ा पानी इकट्ठा होता है, महिलाएं पानी निकालती है। कुछ लोग टेंकर मंगवाकर प्यास बुझाने को विवश हैं।

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- अब तो रिश्ते करने में भी हो रही परेशानी...

गांव में सालों से पेयजल संकट के चलते अब गांव के युवकों के रिश्ते तय करने में भी परेशानी होने लगी है। ग्रामीणों ने बताया कि पानी की समस्या के कारण कानिया गांव का नाम सुनते ही रिश्तेदार बेटी नहीं देते, ऐसे में कई युवाओं की शादियां नहीं हो रही है। गांव के बड़े बुजुर्ग महिलाओं के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं कि ध्न्य है इस गांव की महिलाएं जो ऐसी विकट परिस्थतियों में भी परिवार के लिए बूंद-बूंद पानी इकट्ठा कर प्यास बुझाती हैं।

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- राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो समाधान इतना मुश्किल भी नहीं...

हुरड़ा पंचायत समिति के कानिया गांव को करीब 20-25 साल पहले बीसलपुर योजना से जोड़ा गया था। लेकिन यह केवल कागजों में ही जोड़ा गया। ग्रामीणों को आज तक बीसलपुर बांध से एक बूंद पानी की नसीब नहीं हुई। गांव में पेयजल संकट का एक मात्र समाधान ये है कि बीसलपुर योजना से गांव का नाम हटाकर चंबल परियोजना में जोड़ा जाए। आसपास के गांव चंबल परियोजना से जुड़े हैं। गांव से मात्र तीन किलोमीटर दूर हाईवे पर चंबल परियोजना की टंकी है। यदि हाईवे से कानिया गांव तक तीन किलोमीटर पेयजल लाइन डालकर कानिया गांव को जोड़ दिया जाए तो इस गांव की बरसों पुरानी पेयजल समस्या का समाधान हो सकता है। यह केवल राजनीतिक इच्छाशक्ति पर ही निर्भर है। क्योंकि आज तक इस गांव में लोगों को पानी नहीं मिल पाया है तो वह केवल राजनीति के कारण ही नहीं मिल पाया है। क्यों कि गांव भीलवाड़ा जिले की हुरड़ा पंचायत समिति में लेकिन गांव अजमेर जिले की मसूदा विधानसभा में आता है, वहीं लोकसभा भी अजमेर है।

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गांव राजनीति का शिकार हो गया है। सालों से पेयजल समस्या का सामना करा रहे हैं। गांव छोड़कर तो जा नहीं सकते। गांव को चंबल परियोजना से जोड़ दिया जाए तो गांव का भला हो जाऐगा।
- शांतिलाल सोनी

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बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। इस गांव की महिलांए धन्य है जो, ऐसी विकट परिस्थितियों में भी परिवार के लोगों की प्यास बुझा रही हैं।
- जब्बार मोहम्मद

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कानिया गांव की समस्या को मैने विधानसभा में उठाया है। मैरा प्रयास है कि बीसलपुर पेयजल परियोजना से गांव का नाम हटाकर चंबल से जोड़ा जाए। ग्रामीण भी यही चाहते हैं। विभाग के अधिकारियों को भी समस्या से अवगत कराया है।
- राकेश पारीक, विधायक मसूदा, अजमेर

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