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बारिश ने गला दिए कालमेघ और अश्वगंधा
अब प्रथम चरण में तुलसी व नीम गिलोय का ही हो रहा वितरण
बूंदी. राज्य सरकार की घर-घर औषधि योजना के तहत पौधे वितरण का कार्य तो बूंदी में शुरू कर दिया गया, लेकिन लाभांवित लोगों को चार पौधों की जगह दो प्रकार के पौधे ही दिए जा रहे हैं। कारण यह है कि बूंदी की गायत्री नगर नर्सरी में तैयार किए गए चार प्रकार के पौधों में से दो प्रकार के पौधे कालमेघ और अश्वगंधा तैयार ही नहीं हो सके हैं। ऐसे में विभाग को योजना की खानापूर्ति करने के लिए तुलसी और नीम गिलोय वितरण करना पड़ रहा है। मंगलवार को बूंदी की करीब 10 पंचायतों में पौधे वितरण किए गए। जहां तुलसी और नीम गिलोय का ही वितरण हो सका।
बारिश में गल गए पौधे
जानकार सूत्रों के अनुसार नर्सरी में करीब 2 लाख पौधे तैयार करने का लक्ष्य था। इसमें तुलसी, नीमगिलोय, अश्वगंधा और कालमेघ के करीब 56-56 हजार पौधे तैयार करने थे। तुलसी और नीम गिलोय के पौधे तो योजना के निर्देश आने के साथ ही लगा दिए गए, जिससे उनका आकार बड़ा हो गया, लेकिन कालमेघ और अश्वगंधा के पौधे बाद में लगाए गए। जिससे यह बड़े नहीं हो सके। वहीं बारिश आने के बाद बेडों में पानी भर जाने से छोटे-छोटे पौधे गल गए। अब विभाग के पास मात्र दो प्रकार के पौधे ही बचे हैं, जिनका वितरण कर काम चलाया जा रहा है। हालांकि अश्वगंधा और कालमेघ को भी दुबारा तैयार किया जा रहा है, लेकिन वह प्रथम चरण में वितरित नहीं हो सकेंगे।
यह था लक्ष्य
जिले में चारों प्रकार के पौधों की संख्या 9 लाख 65 हजार 892 थी। इसमें से बूंदी जिले में 2 लाख का लक्ष्य दिया गया था। इसमें तुलसी, नीम गिलोय, अश्वगंधा और कालमेघ के 56-56 हजार के करीब पौधे तैयार करने थे। कुल लाभांवित परिवारों की संख्या 2 लाख 19 हजार 521 थी।
10 पंचायतों में बांटे 14 हजार
मंगलवार को बूंदी में करीब 10 पंचायतों में 14 हजार के करीब तुलसी और नीम गिलोय के पौधों का वितरण किया गया है। इन पौधों को हट्टीपुरा, अजेता, नीम का खेड़ा, खटकड़, रामनगर, उलेड़ा, गुढ़ानाथावतान, कालपुरिया और नगर परिषद के कुछ क्षेत्रों में बांटा गया है।
बारिश के कारण कालमेघ और अश्वगंधा के पौधे गल गए हैं। इन्हें वापस लगा दिया है। तैयार होने के बाद दूसरे चरण में इन्हें बांटा जाएगा।
लोकेश मीणा, गायत्री नगर नर्सरी प्रभारी

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