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Chambal River : दक्षिण-पूर्वी राजस्थान की वरदान चम्बल तबाही के लिए मजबूर Tuesday 10 August 2021 03:35 PM UTC+00 ![]() के. आर. मुण्डियार कोटा. मध्यप्रदेश के जानापाव पहाडिय़ों से निकलकर बारह मास बह रही सदानीरा चम्बल दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान के लिए वरदान है। मां चर्मण्यवती की बदौलत ही न केवल हाड़ौती बल्कि पूरा राजस्थान क्षेत्र हरित, श्वेत व बिजली क्रांति की अग्रिम पंक्ति में खड़ा है। यह बात अलग है कि वरदान के साथ चम्बल व उसकी सहायक नदियां कई बार तबाही भी मचा देती हैं। नदियां जब परवान चढ़ती हैं, तब तटों से सटे कस्बे व शहर चपेट में आकर भारी तबाही भी झेलते हैं। चम्बल ने कोटा से लेकर धौलपुर तक कई बार तबाही मचाई। इस मानसून में भी चम्बल व उसकी सहायक नदियों की बाढ़ ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। चूंकि खुशहाली व समृद्धि भी चम्बल से ही आ रही है, इसलिए दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान के 6 जिलों के लोग इन नदियों के वरदान के साथ अभिशाप भी झेलते रहते हैं।
- कोटा से लेकर धौलपुर तक नदी के पेटे व किनारों से मिट्टी व बजरी का अवैध खनन किए जाने से तटों को भारी नुकसान हो रहा है। नदी के प्राकृतिक स्वरूप से छेड़छाड़ होने से खतरा बढ़ता है। - धौलपुर जिले के 100 किलोमीटर के एरिया में 28 जगहों पर बजरी का अवैध खनन बड़े स्तर पर हो रहा है। वरदान : हाड़ौती में हरित क्रांति - 6.50 लाख हैक्टयर में सोयाबीन - 2 लाख हैक्टयर में धनिया - 4300 करोड़ रुपए का गेहूं उत्पादित
- 294 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन प्रतिदिन कोटा सुपर थर्मल पावर से
कोटा संभाग में तबाही - 4 लाख हैक्टयर में फसलें चौपट - 9200 मकान ढहे - 400 करोड़ का कारोबार चौपट - 20 लाख का नुकसान कोटा शहर में बिजली कम्पनी को हुआ ( विभागों की जानकारी के अनुसार प्रारम्भिक आंकड़ा, सर्वे के बाद बढ़ सकता है )
- 5000 हैक्टेयर भूमि प्रभावित - 133 किलोमीटर सड़कें क्षतिग्रस्त चम्बल पर बने हैं चार बांध राणाप्रताप सागर (रावतभाटा-चित्तौडगढ़़)- भराव क्षमता-1157.50 फीट कोटा बैराज (कोटा)- भराव क्षमता- 852 फीट
सदानीरा चम्बल मध्यभारत की प्रसिद्ध यमुना की सहायक नदी है। उद्गम मध्यप्रदेश की जानापाव की पहाडिय़ों से है। कुल लम्बाई लगभग 943 किलोमीटर है। राजस्थान में 374 किलोमीटर बहते हुए मध्यप्रदेश के साथ सीमा बनाती है। आगे उत्तरप्रदेश के इटावा के पास यमुना में मिलती है। चम्बल राजस्थान में 6 जिले (चित्तौडगढ़़, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर) से होकर गुजरती है। चम्बल की प्रमुख सहायक नदियां क्षिप्रा, बनास, कालीसिंध, पार्वती, अलनिया, आहू, परवन, बामली, कुनाल, मेज, छोटी कालीसिंध है।
इन्दौर के उज्जैनी मुंडला गांव के पास से निकलती है। मध्यप्रदेश में 196 किलोमीटर बहने के बाद चम्बल में मिल जाती है। मध्यप्रदेश के देवास जिले में विध्यांचल पहाडिय़ों से निकलती है। कालीसिंध मध्यप्रदेश से होती हुई झालावाड़, पलायथा होती हुई इटावा के पास नवनेरा में चम्बल में मिल जाती है। मध्यप्रदेश में बहती हुई झालावाड़ के गागरोन के पास कालीसिंध में मिलती है। पार्वती मध्यप्रदेश के भोपाल से होती हुई राजस्थान के कालीघाट होती हुई खातौली के आगे सवाईमाधोपुर के पाली घाट के पास चम्बल में मिल रही है। मध्यप्रदेश के विध्यांचल पर्वत शृंखला से निकलती है। झालावाड़ में मनोहरथाना होते हुए बारां के पलायथा के पास कालीसिंध में मिल जाती है। उजाड़ नदी भीमसागर बांध से होती हुई पलायथा विनोदखुर्द, कुन्दनपुर होती हुई कालीसिंध व परवन में मिल रही है। राजसमंद जिले के खमनौर की पहाडिय़ों से निकलती है। नाथद्वारा, राजसमंद, भीलवाड़ा, टौंक, सवाईमाधोपुर जिले के रामेश्वरम के निकट चम्बल में मिलती है। भीलवाड़ा के मांडलगढ़ से शुरू होती है, जो बूंदी जिले से होकर कोटा जिले के ककावता के पास चम्बल में मिल जाती है। मध्यप्रदेश के गुना जिले के पटई गांव से निकलती है। मध्यप्रदेश में 180 किलोमीटर बहने के बाद मुरैना के पठार के आगे पांचों के पास चम्बल में मिल जाती है।
हर साल चम्बल का अथाह जल व्यर्थ बहकर यमुना के जरिए बंगाल की खाड़ी में चला जाता है। चम्बल की इस अथाह जलराशि को राजस्थान में सहेजने की जरूरत है। देश में नदियों को जोडऩे की परियोजना पर काम पूरा होगा, तब चम्बल आधे राजस्थान की प्यास बुझा रही होगी। |
यह कैसी नि:शुल्क शिक्षा : बच्चों से वसूल रहे 3000 रुपए तक शुल्क Tuesday 10 August 2021 04:12 PM UTC+00 ![]() के. आर. मुण्डियार कोरोना काल में निजी विद्यालयों की ओर से फीस लेने के विवाद के बाद अब सरकार के महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यमिक विद्यालयों में बच्चों से मनमर्जी से शुल्क वसूली शुरू हो गई है।
READ MORE NEWS- पीएम की पाती : पिता के संस्कारों की राह चली कोटा की मेजर बेटी, PM Modi ने की तारीफ CBSE New Exam Pattern : सीबीएसई बोर्ड ने जारी किया Exam का नया पेपर पैटर्न India's Dream Train : ट्रेक पर उतरी भारत के सपनों की ट्रेन, सफर हुआ शानदार |
कोटा मंडी भाव 10 अगस्त : सोयाबीन व सरसों में मंदी रही Tuesday 10 August 2021 04:40 PM UTC+00 ![]() कोटा. भामाशाह मंडी में मंगलवार को विभिन्न कृषि जिंसों की 25 हजार बोरी आवक हुई। सोयाबीन 1000, सरसों 250 रुपए प्रति क्विंटल भाव मंदे रहे। लहसुन की आवक करीब 5,000 कट्टे की रही। लहसुन 1800 से 8000 रुपए प्रति क्विंटल बिका। किराना बाजार में खाद्य तेलों में मंदी रही। भाव : गेहूं मील 1650 से 1761, गेहूं टुकड़ी एवरेज 1760 से 1851, गेहूं बेस्ट टुकड़ी 1851 से 1951, सोयाबीन 6500 से 8400, सरसों 6550 से 6750, धान सुंगधा 1800 से 2200, धान (1509) 1800 से 2300, धान पूसा वन 2300 से 2530, धान (1121) 2100 से 2601, मक्का 1600 से 1840, अलसी 6800 से 7300, तिल्ली 6500 से 7850, ग्वार 3000 से 4000, मैथी 5500 से 6500, कलौंजी 16000 से 19100, जौ 1500 से 1800, ज्वार 1300 से 3000, मसूर 5000 से 5400, मूंग हरा 5500 से 6250, चना 4400 से 4601, चना गुलाबी 4200 से 4500, चना मौसमी 4200 से 4500, चना कांटा 4200 से 4400, उड़द 3000 से 6550, धनिया पुराना 4500 से 6000, धनिया नया बादामी 6000 से 6500, धनिया ईगल 6400 से 6800, धनिया रंगदार नया 6500 से 7500 रुपए प्रति क्विंटल रहे। चावल व दाल: बासमती चावल 5600-7200, पौना 4500-5200, डबल टुकड़ी 3800-4300, टुकड़ी 2400-3000, गोल्डन बासमती साबुत 5200-7000, पौना 3000-3800, डबल टुकड़ी 2500- 3000, कणी 2000-2500, तुअर 8500-9800, मूंग 7000-7400, मूंग मोगर 7500-8500, उड़द 7500-8300, उड़द मोगर 7500-9500, मसूर मलका 7400-8000, चना दाल 6000-6200, पोहा 2700-3700 रुपए प्रति क्विंटल। |
कोटा संभाग में 3.66 लाख हैक्टेयर में फसल खराबा Tuesday 10 August 2021 05:03 PM UTC+00 ![]() कोटा. कोटा में अतिवृष्टि से फसल खराबे का जायजा लेने मंगलवार को आयुक्त कृषि डॉ. ओमप्रकाश कोटा पहुंचे। उन्होंने कृषि अधिकारियों व कृषि पर्यवेक्षकों के साथ बूंदी जिले में अतिवृष्टि से फसल खराबे का जायजा लिया। दौरे के बाद आयुक्त कृषि की अध्यक्षता में संभागीय आयुक्त, चारों जिलों के कलक्टर एवं कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में आयुक्त कृषि ने सभी को समय पर कृषकों का आवेदन करवाने, उनके खेतों का निर्धारित कमेटी द्वारा सर्वे करवाने एवं खराबे का मुआवजा प्रक्रिया का ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार कर अधिक से अधिक खराबे वाले कृषकों को राहत देने के निर्देश दिए। Read More: कोटा मंडी भाव 10 अगस्त : सोयाबीन व सरसों में मंदी रही इन गांवों का किया दौरा कोटा सम्भाग में 3.66 लाख हैक्टेयर फसल खराबा फसल खराबे की यहां दें जानकारी |
Big Issue : दशकों पहले घोंट दिया नदी-नालों व तालाबों का गला, अब गले तक आ रही बाढ़ Tuesday 10 August 2021 05:46 PM UTC+00 ![]() के. आर. मुण्डियार -जलभराव व बहाव रास्तों पर बसा दी कॉलोनियां, अब पुराने रास्ते तलाश आबादी में घुस रहीं नदियां -बड़ा सवाल : आखिर डूब क्षेत्र, नदी के तटों व तालाबों में क्यों बसा दी बस्तियां, कौन है जिम्मेदार
जरा सी बारिश हो तो हालात बिगड़ जाएं। बारिश जरा ज्यादा हो तो बाढ़ आ जाए। राजस्थान के लोग पिछले कुछ दशक से इसी विडम्बना से जूझ रहे हैं। कारण एक ही है, नदियों-नालों और तालाबों पर अतिक्रमण। जलस्रोतों पर अतिक्रमण लगातार बढ़ते रहे लेकिन सरकारें उन्हें हटाने के बजाय बचाती रहीं। ऐसे में स्थिति यह हो गई है कि मानसून के दौरान जरा सी बारिश भी लोगों को ज्यादा लगने लगती है। राजस्थान पत्रिका ने राज्यभर में जलस्रोतों के सन्दर्भ में पड़ताल की तो कदम-कदम पर हालात चिन्ताजनक नजर आए।
![]() इसलिए नदियां उफनी, बरसात बनी बाढ़ -नदियों के तटों पर अवैध बस्तियां बस गई, पानी का फैलाव सिकुड़ गया। -कॉलोनियों व मुख्य मार्गों की सड़कें सीमेंट-कंक्रीट की बन रही हैं। साइड में मिट्टी की खाली जगह ही नहीं बच रही। इसलिए बरसाती पानी का जमीन में पुनर्भरण नहीं हो रहा। प्रदेश में नदी-नाले व तालाबों का ऐसे घोंटा गला- -बांध व तालाबों के रास्तों पर भूमाफियाओं ने बसा दी अनगिनत कॉलोनियां, जिम्मेदारों ने रोका तक नहीं। -कुम्हारों की नदी में नाहरगढ़ की पहाड़ी से पानी आता था, लेकिन कब्जे हो गए। बहाव क्षेत्र का रुख बदल दिया। घाटगेट स्थित खानिया के बांध पर भी कॉलोनी कट गई। -आकेड़ा बांध पर भी कब्जे कर लिए गए। अतिक्रमियों ने कचराल नदी का अस्तित्व ही खत्म कर दिया। -सबसे ज्यादा तलाई पृथ्वीराज नगर में थीं। दो दशक में अधिकतर तलाई खत्म हो गईं। यहां बहाव क्षेत्र में 300 से अधिक कॉलोनियां बस गई। अजमेर रोड सेज में भी विकास के नाम पर तलाई पर कब्जे कर लिए। कोटा: -चम्बल किनारे पर खंड गांवड़ी के बड़े भू-भाग पर आबादी बसी हुई हैं। चम्बल नदी का प्रवाह बढऩे पर यह बस्ती जलमग्न हो जाती है। बूंदी : -जैतसागर झील से निकल रहे नाले पर पक्के निर्माण कर लिए। रेकॉर्ड में 72 फीट नाला अब नाली बनकर रह गया। बरसात में बहादुर सिंह सर्किल से पुलिस लाइन रोड-देवपुरा तक जाने वाली सड़क नदी बन जाती है।
-प्राचीन बाइजी का तालाब में मलबा डाला जा रहा है। तालाब की नहरें तबाह कर दी गई। अब पानी सड़कों पर बहकर कहर बरपाता है। -नागौरी गेट शिप हाउस के पास नया तालाब को मलबे से पाटा जा रहा है। -उम्मेदसागर तालाब के रास्ते में बस्तियां बस गई। नहरों को अतिक्रमण खा गया। बरसात का पानी चौपासनी हाउसिंग बोर्ड में परेशानी बढ़ाता है। अजमेर: -प्राचीन पाल बिछला तालाब में बस्तियां खड़ी हो गई। अब तालाब केवल नाम का ही रह गया। -धोलाभाटा, गुर्जर धरती, जादूगर बस्ती, नगरा आदि कॉलोनियां बहाव क्षेत्र में होने से हर साल जलमग्न हो जाती है। उदयपुर : -गोवर्धन सागर तालाब से थोड़े दूर बसी कॉलोनियां में भी पानी भरता है। -रूपसागर, फूटा तालाब आदि क्षेत्र के पेटे व सीमा में कई अवैध निर्माण हो गए हैं। बीकानेर : -गिन्नाणी क्षेत्र में सबसे ज्यादा जलभराव होता है। सूरसागर तालाब की पाल ऊंची कर देने से हालात बिगड़ रहे हैं। कई बार तालाब व जूनागढ़ किले के बाहर बनी खाई की दीवार तोड़कर पानी की निकासी करनी पड़ती है। ![]() नेताओं ने लुटवा दिया तालाब- राजनैतिक दबाव व विरोध के कारण अफसर तालाब-नालों पर बसी अवैध बस्तियों को हटाने की कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा पाते। कुछ साल पहले कोटा में अनन्तपुरा तालाब पर बसी बस्ती को हटाने की कार्रवाई का सख्त कदम उठाने वाले नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त एवं आईएएस डॉ. समित शर्मा को नेताओं का भारी विरोध झेलना पड़ा था। तब शर्मा को मौके पर ही एपीओ कर दिया गया। इसी तरह कुछ साल पहले कोटा में चम्बल किनारे खंड गांवड़ी बस्ती में कार्रवाई करने गए यूआईटी के दस्ते पर पथराव से हमला कर दिया गया था। अफसरों व कर्मचारियों को भागकर जान बचानी पड़ी। |
कोटा का केन्द्रीय कारागृह : भविष्य संवारने की राह में कैदियों की परीक्षा Tuesday 10 August 2021 05:49 PM UTC+00 ![]() कोटा. अपने नवाचारों एवं बंदी सुधारों की दिशा में किए कार्यों के लिए केन्द्रीय कारागृह कोटा जाना जाता है। इस बार भी कोटा कारागृह में बरसाती पानी टपकने व भरने के बावजूद केदियों ने इग्नू की परीक्षा की तैयारी जारी रखी। यहीं नहीं लगातार तीन दिन तक तीन घंटे प्रतिदिन हुई परीक्षा में 147 बंदियों ने भविष्य संवारने के लिए प्रश्न पत्र हल किए। कारागृह अधीक्षक सुमन मालीवाल ने बताया कि अगस्त व सितम्बर में आयोजित होने वाली सत्रांत परीक्षा जून 2021 के लिए कारागृह के 118 बंदियों ने इग्नू के कोर्स सॢटफिकेट इन फूड एंड न्यूट्रिशियन में प्रवेश लिया था। बंदियों के इस विषय की 10 अगस्त को अंतिम परीक्षा थी, लेकिन उनके लिए यह परीक्षा देना मुश्किल था। बारिश के कारण कोटा जेल भी अधिकतर बैरिकों में छत से पानी टपकने लग गया। कुछ बैरिको में तो पानी भर गया। ऐसी परिस्थितियों में भी कारागृह प्रशासन ने बंदियों की पढ़ाई को प्रभावित नहीं होने दिया। बंदियों को अन्य बैरिकों में शिफ्ट कर उनकी परीक्षा की तैयारी करवाई। नतीजतन परीक्षाओं के दौरान बंदियों के चेहरे पर आत्मविश्वास की झलक नजर आई। 3 दिन लगातार तीन घंटे हुई परीक्षा में कुल 147 बंदियों ने प्रश्न पत्र हल किए। 1027 बंदी संवार चुके भविष्य सत्र जुलाई-2018 में केन्द्रीय कारागृह कोटा के इंदिरा गांधी खुला मुक्त विश्वविद्यालय विशेष अध्ययन केन्द्र को पुनर्जीवन मिला था। इसके बाद बंदियों की उच्च शिक्षा की राह खुली, जिसके कारण कारागृह में उच्च शिक्षा से बंदियों का जुडऩे का क्रम शुरू हो गया। यह सिलसिला अब तक अनवरत जारी है। सत्र जुलाई 2018 से जनवरी 2021 तक कुल 1027 बंदी इग्नू के विभिन्न डिग्री, डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट कार्यक्रमों में प्रवेश लेकर अपना भविष्य संवार चुके हैं। कारागृह अधीक्षक सुमन मालीवाल ने बताया कि समय-समय पर बंदियों की कक्षाएं ली जाती हैं। वहीं कारागृह के सजायाफ्ता बंदी संदीप तथा सुधीर द्वारा भी बंदियों को इग्नू संबंधी कोर्स करवाया जाता है। |
कोटा में सिरफिरे चोर, सरकारी स्कूल में इस तरह दिखाई हाथ की सफाई Tuesday 10 August 2021 06:07 PM UTC+00 ![]() कोटा. सुभाष नगर स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में चोर सीढिय़ों की रेलिंग ही उखाड़ ले गए। स्कूल के भवन की सीढिय़ों पर रेलिंग शनिवार तक तो लगी हुई थी। इसके बाद दो दिन का अवकाश रहा। इस बीच चोर रेलिंग उखाड़ ले गए। यह भी पढ़ें : कोटा का केन्द्रीय कारागृह : भविष्य संवारने की राह में कैदियों की परीक्षा संस्था प्रधान डॉ. सुशीला पूनिया ने बताया मंगलवार सुबह प्रात 7 बजे स्कूल खोला तब चोरी का पता चला। चोर सीढिय़ों से पूरी रेलिंग को ही उखाड़ ले गए। वहां शराब की बोतलें, चप्प्ल व इंजेक्शन आदि पड़े मिले। कि विद्यालय में चौकीदार नहीं है। पूर्व में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की रात में ड्यूटी लगा रखी थी। लेकिन उक्त कर्मचारी जिला निर्वाचन कार्यालय कलेक्ट्रेट में प्रतिनियुक्ति होने के कारण वहां जाता है। रेलिंग कोटा राउंड टेबल 281 द्वारा गत सत्र में लगवाई गई थी। इस सम्बंध में संस्था प्रधान ने अनन्तपुरा थाने में रिपोर्ट दी है। |
Flood In Kota : बाढ़ पीडि़तों के आंसू पौंछने में सरकार लेटलतीफ, भाजपा फ्रंट फुट पर Tuesday 10 August 2021 07:32 PM UTC+00 ![]() कोटा. ![]() ![]() प्रभारी मंत्री कटारिया आए, लेकिन खानापूर्ति कर गए
![]() बाढ़ व अतिवृष्टि से प्रभावित कोटा संभाग 27 जुलाई से कोटा ग्रामीण क्षेत्र की नदियां उफान पर आ गई। 2 अगस्त से कोटा बैराज के खोले गए। कोटा सिटी में 3 अगस्त को कई बस्तियां पानी से घिर गई थीं। बाढ़ के कारण कोटा में 6 लोगों की जान चली गई। कोटा की कई बस्तियों में पांच दिन से बरसाती पानी भरा है। झालावाड़- बारां- -27 जुलाई से बाढ़ के हालात बनने लगे। 31 जुलाई को हालात ज्यादा बिगड़ गए। शाहबाद उपखण्ड के 100 से अधिक गांव टापू बन गए थे। बाढ़ से 10 लोगों जान चली गई। बूंदी- ![]() ![]() ![]() |
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