>>: Digest for August 11, 2021

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Table of Contents

के. आर. मुण्डियार

कोटा.

मध्यप्रदेश के जानापाव पहाडिय़ों से निकलकर बारह मास बह रही सदानीरा चम्बल दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान के लिए वरदान है। मां चर्मण्यवती की बदौलत ही न केवल हाड़ौती बल्कि पूरा राजस्थान क्षेत्र हरित, श्वेत व बिजली क्रांति की अग्रिम पंक्ति में खड़ा है। यह बात अलग है कि वरदान के साथ चम्बल व उसकी सहायक नदियां कई बार तबाही भी मचा देती हैं। नदियां जब परवान चढ़ती हैं, तब तटों से सटे कस्बे व शहर चपेट में आकर भारी तबाही भी झेलते हैं। चम्बल ने कोटा से लेकर धौलपुर तक कई बार तबाही मचाई। इस मानसून में भी चम्बल व उसकी सहायक नदियों की बाढ़ ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। चूंकि खुशहाली व समृद्धि भी चम्बल से ही आ रही है, इसलिए दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान के 6 जिलों के लोग इन नदियों के वरदान के साथ अभिशाप भी झेलते रहते हैं।


क्यों रास्ता बदल रही चम्बल, रौद्र रूप का कारण

- कोटा से लेकर धौलपुर तक नदी के पेटे व किनारों से मिट्टी व बजरी का अवैध खनन किए जाने से तटों को भारी नुकसान हो रहा है। नदी के प्राकृतिक स्वरूप से छेड़छाड़ होने से खतरा बढ़ता है।
- कोटा के आस-पास नदी के किनारों पर अवैध बस्तियां बस जाने से बहाव एरिया कम हो रहा है।

- धौलपुर जिले के 100 किलोमीटर के एरिया में 28 जगहों पर बजरी का अवैध खनन बड़े स्तर पर हो रहा है।
- अवैध खनन से चम्बल घडिय़ाल सेन्चुरी के घडिय़ालों का प्रजनन प्रभावित हो जाता है।

वरदान : हाड़ौती में हरित क्रांति
- 11 लाख हैक्टयर में फसलों की कुल बुआई

- 6.50 लाख हैक्टयर में सोयाबीन
- 1.10 लाख हैक्टयर में धान (चावल)

- 2 लाख हैक्टयर में धनिया
- 2000 हैक्टयर में संतरा

- 4300 करोड़ रुपए का गेहूं उत्पादित


- 24 लाख यूनिट का बिजली उत्पादन प्रतिदिन जवाहर सागर बांध केे पन बिजलीघर से

- 294 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन प्रतिदिन कोटा सुपर थर्मल पावर से


इस मानसून ऐसे आई तबाही

कोटा संभाग में तबाही
- 30 की जनहानि (बूंदी-11, कोटा-6, बारां-10 व झालावाड़ में 3 जनों की मौत)

- 4 लाख हैक्टयर में फसलें चौपट
- 2400 पशुधन बहे

- 9200 मकान ढहे
- 5000 दुकानों को नुकसान

- 400 करोड़ का कारोबार चौपट
- 4400 किलोमीटर सड़कें हुई क्षतिग्रस्त

- 20 लाख का नुकसान कोटा शहर में बिजली कम्पनी को हुआ
- 100 लाख का नुकसान विद्युत निगम को हुआ कोटा ग्रामीण क्षेत्र में

( विभागों की जानकारी के अनुसार प्रारम्भिक आंकड़ा, सर्वे के बाद बढ़ सकता है )


धौलपुर में चम्बल का कहर

- 5000 हैक्टेयर भूमि प्रभावित
- 189 बिजली के ट्रांसफार्मर हुए खराब

- 133 किलोमीटर सड़कें क्षतिग्रस्त
- 2500 मकानों को नुकसान

चम्बल पर बने हैं चार बांध
गांधी सागर (मंदसौर-मध्यप्रदेश)- भराव क्षमता- 1312 फीट

राणाप्रताप सागर (रावतभाटा-चित्तौडगढ़़)- भराव क्षमता-1157.50 फीट
जवाहर सागर (बूंदी-कोटा)- भराव क्षमता-980 फीट

कोटा बैराज (कोटा)- भराव क्षमता- 852 फीट


चम्बल व उसकी सहायक नदियां

सदानीरा चम्बल मध्यभारत की प्रसिद्ध यमुना की सहायक नदी है। उद्गम मध्यप्रदेश की जानापाव की पहाडिय़ों से है। कुल लम्बाई लगभग 943 किलोमीटर है। राजस्थान में 374 किलोमीटर बहते हुए मध्यप्रदेश के साथ सीमा बनाती है। आगे उत्तरप्रदेश के इटावा के पास यमुना में मिलती है। चम्बल राजस्थान में 6 जिले (चित्तौडगढ़़, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर) से होकर गुजरती है। चम्बल की प्रमुख सहायक नदियां क्षिप्रा, बनास, कालीसिंध, पार्वती, अलनिया, आहू, परवन, बामली, कुनाल, मेज, छोटी कालीसिंध है।


क्षिप्रा

इन्दौर के उज्जैनी मुंडला गांव के पास से निकलती है। मध्यप्रदेश में 196 किलोमीटर बहने के बाद चम्बल में मिल जाती है।
कालीसिंध

मध्यप्रदेश के देवास जिले में विध्यांचल पहाडिय़ों से निकलती है। कालीसिंध मध्यप्रदेश से होती हुई झालावाड़, पलायथा होती हुई इटावा के पास नवनेरा में चम्बल में मिल जाती है।
आहू

मध्यप्रदेश में बहती हुई झालावाड़ के गागरोन के पास कालीसिंध में मिलती है।
पार्वती

पार्वती मध्यप्रदेश के भोपाल से होती हुई राजस्थान के कालीघाट होती हुई खातौली के आगे सवाईमाधोपुर के पाली घाट के पास चम्बल में मिल रही है।
परवन

मध्यप्रदेश के विध्यांचल पर्वत शृंखला से निकलती है। झालावाड़ में मनोहरथाना होते हुए बारां के पलायथा के पास कालीसिंध में मिल जाती है।
उजाड़

उजाड़ नदी भीमसागर बांध से होती हुई पलायथा विनोदखुर्द, कुन्दनपुर होती हुई कालीसिंध व परवन में मिल रही है।
बनास

राजसमंद जिले के खमनौर की पहाडिय़ों से निकलती है। नाथद्वारा, राजसमंद, भीलवाड़ा, टौंक, सवाईमाधोपुर जिले के रामेश्वरम के निकट चम्बल में मिलती है।
मेज नदी

भीलवाड़ा के मांडलगढ़ से शुरू होती है, जो बूंदी जिले से होकर कोटा जिले के ककावता के पास चम्बल में मिल जाती है।
कुनो नदी

मध्यप्रदेश के गुना जिले के पटई गांव से निकलती है। मध्यप्रदेश में 180 किलोमीटर बहने के बाद मुरैना के पठार के आगे पांचों के पास चम्बल में मिल जाती है।


आधे राजस्थान की प्यास बुझाएगी चम्बल

हर साल चम्बल का अथाह जल व्यर्थ बहकर यमुना के जरिए बंगाल की खाड़ी में चला जाता है। चम्बल की इस अथाह जलराशि को राजस्थान में सहेजने की जरूरत है। देश में नदियों को जोडऩे की परियोजना पर काम पूरा होगा, तब चम्बल आधे राजस्थान की प्यास बुझा रही होगी।

के. आर. मुण्डियार
कोटा .

कोरोना काल में निजी विद्यालयों की ओर से फीस लेने के विवाद के बाद अब सरकार के महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यमिक विद्यालयों में बच्चों से मनमर्जी से शुल्क वसूली शुरू हो गई है।
प्रदेश के जयपुर, कोटा (Kota) व सीकर (Sikar ) के विद्यालयों में नए प्रवेशित एवं पिछले सालों में प्रवेश ले चुके विद्यार्थियों से विकास शुल्क की वसूली की जा रही है। कोटा में जिन नए प्रवेशित बच्चों से विकास शुल्क लिया गया है, उनमें से अधिकतर की आयु 14 वर्ष से कम है और आठवीं कक्षा तक के हैं।
नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत इन 6 से 14 आयु वर्ष के बच्चों से किसी भी तरह का शुल्क नहीं लिया जा सकता, लेकिन विद्यालयों में 9 से 12वीं तक के विद्यार्थियों के साथ प्राथमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों से भी शुल्क लिया जा रहा है।


जयपुर, कोटा व सीकर में शुल्क, अन्य जिलों में नहीं
जयपुर शहर में पांच महात्मा गांधी अंग्रेजी स्कूल हैं। यहां पर करीब साढ़े तीन हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इनमें एक हजार रुपए प्रति बच्चे से विकास शुल्क लिया जा रहा है। हालांकि कुछ स्कूलों में एक से 12 वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों से अनिवार्य रूप से विकास शुल्क लिया जा रहा है तो कुछ स्कूलों में एक से आठवीं तक विकास शुल्क अनिवार्य नहीं है। इन बच्चों के लिए स्वैच्छिक है। शेष नौ से 12 वीं कक्षा के लिए शुल्क अनिवार्य है। कोटा जिले में 6 सरकारी अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में नए प्रवेश लेने वाले प्राथमिक कक्षाओं के 258 बच्चों से कुल 2 लाख 59 हजार का विकास शुल्क लिया गया है।


9 स्कूलों ने वसूले शुल्क
सीकर जिले में 11 स्कूलों में से 9 स्कूलों में 9वीं से 12वीं तक नए प्रवेश वाले 357 बच्चों से कुल 59650 रुपए का शुल्क लिया है, 8वीं कक्षा तक किसी से शुल्क नहीं लिया है। जोधपुर (Jodhpur ), अजमेर (Ajmer ), बीकानेर , अलवर, धौलपुर के किसी भी स्कूल में बच्चों से किसी भी तरह का शुल्क नहीं लिया गया है।


राज्य सरकार तय करे शुल्क
शिक्षा का अधिकार कानून के तहत प्राथमिक के विद्यार्थियों से शुल्क नहीं लेना चाहिए। साथ ही 9 से 12वीं तक के विद्यार्थियों से शुल्क का निर्धारण सरकार को करना चाहिए, ताकि मनमर्जी से ज्यादा शुल्क वसूल नहीं कर सकें। अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों ने विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति (एसडीएमसी) के निर्णय की आड़ में अलग-अलग विकास शुल्क वसूल किया है।


1 से 8 तक के विद्यार्थियों से शुल्क नहीं ले सकते
आरटीई नियम के तहत कक्षा 1 से 8वीं तक के विद्यार्थियों से कोई शुल्क नहीं लिया जा सकता। एसडीएमसी 9 वीं से 12वीं तक ही बच्चों से विकास शुल्क तय कर सकती है।
-नरेन्द्र शर्मा, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक), कोटा

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कोटा. भामाशाह मंडी में मंगलवार को विभिन्न कृषि जिंसों की 25 हजार बोरी आवक हुई। सोयाबीन 1000, सरसों 250 रुपए प्रति क्विंटल भाव मंदे रहे। लहसुन की आवक करीब 5,000 कट्टे की रही। लहसुन 1800 से 8000 रुपए प्रति क्विंटल बिका। किराना बाजार में खाद्य तेलों में मंदी रही।

भाव : गेहूं मील 1650 से 1761, गेहूं टुकड़ी एवरेज 1760 से 1851, गेहूं बेस्ट टुकड़ी 1851 से 1951, सोयाबीन 6500 से 8400, सरसों 6550 से 6750, धान सुंगधा 1800 से 2200, धान (1509) 1800 से 2300, धान पूसा वन 2300 से 2530, धान (1121) 2100 से 2601, मक्का 1600 से 1840, अलसी 6800 से 7300, तिल्ली 6500 से 7850, ग्वार 3000 से 4000, मैथी 5500 से 6500, कलौंजी 16000 से 19100, जौ 1500 से 1800, ज्वार 1300 से 3000, मसूर 5000 से 5400, मूंग हरा 5500 से 6250, चना 4400 से 4601, चना गुलाबी 4200 से 4500, चना मौसमी 4200 से 4500, चना कांटा 4200 से 4400, उड़द 3000 से 6550, धनिया पुराना 4500 से 6000, धनिया नया बादामी 6000 से 6500, धनिया ईगल 6400 से 6800, धनिया रंगदार नया 6500 से 7500 रुपए प्रति क्विंटल रहे।

खाद्य तेल (भाव 15 किलो प्रति टिन): सोया रिफाइंड: फॉच्र्यून 2425, चम्बल 2405, सदाबहार 2325, किचन लाइट 2210, दीपज्योति 2345, सरसों स्वास्तिक 2650, अलसी 2510 रुपए प्रति टिन।
मूंगफली: ट्रक 2800, स्वास्तिक निवाई 2550, कोटा स्वास्तिक 2500, सोना सिक्का 2610 रुपए प्रति टिन।

देसी घी: मिल्क फूड 5900, कोटा फ्रेश 5800, पारस 5900, नोवा 5900, अमूल 6250, सरस 6550, मधुसूदन 6400 रुपए प्रतिटिन।
वनस्पति घी: स्कूटर 1720, अशोका 1720 रुपए प्रतिटिन।
चीनी: 3530-3580 प्रति क्विंटल।

चावल व दाल: बासमती चावल 5600-7200, पौना 4500-5200, डबल टुकड़ी 3800-4300, टुकड़ी 2400-3000, गोल्डन बासमती साबुत 5200-7000, पौना 3000-3800, डबल टुकड़ी 2500- 3000, कणी 2000-2500, तुअर 8500-9800, मूंग 7000-7400, मूंग मोगर 7500-8500, उड़द 7500-8300, उड़द मोगर 7500-9500, मसूर मलका 7400-8000, चना दाल 6000-6200, पोहा 2700-3700 रुपए प्रति क्विंटल।

सोने-चांदी में मंदी
कोटा. स्थानीय सर्राफा बाजार में मंगलवार को सोने-चांदी के भावों में मंदी रही। चांदी 1200 रुपए मंदी के साथ 64,800 रुपए प्रति किलो बोली गई, जबकि जेवराती सोना 250 रुपए मंदी के साथ भाव 47,800 रुपए प्रति दस ग्राम रहे।
भाव: चांदी 64,800 रुपए प्रति किलोग्राम, कैडबरी सोना प्रति 10 ग्राम 47,800 रुपए, शुद्ध सोना प्रति 10 ग्राम 48,050 रुपए बिका। टैक्स व अन्य खर्चे अलग।

अंडा बाजार
कोटा. अंडा कारोबार में फार्मी अंडा 460 रुपए प्रति सैकड़ा, 150 रुपए प्रति प्लेट, 70 रुपए दर्जन।

कोटा. कोटा में अतिवृष्टि से फसल खराबे का जायजा लेने मंगलवार को आयुक्त कृषि डॉ. ओमप्रकाश कोटा पहुंचे। उन्होंने कृषि अधिकारियों व कृषि पर्यवेक्षकों के साथ बूंदी जिले में अतिवृष्टि से फसल खराबे का जायजा लिया। दौरे के बाद आयुक्त कृषि की अध्यक्षता में संभागीय आयुक्त, चारों जिलों के कलक्टर एवं कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में आयुक्त कृषि ने सभी को समय पर कृषकों का आवेदन करवाने, उनके खेतों का निर्धारित कमेटी द्वारा सर्वे करवाने एवं खराबे का मुआवजा प्रक्रिया का ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार कर अधिक से अधिक खराबे वाले कृषकों को राहत देने के निर्देश दिए।

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इन गांवों का किया दौरा
आयुक्त कृषि डॉ. ओमप्रकाश ने बूंदी जिले की केशवरायपाटन तहसील के रंगराजपुरा, अरनेठा, कापरेन, कोडक्या, नोताड़ा, देईखेड़ा, लबान सहित अन्य गावों का दौरा कर अतिवृष्टि से फसल खराबे का जायजा लिया। इस दौरान संयुक्त निदेशक कृषि डॉ. रामवतार शर्मा, उपनिदेशक कृषि बूंदी रमेश चन्द जैन, जिला विस्तार अधिकरी राधाकृष्ण शर्मा साथ रहे। बुधवार को आयुक्त कृषि सांगोद, कनवास, पीपल्दा व दीगोद तहसील का दौरा कर खराबे का जायजा लेंगे।
इधर, अतिरिक्त निदेशक कृषि एचएस मीणा ने दूसरे दिन सुल्तानपुर जिला विस्तार अधिकारी तनोज चौधरी के साथ पीपल्दा व दीगोद तहसीलों में फसल खराबे का जायजा लिया।

कोटा सम्भाग में 3.66 लाख हैक्टेयर फसल खराबा
संयुक्त निदेशक कृषि डॉ. रामवतार शर्मा ने बताया कि सम्भाग में खरीफ फसल की बुवाई 10 लाख 42 हजार 503 हैक्टेयर में हुई थी। जिसमें 6 लाख 38 हजार 421 हैक्टेयर में सोयाबीन, 1 लाख 70 हजार 165 हैक्टेयर में उड़द, 89 हजार 771 हैक्टेयर में मक्का आदि फसलों की बुवाई हुई थी। अतिवृष्टि के कारण धान के अलावा सोयाबीन, उड़द व मक्का की फसलों में सर्वाधिक खराबा हुआ है। वर्तमान आंकड़ों के अनुसार सम्भाग में सोयाबीन 2 लाख 14 हजार 321 हैक्टेयर, उड़द 93 हजार 636 हैक्टेयर में अतिवृष्टि से खराबा हुआ है। फसल खराबे के पूर्ण सर्वे के लिए कृषि विभाग व प्रशासन की टीमें आकलन में जुटी हुई है।

फसल खराबे की यहां दें जानकारी
आयुक्त कृषि डॉ. ओमप्रकाश ने बतया कि अतिवृष्टि से हुए फसल खराबे की सूचना तुरन्त जिले की अधिसूचित बीमा कम्पनी के टोल फ्री नम्बर पर 72 घण्टों के अन्दर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवाएं। बून्दी जिले के किसान बीमा कम्पनी के टॉल फ्री नम्बर 8002664141, कोटा जिले के किसान टॉल फ्री नम्बर 18002095959, बारां जिले के कृषक टॉल फ्री नम्बर 18004196116 एवं झालावाड़ जिले के कृषक टॉल फ्री नम्बर 18001021111 पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।

के. आर. मुण्डियार

-जलभराव व बहाव रास्तों पर बसा दी कॉलोनियां, अब पुराने रास्ते तलाश आबादी में घुस रहीं नदियां
-प्रदेश के कई शहरों में बरसात के दौरान जलमग्न हो रही कॉलोनियां

-बड़ा सवाल : आखिर डूब क्षेत्र, नदी के तटों व तालाबों में क्यों बसा दी बस्तियां, कौन है जिम्मेदार


जयपुर . कोटा .

जरा सी बारिश हो तो हालात बिगड़ जाएं। बारिश जरा ज्यादा हो तो बाढ़ आ जाए। राजस्थान के लोग पिछले कुछ दशक से इसी विडम्बना से जूझ रहे हैं। कारण एक ही है, नदियों-नालों और तालाबों पर अतिक्रमण। जलस्रोतों पर अतिक्रमण लगातार बढ़ते रहे लेकिन सरकारें उन्हें हटाने के बजाय बचाती रहीं। ऐसे में स्थिति यह हो गई है कि मानसून के दौरान जरा सी बारिश भी लोगों को ज्यादा लगने लगती है।

राजस्थान पत्रिका ने राज्यभर में जलस्रोतों के सन्दर्भ में पड़ताल की तो कदम-कदम पर हालात चिन्ताजनक नजर आए।
शासन-प्रशासन की अनदेखी के कारण ज्यादातर जगह नदियों व बरसाती नालों को रास्ता बदल लेना पड़ा है। नदियां कृत्रिम तटों को तोड़कर पुराने वास्तविक रास्तों से आबादी क्षेत्रों में पहुंचकर बाढ़ में बदल रही हैं। औसत बरसात में ही कई क्षेत्रों में हालात खराब हो रहे हैं। राज्य के कई शहरों व गांवों में बाढ़ का मुख्य कारण पानी की आवक व निकासी मार्ग बाधित हो जाना एवं तालाब-नदी व नालों की जमीन पर बस्तियां खड़ी हो जाना है।


इस साल फिर बिगड़े हालात, क्या सबक लेंगे जिम्मेदार?
इस मानसून में भी राज्य के कोटा, बारां व झालावाड़ में बाढ़ के हालात बन रहे हैं। चम्बल नदी कोटा से लेकर धौलपुर तक हालात बिगाड़ रही है। झालावाड़ की रूपली नदी ने खानपुर में प्रचंडता दिखाई। पार्वती नदी ने कोटा इटावा-सुल्तानपुर क्षेत्र में तबाही मचा दी। हजारों कच्चे व पक्के मकान ढह जाने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। वर्ष 2019 में चम्बल में आई बाढ़ ने कोटा की कई कॉलोनियों में भारी तबाही मचाई थी। ऐसे में सवाल फिर ज्वलन्त हो रहा है कि क्या इस बार जिम्मेदार सबक लेंगे?


यह है स्थिति: पानी की राह में बसा दी बस्तियां
700 से अधिक कॉलोनियां जयपुर में बसी हैं बहाव क्षेत्र या तलाई की जमीन पर
300 से अधिक कॉलोनियां जयपुर के पृथ्वीराज नगर क्षेत्र में बसी हैं पानी के बहाव क्षेत्र में
25 से अधिक कॉलोनियां द्रव्यवती नदी और करतारपुरा नाले के किनारे
30 से अधिक बस्तियां जोधपुर में तालाबों के रास्तों पर बस गई
13 कॉलोनियां व बस्तियां जलमग्न हो जाती हैं अजमेर में बरसाती पानी के मार्ग में अतिक्रमण के कारण
12 बस्तियां जलमग्न हो जाती हैं कोटा में हर साल

दशकों पहले घोंट दिया नदी-नालों व तालाबों का गला, अब गले तक आ रही बाढ़

इसलिए नदियां उफनी, बरसात बनी बाढ़

-नदियों के तटों पर अवैध बस्तियां बस गई, पानी का फैलाव सिकुड़ गया।
-तालाबों-नालों की जमीन पर मकान खड़े हो गए, पानी निकासी के रास्ते रोक दिए। इसलिए जलभराव व निकासी की जगह ही नहीं बची।

-कॉलोनियों व मुख्य मार्गों की सड़कें सीमेंट-कंक्रीट की बन रही हैं। साइड में मिट्टी की खाली जगह ही नहीं बच रही। इसलिए बरसाती पानी का जमीन में पुनर्भरण नहीं हो रहा।
-हर साल ड्रेनेज व नालों की सफाई प्रभावी तरीके से नहीं हो रही। निकासी के मार्ग बाधित है।

प्रदेश में नदी-नाले व तालाबों का ऐसे घोंटा गला-
जयपुर :

-बांध व तालाबों के रास्तों पर भूमाफियाओं ने बसा दी अनगिनत कॉलोनियां, जिम्मेदारों ने रोका तक नहीं।
-रामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्र में कब्जे होने के बाद ही पानी आना बंद हुआ। यहां बहाव क्षेत्र के रुख को ही मोड़ दिया। कभी रोड़ा नदी का पानी बांध में आता था।

-कुम्हारों की नदी में नाहरगढ़ की पहाड़ी से पानी आता था, लेकिन कब्जे हो गए। बहाव क्षेत्र का रुख बदल दिया। घाटगेट स्थित खानिया के बांध पर भी कॉलोनी कट गई।
-हरमाड़ा नहर का अस्तित्व ही खत्म हो गया। रास्ते में कई कॉलोनियां बस गई।

-आकेड़ा बांध पर भी कब्जे कर लिए गए। अतिक्रमियों ने कचराल नदी का अस्तित्व ही खत्म कर दिया।
-खो नागोरियान तालाब व कालवाड़ रोड कालक डैम के बहाव क्षेत्र से भराव क्षेत्र में कब्जे हो गए। भावगढ़ बंध्या लूडियावास में तो कॉलोनी ही काट दी।

-सबसे ज्यादा तलाई पृथ्वीराज नगर में थीं। दो दशक में अधिकतर तलाई खत्म हो गईं। यहां बहाव क्षेत्र में 300 से अधिक कॉलोनियां बस गई। अजमेर रोड सेज में भी विकास के नाम पर तलाई पर कब्जे कर लिए।

कोटा:
-अनंतपुरा तालाब एवं पानी के बहाव क्षेत्र प्रेमनगर इत्यादि क्षेत्रों में बस्तियां बसी हैं। अब बरसाती पानी को जगह नहीं मिल पा रही।

-चम्बल किनारे पर खंड गांवड़ी के बड़े भू-भाग पर आबादी बसी हुई हैं। चम्बल नदी का प्रवाह बढऩे पर यह बस्ती जलमग्न हो जाती है।
-प्रेमनगर, गोविन्द नगर, काशीधाम, कौटिल्य नगर, गणेश विहार, बालाजी नगर आदि क्षेत्र नालों के पानी की आवक से प्रभावित है।

बूंदी :
-तालाब गांव के तालाब व फूलसागर तालाब में आबादी दिनों-दिन बढ़ रही है।

-जैतसागर झील से निकल रहे नाले पर पक्के निर्माण कर लिए। रेकॉर्ड में 72 फीट नाला अब नाली बनकर रह गया। बरसात में बहादुर सिंह सर्किल से पुलिस लाइन रोड-देवपुरा तक जाने वाली सड़क नदी बन जाती है।


जोधपुर:

-प्राचीन बाइजी का तालाब में मलबा डाला जा रहा है। तालाब की नहरें तबाह कर दी गई। अब पानी सड़कों पर बहकर कहर बरपाता है।
-कुछ साल पहले महामंदिर क्षेत्र में मानसागर तालाब की जमीन को मलबे से पाटकर गार्डन बना दिया गया।

-नागौरी गेट शिप हाउस के पास नया तालाब को मलबे से पाटा जा रहा है।
-गुरों का तालाब अतिक्रमण की चपेट में हैं। पानी के रास्तों पर मकान बन गए। प्राचीन गंगलाव तालाब के जलग्रहण क्षेत्र में मलबा लगातार बढ़ रहा है।

-उम्मेदसागर तालाब के रास्ते में बस्तियां बस गई। नहरों को अतिक्रमण खा गया। बरसात का पानी चौपासनी हाउसिंग बोर्ड में परेशानी बढ़ाता है।

अजमेर:
-ऐतिहासिक आनासागर झील के किनारे की जमीन पर सागर विहार, गुलमोहर कॉलोनी, करणी नगर सहित कॉलोनियां बसा दी गई। पिछले कुछ दशक में झील लगातार सिकुड़ती चली गई। झील के कैचमेंट एरिया में आवासीय कॉलोनियां बसा दी गई।

-प्राचीन पाल बिछला तालाब में बस्तियां खड़ी हो गई। अब तालाब केवल नाम का ही रह गया।
-फॉयसागर व आनासागर को जोडऩे वाली बांडी नदी तो नाला ही बनकर रह गई। अतिक्रमणों से सिकुड़ी नदी का पानी राम नगर व ज्ञान विहार आदि बस्तियों में घुस जाता है।

-धोलाभाटा, गुर्जर धरती, जादूगर बस्ती, नगरा आदि कॉलोनियां बहाव क्षेत्र में होने से हर साल जलमग्न हो जाती है।
-ब्यावर के ऐतिहासिक बिचड़ली तालाब को मलबा डालकर पाटा जा रहा है।

उदयपुर :
-रूपसागर तालाब के किनारे कॉलोनियां बसी हुई है। जहां पर तालाब में पानी आते ही पानी भर जाता है।

-गोवर्धन सागर तालाब से थोड़े दूर बसी कॉलोनियां में भी पानी भरता है।
-आयड़ नदी के किनारे आलू फैक्टी व करजाली हाउस में भी पानी भर जाता है

-रूपसागर, फूटा तालाब आदि क्षेत्र के पेटे व सीमा में कई अवैध निर्माण हो गए हैं।

बीकानेर :

-गिन्नाणी क्षेत्र में सबसे ज्यादा जलभराव होता है। सूरसागर तालाब की पाल ऊंची कर देने से हालात बिगड़ रहे हैं। कई बार तालाब व जूनागढ़ किले के बाहर बनी खाई की दीवार तोड़कर पानी की निकासी करनी पड़ती है।

दशकों पहले घोंट दिया नदी-नालों व तालाबों का गला, अब गले तक आ रही बाढ़

नेताओं ने लुटवा दिया तालाब-

राजनैतिक दबाव व विरोध के कारण अफसर तालाब-नालों पर बसी अवैध बस्तियों को हटाने की कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा पाते। कुछ साल पहले कोटा में अनन्तपुरा तालाब पर बसी बस्ती को हटाने की कार्रवाई का सख्त कदम उठाने वाले नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त एवं आईएएस डॉ. समित शर्मा को नेताओं का भारी विरोध झेलना पड़ा था। तब शर्मा को मौके पर ही एपीओ कर दिया गया। इसी तरह कुछ साल पहले कोटा में चम्बल किनारे खंड गांवड़ी बस्ती में कार्रवाई करने गए यूआईटी के दस्ते पर पथराव से हमला कर दिया गया था। अफसरों व कर्मचारियों को भागकर जान बचानी पड़ी।

कोटा. अपने नवाचारों एवं बंदी सुधारों की दिशा में किए कार्यों के लिए केन्द्रीय कारागृह कोटा जाना जाता है। इस बार भी कोटा कारागृह में बरसाती पानी टपकने व भरने के बावजूद केदियों ने इग्नू की परीक्षा की तैयारी जारी रखी। यहीं नहीं लगातार तीन दिन तक तीन घंटे प्रतिदिन हुई परीक्षा में 147 बंदियों ने भविष्य संवारने के लिए प्रश्न पत्र हल किए।

कारागृह अधीक्षक सुमन मालीवाल ने बताया कि अगस्त व सितम्बर में आयोजित होने वाली सत्रांत परीक्षा जून 2021 के लिए कारागृह के 118 बंदियों ने इग्नू के कोर्स सॢटफिकेट इन फूड एंड न्यूट्रिशियन में प्रवेश लिया था। बंदियों के इस विषय की 10 अगस्त को अंतिम परीक्षा थी, लेकिन उनके लिए यह परीक्षा देना मुश्किल था। बारिश के कारण कोटा जेल भी अधिकतर बैरिकों में छत से पानी टपकने लग गया। कुछ बैरिको में तो पानी भर गया। ऐसी परिस्थितियों में भी कारागृह प्रशासन ने बंदियों की पढ़ाई को प्रभावित नहीं होने दिया। बंदियों को अन्य बैरिकों में शिफ्ट कर उनकी परीक्षा की तैयारी करवाई। नतीजतन परीक्षाओं के दौरान बंदियों के चेहरे पर आत्मविश्वास की झलक नजर आई। 3 दिन लगातार तीन घंटे हुई परीक्षा में कुल 147 बंदियों ने प्रश्न पत्र हल किए।

1027 बंदी संवार चुके भविष्य

सत्र जुलाई-2018 में केन्द्रीय कारागृह कोटा के इंदिरा गांधी खुला मुक्त विश्वविद्यालय विशेष अध्ययन केन्द्र को पुनर्जीवन मिला था। इसके बाद बंदियों की उच्च शिक्षा की राह खुली, जिसके कारण कारागृह में उच्च शिक्षा से बंदियों का जुडऩे का क्रम शुरू हो गया। यह सिलसिला अब तक अनवरत जारी है। सत्र जुलाई 2018 से जनवरी 2021 तक कुल 1027 बंदी इग्नू के विभिन्न डिग्री, डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट कार्यक्रमों में प्रवेश लेकर अपना भविष्य संवार चुके हैं। कारागृह अधीक्षक सुमन मालीवाल ने बताया कि समय-समय पर बंदियों की कक्षाएं ली जाती हैं। वहीं कारागृह के सजायाफ्ता बंदी संदीप तथा सुधीर द्वारा भी बंदियों को इग्नू संबंधी कोर्स करवाया जाता है।

कोटा. सुभाष नगर स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में चोर सीढिय़ों की रेलिंग ही उखाड़ ले गए। स्कूल के भवन की सीढिय़ों पर रेलिंग शनिवार तक तो लगी हुई थी। इसके बाद दो दिन का अवकाश रहा। इस बीच चोर रेलिंग उखाड़ ले गए।

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संस्था प्रधान डॉ. सुशीला पूनिया ने बताया मंगलवार सुबह प्रात 7 बजे स्कूल खोला तब चोरी का पता चला। चोर सीढिय़ों से पूरी रेलिंग को ही उखाड़ ले गए। वहां शराब की बोतलें, चप्प्ल व इंजेक्शन आदि पड़े मिले। कि विद्यालय में चौकीदार नहीं है। पूर्व में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की रात में ड्यूटी लगा रखी थी। लेकिन उक्त कर्मचारी जिला निर्वाचन कार्यालय कलेक्ट्रेट में प्रतिनियुक्ति होने के कारण वहां जाता है। रेलिंग कोटा राउंड टेबल 281 द्वारा गत सत्र में लगवाई गई थी। इस सम्बंध में संस्था प्रधान ने अनन्तपुरा थाने में रिपोर्ट दी है।

कोटा.
भारी बरसात के बाद कोटा संभाग बीते दो सप्ताह से बाढ़ के हालात से जूझ रहा है। कोटा शहर की कई कॉलोनियों व गांवों में अभी तक पानी भरा है। ऐसे में भी प्रदेश में कांग्रेस सरकार के मंत्रियों के पास बाढ़-पीडि़तों के आंसू पौंछने व उन्हें राहत देने का समय नहीं है। जबकि भाजपा के नेता संभाग में दौरे करने एवं लोगों की मदद के लिए फ्रंट पर हैं।
जयपुर में बैठे सरकार के वरिष्ठ मंत्री से पहले केन्द्र सरकार के व्यस्त कार्यक्रम छोड़कर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला कोटा पहुंच गए। बिरला ने यहां दो दिन तक बाढग़्रस्त क्षेत्रों का हवाई व ग्राउंड दौरा कर पीडि़तों को हिम्मत बंधाई व उन्हें राहत देने के लिए अफसरों को निर्देश दिए। भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने भी सोमवार को बारां-झालावाड़ का दौरा शुरू कर दिया। सोमवार को बारां के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई दौरा करने के बाद बारां के लोगों से मिलकर हालात जाने। इसके विपरीत जयपुर में बैठे राज्य के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल कोटा नहीं आए हैं। गौरतलब है कि कोटा संभाग में बाढ़ व अतिवृष्टि से 30 लोगों की जान चली गई। हजारों मकान क्षतिग्रस्त हो गए। करोड़ों का नुकसान हुआ है। फसलों को भारी नुकसान हुआ है।

बाढ़ पीडि़तों के आंसू पौंछने में सरकार लेटलतीफ, भाजपा फ्रंट फुट परबाढ़ पीडि़तों के आंसू पौंछने में सरकार लेटलतीफ, भाजपा फ्रंट फुट पर

प्रभारी मंत्री कटारिया आए, लेकिन खानापूर्ति कर गए
कोटा के प्रभारी मंत्री लालचंद कटारिया 5 अगस्त को दोपहर को कोटा पहुंचे थे। यहां अधिकारियों की मिटिंग करने के बाद कोटा बैराज देखने गए। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के बाढग़्रस्त गांवों के हालात देखने नहीं पहुंचे। कुछ घंटों के बाद ही जयपुर लौट गए। उनका दौरा महज खानापूर्ति जैसा रहा।


पांच दिन बाद पहुंचे गोपालन व खान मंत्री
गोपालन व खान मंत्री प्रमोद जैन भाया अपने गृह क्षेत्र बारां क्षेत्र में बाढ़ के पांच दिन बाद 4 अगस्त को पहुंचे और दौरा करने गए। 9 अगस्त को खानपुर का दौरा करने गए।


परसादीलाल मीणा व जूली आए
बूंदी के प्रभारी परसादीलाल मीणा व झालावाड़ के प्रभारी मंत्री टीकाराम जूली बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचने में सक्रिय रहे। उन्होंने लोगों की पीड़ा भी सुनी।


बाढ़ के 15 दिन बाद आएंगे यूडीएच मंत्री
प्रस्तावित सरकारी कार्यक्रम के अनुसार अब यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल 18 अगस्त की रात को कोटा पहुंचेंगे और 19 अगस्त को बाढ़ क्षेत्रों का दौरा करेंगे। यानि क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित होने के 15 दिन बाद यूडीएच मंत्री दौरा करने जाएंगे।

बाढ़ पीडि़तों के आंसू पौंछने में सरकार लेटलतीफ, भाजपा फ्रंट फुट पर

बाढ़ व अतिवृष्टि से प्रभावित कोटा संभाग
कोटा-

27 जुलाई से कोटा ग्रामीण क्षेत्र की नदियां उफान पर आ गई। 2 अगस्त से कोटा बैराज के खोले गए। कोटा सिटी में 3 अगस्त को कई बस्तियां पानी से घिर गई थीं। बाढ़ के कारण कोटा में 6 लोगों की जान चली गई। कोटा की कई बस्तियों में पांच दिन से बरसाती पानी भरा है।

झालावाड़-
22 जुलाई से प्रभावित है। पिड़ावा में एक ही दिन में आठ इंच पानी बरसने के बाद कालीसिंध, चंवली नदी उफान पर आ गई थी। कई लोग बरसाती पानी में फंस गए थे और तीन लोगों की मौत हो गई।

बारां-

-27 जुलाई से बाढ़ के हालात बनने लगे। 31 जुलाई को हालात ज्यादा बिगड़ गए। शाहबाद उपखण्ड के 100 से अधिक गांव टापू बन गए थे। बाढ़ से 10 लोगों जान चली गई।

बूंदी-
-4 अगस्त से प्रभावित हुआ। 5 अगस्त को केशवरायपाटन में मकान गिरने से 7 लोगों की जान चली गई।

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