>>: बीडीके अस्पताल में धूल फांक रखी लाखों रुपए की ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट व सोनोग्राफी मशीनें

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झुंझुनूं. जिला मुख्यालय स्थित राजकीय भगवानदास खेतान अस्पताल में संसाधन होने के बावजूद मरीजों को बाहर से इलाज कराने को मजबूर होना पड़ रहा है। अस्पताल प्रबंधन की नाकामी की वजह से लाखों रुपए की लागत से आए उपकरण कबाड़ बनते जा रहे हैं।लंबे समय पहले अस्पताल को मिली ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट और सोनोग्राफी मशीनें आज तक शुरू नहीं हो पाई और स्टोर में बंद पड़ी धूल फांक रही हैं। सोनोग्राफी मशीनें शुरू नहीं होने की वजह से मरीजों को कई दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है या फिर निजी लैब का सहारा लेना पड़ रहा है। यहां मात्र एक सोनोग्राफी मशीन चालू हैं। इससे रोजाना चार सौ से पांच सौ मरीजों की सोनोग्राफी कर पाना मुश्किल है। इस मशीन पर छह घंटे सोनोग्राफी का कार्य किया जाता है।

एक ही बहाना रेडियोलॉजिस्ट नहीं मिल रहा

तत्कालीन जिला कलक्टर लक्ष्मणसिंह कूड़ी के आदेश के बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने आज तक सोनोग्राफी मशीनों को लगाना उचित नहीं समझा। कुड़ी ने निरीक्षण के दौरान अस्पताल प्रबंधन को संविदा पर रेडियोलॉजिस्ट लगाने के निर्देश दिए थे। परंतु इस संबंध में किसी प्रकार की कोई निविदा तक ही नहीं निकाली गई।

ब्लड सेपरेशन यूनिट फांक रही धूल

बीडीके अस्पताल में लाखों रुपए की लागत से खरीदी गई ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट ब्लड बैंक के स्टोर में धूल फांक रही है। ब्लड सेपरेशन के साथ सेट्रीफ्यूज मशीन व तकनीकी सुपरवाइजर की जरूरत होती है। दोनों ही नहीं होने की वजह से मशीन शुरू नहीं हो पाई है। बीडीके में मशीन शुरू नहीं होने के कारण गंभीर रोगियों को शहर के निजी अस्पताल या फिर जयपुर में जाकर इलाज करवाना पड़ रहा है। इससे उन पर आर्थिक भार बढ़ रहा है।

इन बीमारियों में जरूरत होती है ब्लड सेपरेशन यूनिट की

डेंगू सहित अन्य बीमारियों में प्लेटलेट्स कम होने पर रोगी को प्लाज्मा की जरूरत होती है। ब्लड सेपरेशन यूनिट मशीन की खासियत यह है कि इसके माध्यम से ब्लड डोनर के खून से प्लेटलेट्स निकालकर खून वापस उसके शरीर में ब्लीडिंग सेट से चला जाता है। लेकिन बीडीके अस्पताल में मशीन होने के बावजूद इसका रोगियों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।

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