>>: मेवाड़ की धरती पर यहां हुआ ब्राह्मणों का महाकुंभ, लिया यह महासंकल्प

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राजसमन्द. पालीवाल ब्राह्मण महासभा मेवाड़ की ओर से पालीवाल, मेनारिया, नागदा समाज का अखिल भारतीय समस्त पालीवाल ब्राह्मण समाज का महाकुंभ द्वारकेश वाटिका में रविवार को हुआ। महाकुंभ में आओ मिलकर समाज का विकास करे की भावना के साथ समाज को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया। प्रतिनिधि सभा में लिए गए प्रस्तावित बिंदुओं पर आधारित राजसमंद घोषणा पत्र का वाचन किया गया। कार्यक्रम में पालीवल ब्राह्मण इतिहास प्रबोधिनी पुस्तक का विमोचन किया गया।
कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन महासभा के अध्यक्ष धर्मनारायण पालीवाल ने देते हुए कहा कि आज इस महासम्मेलन में अपूर्व एकजुटता के साथ एक नए युग के उदय का उद्घोष होने जा रहा है। मुख्य अतिथि अखिल भारतीय महिला संघ की अध्यक्ष विजय लक्ष्मी पालीवाल ने कहा कि मातृशक्ति के बिना संग़ठन शक्ति संभव नहीं है । हमें महिलाओं की आर्थिक उन्नति और विकास के लिए विचार करने के साथ ही प्रयास भी करने होंगे। मुख्य वक्ता व संस्थापक घनश्याम पालीवाल ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में मेवाड़ से कई पालीवालों ने अपना बहुमूल्य योगदान देकर समाज को श्रेष्ठ आदर्श व पदचिह्नों पर चलने की प्रेरणा दी। आज हमारे लिए यह स्वर्णिम दिन है हमें वसुधैव कुटुम्ब की भावना एक ईंट एक रुपया का ध्येय मानकर एकजुटता का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि सभी समाज के प्रबुद्धजनों और मातृशक्ति से आह्वान करता हूं कि आओ मिलकर समाज का विकास करे। मंचासीन अतिथियों ने उपस्थित समाज जनों के समक्ष प्रतिनिधि सभा में लिए गए प्रस्तावित बिंदुओं पर आधारित राजसमन्द घोषणा पत्र का वाचन का किया गया। धन्यवाद महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष केशूलाल पालीवाल ने ज्ञापित किया।

यह रहे अतिथि के रूप में मंचस्थ
महासम्मेलन में मिराज समूह के प्रमोद पालीवाल, चंद्रशेखर पालीवाल भाणुजा, महासभा के अध्यक्ष धर्मनारायण पालीवाल, महामंत्री भंवरलाल पालीवाल, 24 श्रेणी अध्यक्ष मांगीलाल पालीवाल, 44 श्रेणी अध्यक्ष शंकरलाल पालीवाल, 16 खेडा अध्यक्ष पूर्णशंकर पालीवाल, 12 खेडा अध्यक्ष माधव लाल पालीवाल, बड़ा पालीवाल अध्यक्ष हगामी लाल पालीवाल रहे। इसी प्रकार मुंबई से जयपाल पालीवाल, अखिल भारतीय पालीवाल संघ के महामंत्री राजेश पालीवाल, उपाध्यक्ष भंवरलाल पालीवाल, सुरेश पालीवाल, सोनीपत से मनोहर पालीवाल, भावनगर से जगदीश भाई, राजेश पांडिया, पवन कुमार, माधवलाल, भूरालाल, राकेश पालीवाल, बाबूलाल, हीरालाल रमेश पुरोहित सहित कई समाज के वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित थे।
25 कुण्डीय गायत्री यत्र में आहुतियां
कार्यक्रम के प्रारंभ में 25 कुण्डीय गायत्री यज्ञ के माध्यम से लक्ष्मी-रुक्मणी माता के लिए विशेष आहुतियां के साथ समाज के 101 जोड़ों ने इस महायज्ञ में भाग लिया। इसके पश्चात सुबह 11 बजे अधिवेशन का प्रारंभ हुआ मंचासीन अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन कर काय्र्रकम का शुभारम्भ किया। अतिथियों का स्वागत पालीवाल ब्राह्मण महासभा मेवाड़ की आयोजन समिति पदाधिकारियों ने मेवाड़ी पगड़ी और उपरना पहनाकर स्वागत किया गया।
पूरे देश से लोग हुए शामिल
इस महासम्मेलन में मेवाड़ में बसे 24,44,12 खेडा पालीवाल और सभी श्रेणियों 52 खेडा मेनारिया, 16 खेडा नागदा, बड़ा पालीवाल ब्राहमण राजसमन्द, नाथद्वारा, रेलमगरा, देवगढ़, आमेट, कुंभलगढ़, उदयपुर, चितौडगढ़़, भीलवाडा, प्रतापगढ़, नीमच, मंदसोर जिलो के गांवों के चोखले के समाजजन शामिल हुए। इसी प्रकार मेवाड़ से बाहर गए समाजबंधु जयपुर, इंदौर, भोपाल, उज्जैन, मालवा, मध्यप्रदेश, मुंबई, सूरत, अहमदाबाद, महाराष्ट्र, गुजरात के अलावा पूरे देश से सभी सामाजिक बंधु और समाज के प्रतिनिधि इस महासम्मेलन के साक्षी बनें।

इनका रहा विशेष सहयोग
कार्यक्रम को सफल बनान में चुन्नीलाल ओडन, बद्रीलाल केलवा, सेवाराम सुन्दरचा, ओम पुरोहित, भरत डिप्टी, भगवतीलाल धर्मेटा, राजेश भागवांद, किशन मोरवड़, नारायण, जय शंकर, सूर्यकांत रिछेड़, रामनारायण, गोपाल संजय केलवा, मुकेश खरसान, जगदीश सुन्दरचा, गजेंद्र प्रतापपुरा, गिरिराज पर्वत खेड़ी, नारायण जवनाद, नरोत्तम डिप्टी, भगवतीलाल खमनोर, मनोज भागवांद, राजेश भाणुजा, दुर्गाशंकर कुंठवा, लक्ष्मीलाल वागडोला, पूर्णशंकर, रमेश सुन्दरचा, सुंदरलाल, लक्ष्मीलाल धर्मेटा, हरीश सुन्दरचा, लक्ष्मीलाल कोशीवाडा, कैलाश मण्डा की गावड़ी, राजेश, संजय, विजय, महेश देवगढ़, नीलेश धर्मेटा आदि का विशेष सहयोग रहा।
इतिहास प्रबोधिनी नामक पुस्तक किया विमोचन
सरकारी सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत घनश्याम पालीवाल का मन समाज के प्रति ऐसा रमा की उन्होंने अपना शेष जीवन समाज को समर्पित कर दिया। पालीवाल समाज के गौरवशाली इतिहास पर शोध करने का निर्णय लिया। एक ही मूल से निकले पालीवाल, मेनारिया और नागदा ब्राह्मणों के 650 गांवों का 1000 साल व समाज के 3 लाख परिवारों के 15 लाख सदस्यों के इतिहास को इतिहास प्रबोधिनी नामक ग्रन्थ में संजोया। पालीवाल ने गायत्री परिवार से जुडकऱ राजसमन्द झील संरक्षण ऑपरेशन भागीरथ अभियान, बनास अंचल शुद्धि अभियान, पर्यावरण संरक्षण और पुष्कर में तीर्थ जागरण के लिए 84 कोस की परिक्रमा यात्रा शुरू की। यात्रा परिक्रमा मार्ग में पेड़ भी लगवाए।
50 लाख से अधिक की धनराशि एकत्र
महासम्मेल के दौरान राजसमंद घोषणा पत्र में समाज में शिक्षा को बढ़ावा देने और सामाजिक विकास की योजनाओं से प्रेरित होकर समाज के भामाशाहों ने मौके पर ही 50 लाख से अधिक धन देने की घोषणा की। उक्त राशि से समाज विकास के कार्य करवाए जाएंगे।

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