>>: Digest for July 19, 2021

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Table of Contents

रक्तिम तिवारी/अजमेर.

अजमेर के इतिहास में 18 जुलाई 1975 कभी ना भुलाने वाला दिन है। ताबड़तोड़ बरसात के नजारे को उस वक्त की पीढ़ी कभी नहीं भुला सकती है। एक दिन में अजमेर में करीब 750 मिलीमीटर से ज्यादा बरसात ने जबरदस्त तबाही मचाई थी।

45 साल पहले अजमेर शहर का दायरा नया बाजार-पुरानी मंडी,दरगाह बाजार, मदार गेट सहित परकोटे के अंदर ज्यादा सिमटा हुआ था। बाहरी इलाकों में क्रिश्चियनगंज, राजा साइकिल, सिविल लाइंस, शास्त्री नगर, रेलवे क्वाटर, लिंक रोड, फायसागर रोड, वैशाली नगर-बधिर विद्यालय और अन्य कॉलोनी थी।

वो ताबड़तोड़ बरसात
18 जुलाई 1975 को सुबह 6-7 बजे से ताबड़तोड़ बरसात का दौर शुरू हुआ। लगातार 8 से 10 घंटे तक झमाझम बरसात चली। शहर के अंदरूनी और बाहरी इलाकों में पानी का सैलाब उफ पड़ा था। बाहरी इलाकों में आनासागर का पानी बहुत बड़े क्षेत्र (करीब 25 से 26 फीट) में भर गया था। कई इलाकों में घरों में महीनों तक पानी भरा रहा था। वैशाली नगर-जनता कॉलोनी में बने हाउसिंग बोर्ड के मकान महीनों तक खाली रहे थे।

अब कुछ घंटे की बरसात में यह हाल
अजमेर में 29 सितंबर 2013 को 120.6, 1 अगस्त 2019 को 114.2 और 19 मई 2021 को 114.3 ताबड़तोड़ बरसात हुई थी। यह बरसात महज पांच-छह घंटे की थी। लेकिन इससे शहर के कई इलाके पानी में घिरने से टापू बन गए थे। वैशाली नगर सेक्टर-तीन, गुलमोहर कॉलोनी, सागर विहार कॉलोनी, जादूघर, नगरा, अलवर गेट और आसपास के इलाकों में हालात खराब थे। नगर निगम और एडीए को कई दिन तक पम्प लगाकर पानी निकालना पड़ा था।

मच सकती है तबाही...
1975 की तरह कभी अजमेर में पानी बरसा तो ज्यादा तबाही मच सकती है। अव्वल तो जल निकासी के प्राकृतिक नालों पर अतिक्रमण हो चुके हैं। आंतेड़, नागफणी, तारागढ़-अंदरकोट क्षेत्र, शास्त्री नगर समेत कई जगह पहाड़ों पर मकान बन चुके हैं। सीवरेज लाइन थोड़ी सी बरसात में उफन पड़ती हैं। स्टेशन रोड, जेएलएन मेडिकल कॉलेज, वैशाली नगर, सावित्री चौराहा, महावीर सर्किल सहित कई इलाकों में तरणताल बन जाते हैं। जल निकासी के उचित प्रबंध नहीं हैं।

अजमेर.

कभी राज्य के सर्वाधिक जिलों की परीक्षाएं कराने वाले महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय का दायरा अब संभाग तक सिमट गया है, लेकिन यह बचत के मामले में राज्य के के दूसरे विश्वविद्यलायों से कहीं आगे है। प्री.बीएड, बीएसटीसी, आरपीएमटी, पीसी-पीएमटी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के सफल आयोजन और कम खर्चे में कामकाज के चलते यह संभव हुआ है।

साल 1987 में स्थापित मदस विश्वविद्यालय (तब अजमेर यूनिवर्सिटी) की राज्य में अहमियत रही है। कभी इसका दायरा अजमेर संभाग सहित श्रीगंगानगर, बाडमेर, पाली, जोधपुर, सिरोही, जालौर, बीकानेर, हनुमानगढ़ तक फैला हुआ था। दूरस्थ जिलों की सालाना परीक्षाओं का उत्तरदायित्व इसके जिम्मे था।

अलग हुए बीकानेर-कोटा
राज्य सरकार ने साल 2003 में बीकानेर और कोटा में विश्वविद्यालय अस्तित्व में आए।दस साल पहले जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय का दायरा कैंपस तक सिमटा था। बाद में इसे पाली, जालौर, सिरोही और अन्य जिलों के कॉलेज आवंटित कर दिए गए। इसके बाद मदस विश्वविद्यालय का दायरा अब अजमेर, टोंक, भीलवाड़ा और नागौर जिले तक सिमट गया है।

परीक्षाओं से बनाई साख
मदस विश्वविद्यालय ने साल 1993 से 96, 1997 से 99 और 2004 से 2008 और 2015, 2018 में पीटीईटी सहित बीएसटीसी परीक्षा कराई। इसके अलावा 2006 में पीएमटी, 2016-17 में पीसीपीएमटी परीक्षा का आयोजन किया। इन परीक्षाओं के सफल आयोजन से विश्वविद्यालय की राज्य में साख बनी।

कम खर्चे, बचत पर फोकस
विश्वविद्यालय ने प्रतियोगी परीक्षाओं में कम खर्चे और बचत पर फोकस किया। प्रश्न पत्रों के मुद्रण में पन्नों का बेहतर उपयोग, काउंसलिंग के कम खर्चे और बैंक में समय पर निवेश से विश्वविद्यालय को फायदा हुआ। 2007 में विवि की बचत 100 करोड़ रुपए थी। 14 साल में यह आंकड़ा करीब 450 करोड़ से ज्यादा पहुंच गया है।

फैक्ट फाइल
1987 में हुई थी स्थापना
300 कॉलेज हैं सम्बद्ध
3.50 लाख विद्यार्थियों की कराता है परीक्षाएं
04 जिले जुड़े हैं विवि से

अजमेर.राजस्थान लोक सेवा आयोग की भर्ती परीक्षाओं का दौर शुरू होने वाला है। इसकी शुरुआत जुलाई के अंतिम सप्ताह से होगी। विभिन्न भर्ती परीक्षाएं अक्टूबर तक चलेंगी।

आयोग की विधि रचनाकार भर्ती (विधि एवं विधिक कार्य विभाग) प्रतियोगी परीक्षा-2021 का आयोजन 26 जुलाई को होगा। सार्वजनिक निर्माण विभाग में सहायक परीक्षण अधिकारी भर्ती परीक्षा-2021 का आयोजन 27 जुलाई और अधीक्षक उद्यान भर्ती परीक्षा-2021 का आयोजन 28 जुलाई को होगा। इनके प्रवेश पत्र वेबसाइट पर अपलोड किए जाएंगे।

सितंबर से अक्टूबर तक यह परीक्षा....
-सब इंस्पेक्टर और प्लाटून कमांडर भर्ती-2020 की परीक्षा 4 सितंबर को होगी। यह परीक्षा 859 पदों की भर्ती के लिए होगी।
-सहायक आचार्य प्रतियोगी परीक्षा-2020 (कॉलेज शिक्षा विभाग) का आयोजन 22 से 25 सितंबर और 27 सितंबर से 6 अक्टूबर तक किया जाएगा। कॉलेज शिक्षा विभाग में 31 विषयों के लिए सहायक आचार्य भर्ती परीक्षा होगी।

अगस्त में साक्षात्कार
सहायक सांख्यिकी अधिकारी (कृषि विभाग)-2020 के तहत अभ्यर्थियों के साक्षात्कार 3 अगस्त को कराए जाएंगे।

दायरा सिमटा अजमेर संभाग तक, बचत में है सबसे आगे


अजमेर. कभी राज्य के सर्वाधिक जिलों की परीक्षाएं कराने वाले महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय का दायरा अब संभाग तक सिमट गया है, लेकिन यह बचत के मामले में राज्य के के दूसरे विश्वविद्यलायों से कहीं आगे है। प्री.बीएड, बीएसटीसी, आरपीएमटी, पीसी-पीएमटी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के सफल आयोजन और कम खर्चे में कामकाज के चलते यह संभव हुआ है।

साल 1987 में स्थापित मदस विश्वविद्यालय (तब अजमेर यूनिवर्सिटी) की राज्य में अहमियत रही है। कभी इसका दायरा अजमेर संभाग सहित श्रीगंगानगर, बाडमेर, पाली, जोधपुर, सिरोही, जालौर, बीकानेर, हनुमानगढ़ तक फैला हुआ था। दूरस्थ जिलों की सालाना परीक्षाओं का उत्तरदायित्व इसके जिम्मे था।

अजमेर.राजस्थान लोक सेवा आयोग की भर्ती परीक्षाओं का दौर शुरू होने वाला है। इसकी शुरुआत जुलाई के अंतिम सप्ताह से होगी। विभिन्न भर्ती परीक्षाएं अक्टूबर तक चलेंगी।

आयोग की विधि रचनाकार भर्ती (विधि एवं विधिक कार्य विभाग) प्रतियोगी परीक्षा-2021 का आयोजन 26 जुलाई को होगा। सार्वजनिक निर्माण विभाग में सहायक परीक्षण अधिकारी भर्ती परीक्षा-2021 का आयोजन 27 जुलाई और अधीक्षक उद्यान भर्ती परीक्षा-2021 का आयोजन 28 जुलाई को होगा। इनके प्रवेश पत्र वेबसाइट पर अपलोड किए जाएंगे।

सितंबर से अक्टूबर तक यह परीक्षा....
-सब इंस्पेक्टर और प्लाटून कमांडर भर्ती-2020 की परीक्षा 4 सितंबर को होगी। यह परीक्षा 859 पदों की भर्ती के लिए होगी।
-सहायक आचार्य प्रतियोगी परीक्षा-2020 (कॉलेज शिक्षा विभाग) का आयोजन 22 से 25 सितंबर और 27 सितंबर से 6 अक्टूबर तक किया जाएगा। कॉलेज शिक्षा विभाग में 31 विषयों के लिए सहायक आचार्य भर्ती परीक्षा होगी।

अगस्त में साक्षात्कार
सहायक सांख्यिकी अधिकारी (कृषि विभाग)-2020 के तहत अभ्यर्थियों के साक्षात्कार 3 अगस्त को कराए जाएंगे।

दायरा सिमटा अजमेर संभाग तक, बचत में है सबसे आगे


अजमेर. कभी राज्य के सर्वाधिक जिलों की परीक्षाएं कराने वाले महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय का दायरा अब संभाग तक सिमट गया है, लेकिन यह बचत के मामले में राज्य के के दूसरे विश्वविद्यलायों से कहीं आगे है। प्री.बीएड, बीएसटीसी, आरपीएमटी, पीसी-पीएमटी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के सफल आयोजन और कम खर्चे में कामकाज के चलते यह संभव हुआ है।

साल 1987 में स्थापित मदस विश्वविद्यालय (तब अजमेर यूनिवर्सिटी) की राज्य में अहमियत रही है। कभी इसका दायरा अजमेर संभाग सहित श्रीगंगानगर, बाडमेर, पाली, जोधपुर, सिरोही, जालौर, बीकानेर, हनुमानगढ़ तक फैला हुआ था। दूरस्थ जिलों की सालाना परीक्षाओं का उत्तरदायित्व इसके जिम्मे था।

भूपेन्द्र सिंह

अजमेर. जयपुर रोड से नागौर के लिए बनाया जा रहा बाइपास विकास की नई इबारत तैयार कर रहा है। इससे अजमेर से पुष्कर की दूरी घट गई है। अजमेर से पुष्कर के तिलोरा तक की दूरी 30 किलोमीटर के बजाय अब 22 किलोमीटर ही रह गई है। पहुंचे का समय भी करीब 25 मिनट कम हो गया है। 30 मे से 22 किमी सड़क का निर्माण हो चुका है। बात हो रही है जयपुर रोड आकाशवाणी से शुरु होकर गगवाना, कायड़, एमडीएस, जनाना अस्पताल, तिलोरा होते हुए नागौर के लिए बनाए जा रहे नए बाईपास एनएच 58 की। इसका निर्माण नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचआई) करवा रही है। इस हाइवे के बनने से नेशनल हाईवे (एनएच) 89 पर यातायात का दबाव कम होगा। यह एनएच पुष्कर के गावों की बीच से निकल रहा है। नए बाईपास के निर्माण के बाद अजमेर से नागौर की दूारी 161 किमी से घटकर 148.25 किमी ही रह जाएगी। एचएच के अधिकारियों का कहना है एनएच 89 को अब नया नाम एन 58 दिया गया है।

अजमेर

अजमेर में इस बाइपास की लम्बाई 24.1 किमी है। 22 किमी नया आलानमेंट है। बांडी घाटी में रिआइनमेंट का काम चल रहा है। कर्व बनाए जा रहे है। एक्सीडेंटल जोन खत्म करने के लिए आकाशवाणी के पास जयपुर रोड पर फ्लाइओवर बनाया जाएगा। जिससे नागौर की तरफ से आने वाले ट्रैफिक डायवर्ट होकर जयपुर रोड पर जा सकें। 3 अंडरपास, 1 मेजर व 1 माइनर ब्रिज बनेगा, कलवर्ट भी बनाए जाएंगे। अजमेर की सीमा बाडी घाटी तक है। सड़क का डामरीकरण किया जा चुका है इस पर धड़ल्ले से वाहन गुजर रहे हैं।

नागौर

नागौर में रेण बाइपाइपास, इनाना बाइपास, मंडवा रिअलाइनमेंट, बड़ाया रिअलाइनमेंट का काम जारी है। पूरानी सड़क का नवीनीकरण किया जा रहा है। निर्माण कार्य अगस्त 2022 तक पूरा होना है।

7 गावों को जाम व प्रदूषण से मुक्ति

नया बाईपास कायड़, गगवाना, माकड़वाली, घूघरा, कानस, तिलोरा, होकरा, देवनगर के बाहर से निकलेगा। इससे इन गावों को प्रदूषण व जाम से मुक्ति मिलेगी। वर्तमान बाईपास आबादी से दूर है।

यह होगा फायदा

बाईपास के पूर्ण रूप से संचालित होने के बाद अजमेर-पुष्कर-नागौर के लिए आने जाने के लिए कम दूरी कवर करनी पड़ेगी। धन व समय की बचत होगी। हाइवे के आसपास पर क्षेत्र व कॉलोनियों का विकास होगा। स्वरोजगार के नए अवसर मिलेंगे। तीर्थराज पुष्कर में जाम की समय दूर होगी। स्थानीय लोगों के साथ ही देसी विदेश पर्यटकों को भी जाम से मुक्ति मिलेगी। ट्रक व हैवी ट्रोले तथा वीडियो कोच बसों के कारण अक्सर जाम लगता है। पुष्कर बस स्टैड के बाहर हमेशा ट्रैफिक बाधिक रहता है। अब नागौर के वाहन बाइपास से निकल जाएंगे। पुष्कर मेले के दौरान वन साइड के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा। ख्वाजा साहब के उर्स के दौरान भी नागौर की तरफ से आने वाले जायरीन को सुविधा होगी।

मेडिकल कॉलेज

कायड़ क्षेत्र में बनने वाले मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर व स्टॉफ तथा अन्य के आवाजाही में सुविधा होगी। यह बाइपास मेडिकल कॉलेज के बीच से निकल रहा है। इसके दोनो ओर मेडिकल कॉलेज भवन बनेगा।

बाधा भी

पूर्व में निर्माण कम्पनी ने काम छोड़ा। अब नया टेंडर कर काम करवाया जा रहा है। कुछ जगहों पद भूमि विवाद के कारण काम प्रभावित है।

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अजमेर. आखिरकार अपनी कार्यशैली को लेकर विवादों में चले अजमेर स्मार्ट सिटी के मुख्य अभियंता अनिल विजयवर्गीय को जिला कलक्टर एंव स्मार्ट सिटी के सीईओ प्रकाश रापुरोहित ने शनिवार को स्मार्ट सिटी से हटा दिया। उन्हें उनके मूल विभाग नगर निगम में भेजा गया है। वे स्मार्ट सिटी में प्रतिनियुक्ति पर थे। मुख्य अभियंता अनिल विजयवर्गीय को स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्टों की गुणवत्ता, घटिया निर्माण सामग्री के उपयोग तथा कामकाज की मोनीटरिंग में लापवाही बरत रहे थे। मुख्यालय से गायब रहने तथा बार-बार कोटा जाने पर भी जिला कलक्टर ने नाराजगी जताते हुए उन्हें जेएलएन अस्पताल व पटेल मैदान में चल रहे प्रोजेक्ट पर ही ड्यूटी देने के निर्देश दिए थे लेनिक उन्होनों निर्देशों की पालना नहीं की। इसके बाद कलक्टर ने नोटिस भी जारी किया था।

भारी पड़ रहा है अभियंताओं व ठेकेदारों का गठजोड़

स्मार्ट सिटी में अभियंता व ठेकेदारो का गठजोड़ चल रहा है,कर्ताधर्ता इंजीनियर पीडब्ल्यूडी के हैं। जिनका खुद का पद स्वीकृत नहीं है वे नियम विरुद्ध वेतन भत्ते उठा रहे हैं। अतिरिक्त मुख्य अभियंता अविनाश शर्मा के नाम पर अभी भी प्रशासनिक अधिकारियों ने चुप्पी साधी हुई है। 17 अधूरे प्रोजेक्ट अजमेर विकास प्राधिकरण को दिए जाने के मामले में भी शर्मा चर्चा में रहे थे जिसमें अब अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाडऩे के लिए विभिन्न विभागों को पत्र लिखे जा रहे हैं। जबकि कार्य की डीपीआर बनते समय और कार्यादेश देने से पूर्व सभी साइटें क्लियर होनी चाहिए लेकिन नियम कायदे ताक पर रख कार्य करवाया जा रहा था।

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अजमेर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किसानों को बड़ी सौगात दी है। मुख्यमंत्री ने किसान मित्र ऊर्जा योजना का शुभारम्भ किया। उन्होंने अजमेर विद्युत वितरण निगम क्षेत्र में 15 करोड़ से अधिक लागत के जीएसएस और मुख्य अभियंता कार्यालयों का भी लोकार्पण व शिलान्यास किया। अजमेर डिस्कॉम के प्रबन्ध निदेशक वी.एस. भाटी ने बताया कि इस योजना के तहत सामान्य श्रेणी ग्रामीण मीटर्ड एवं फ्लैट रेट कृषि उपभोक्ताओं को कृषि बिजली बिल में एक हजार रुपए प्रतिमाह व अधिकतम 12 हजार रुपये प्रतिवर्ष का अतिरिक्त अनुदान राज्य सरकार द्वारा दिया जाएगा। इस योजना के तहत अनुदान का 1450 करोड़ रुपये का भार राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।

5.5 लाख किसान होंगे लाभान्वित

अजमेर डिस्कॉम में इस योजना से 5.5 लाख किसान लाभान्वित होंगे। 10 एचपी तक के एजी कनेक्शन के बिल का भुगतान 12000 की राशि में किया जाएगा। अजमेर डिस्कॉम में लगभग 4 लाख कनेक्शन 10 एचपी तक के हैं। अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़ए प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर और राजसमंद में लगभग सभी कनेक्शन 10 एचपी से नीचे हैं। इससे डिस्कॉम को रिकवरी में भी मदद मिलेगी। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। डिस्कॉम को नागौर, सीकर व झुंझुनू जिले के कृषि उपभोक्ताओं पर ही फोकस करना होगा इसके बार बड़े कृषि कनेक्शन हैं।

भाटी ने बताया कि मुख्यमंत्री किसान मित्र ऊर्जा योजना के तहत सामान्य श्रेणी,ग्रामीण ,ब्लॉक ऑवर सप्लाई के मीटर्ड एवं फ्लैट रेट श्रेणी कृषि उपभोक्ताओं को वर्तमान में दिए जा रहे टैरिफ अनुदान के अतिरिक्त एक हजार रुपए प्रतिमाह का अनुदान ,अधिकतम 12 हजार रुपये प्रतिवर्ष विद्युत विपत्र में समायोजन के माध्यम से दिया जाएगा।

योजना मई से लागू

यह योजना विद्युत वितरण निगमों में बिलिंग माह मई 2021 अथार्त एक मई एवं उसके बाद जारी होने वाले कृषि बिलों पर लागू होगी। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री की बजट घोषणा की अनुपालना में अब से सभी कृषि उपभोक्ताओं को विद्युत विपत्र द्विमासिक ,प्रति दो माह आधार पर जारी किए जाएंगे। भाटी ने बताया कि पात्र कृषि उपभोक्ताओं को चालू बिलिंग माह में बिल जारी करते समय निगम की कोई भी पूर्व बकाया राशि नहीं होने पर विद्युत विपत्र में देय अनुदान राशि को इस योजना के तहत समायोजित कर दी जाएगी।

मुख्यमंत्री ने किया लोकार्पण व शिलान्यास

मुख्यमंत्री ने अजमेर डिस्कॉम को करोड़ों रूपए के विकास कार्यों की सौगात दी। वीसी के जरिए किए गए इस कार्यक्रम में ऊर्जा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला और चैयरमैन डिस्कॉम्स दिनेश कुमार भी उपस्थित रहे। एमडी वी.एस.भाटी ने बताया कि डिस्कॉम क्षेत्र में अजमेर में 2.30 करोड़ रूपए की लागत से हाथीभाटा स्थित मुख्य अभियंता कार्यालय का लोकार्पण किया।

यहां पावर हाउस

सीएम ने 33 केवी जीएसएस भैरूघाट झुंझुनूं, बिछीवाड़ा डूंगरपूर, हाथीदान सीकर का लोकार्पण किया। इसी तरह 33 केवी जीएसएस चुडोली सीकर, धोद सीकर, केसुन्दा प्रतापगढ,रिछावरा प्रतापगढ, लालास, मंडफि या, चंदाखेडी व मोतीपुरा सभी चितौडगढ़ का शिलान्यास किया गया। इन सभी कार्यों पर 15 करोड़ 8 लाख से अधिक राशि खर्च होगी। वीसी में निगम सचिव एन.एल. राठी, निदेशक तकनीकी के.एस.् सिसोदिया, एसीई मुकेश बाल्दी, टीएटू एमडी राजीव वर्मा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

read more: कलक्टर ने स्मार्ट सिटी के मुख्य अभियंता को हटायाकार्यशैली को लेकर चल रहे थे विवादों में

अजमेर/ब्यावर. अमृतकौर चिकित्सालय ब्यावर में 55 लाख की लागत से बन रहे ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट के प्लेटफार्म बनने के बाद धूल फांक रही है। करीब नौ लाख का डिमांड नोट दिया है। ब्यावर के अमृतकौर चिकित्सालय में ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाने के लिए उपकरण करीब एक पखवाड़े से खुले आसमां तले पड़े हैं। अब तक विद्युत कनेक्शन के लिए डिमांड राशि किस मद से जमा होगी।

उधर, जेएलएन अस्पताल,अजमेर के लिए 19.77 लाख, जनाना अस्पताल के लिए 10.99 लाख तथा श्रीनगर सीएचसी के लिए 15.51 लाख रुपए सहित 46.27 लाख रुपए खर्च कर तीनों अस्पतालों के विद्युत तंत्र को बढ़ाया जाएगा। जेएलएन अस्पताल अधीक्षक ने इसके लिए स्मार्ट सिटी को पत्र लिखा है।
ब्यावर में विद्युत निगम ने विद्युत कनेक्शन के लिए करीब नौ लाख का डिमांड नोट दिया है, लेकिन यह राशि किस मद से दी जानी है। इसको लेकर अब तक स्थिति साफ नहीं हो सकी है। ऐसे में ऑक्सीजन प्लांट में मशीनों का स्थापित करने का काम अटका पड़ा है।

विधायक कोष से मिला बजट

गौरतलब है कि अमृतकौर चिकित्सालय में 55 लाख की लागत से ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण के लिए विधायक शंकरसिंह रावत ने विधायक कोष से 55 लाख की स्वीकृति जारी की है। राज्य सरकार ने प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लान्ट लगाने की घोषणा की।

इस पर खर्च होने वाली राशि का भार नगर परिषद के जिम्मे डाल दिया, जबकि नगर परिषद इतनी बड़ी राशि वहन करने में सक्षम नहीं थी। इसके लिए सभापति नरेश कनोजिया एवं आयुक्त ने ऑक्सीजन प्लान्ट लगाने के लिए 55 लाख रुपए की राशि विधायक कोष से स्वीकृत करने का अनुरोध किया। विधायक रावत ने विधायक कोष से 55 लाख रुपए की स्वीकृति जारी की है।

हैल्थ मैनेजर, अमृतकौर चिकित्सालय, ब्यावर सिद्धांत जोशी के अनुसार ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट के लिए विद्युत कनेक्शन लिया जाना है। इसके लिए करीब नौ लाख का डिमांड नोट विद्युत निगम ने दिया है। इसके लिए अधिकारियों से मार्गदर्शन मांगा है। मार्गदर्शन मिलने पर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। यह कार्रवाई जल्द ही कर दी जाएगी।

46.27 लाख की जरूरत, स्मार्ट सिटी से मांगी राशि

अजमेर. जिले को ऑक्सीजन उपलब्धता में आत्मनिर्भर बनाने के लिए ऑक्सीजन प्लांट निर्माण में अतिरिक्त बिजली की आवश्यकता बाधक बन रही है। ऑक्सीजन प्लांट के लिए विद्युतभार में बढ़ोतरी तथा अतिरिक्त ट्रांसफॉर्मर की आवश्यकता है। श्रीनगर सीएचसी, जनाना अस्पताल तथा जेएलएन में विद्युत की मौजूदा मांग अस्पताल के हिसाब से है।

अतिरिक्त बिजली के लिए इन अस्पतालो में कोई व्यवस्था नहीं है। इसके चलते प्लांट निर्माण का काम रुका हुआ है। जेएलएन अस्पताल के लिए 19.77 लाख, जनाना अस्पताल के लिए 10.99 लाख तथा श्रीनगर सीएचसी के लिए 15.51 लाख रू पए सहित 46.27 लाख रूपए खर्च कर तीनों अस्पतालों के विद्युत तंत्र को बढ़ाया जाएगा। जेएलएन अस्पताल अधीक्षक ने इसके लिए स्मार्ट सिटी को पत्र लिखा है।

जनाना व श्रीनगर में पहुंची मशीनरी, जेएलएन में प्लेटफार्म तैयार

जिले को ऑक्सीजन उपलब्धता में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अजमेर विकास प्राधिकरण ने जिले में तीन ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने की तैयारी शुरु कर दी है। इससे दैनिक उत्पादित 300 ऑक्सीजन सिलेंडर गैस जेएलएन अस्पताल, जनाना अस्पताल तथा श्रीनगर सीएचसी में उपयोग में ली जाएगी। श्रीनगर सीएचसी तथा जनाना अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट निर्माण की मशीनरी पहुंच चुकी है। जेएलएन अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट के लिए प्लेटफॉर्म तैयार है। ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना पर 1.95 करोड़ रूपए खर्च किए जा रहे हैं।

इतनी क्षमता के होंगे ऑक्सीजन प्लांट

जेएलएन अस्पताल में 150 सिलेंडर, जनाना अस्पताल में 75 सिलेंडर तथा श्रीनगर सीएचसी में 75 सिलेंडर ऑक्सीजन गैस का प्रतिदिन उत्पादन होगा। तीन प्लांट की स्थापना के लिए प्राधिकरण आयुक्त अक्षय गोदारा ने नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं।

Ajmer अजमेर. माखुपुरा रीको औद्योगिक क्षेत्र में रविवार को वेफर्स-नमकीन के प्लास्टिक पैकिंग बनाने वाली फैक्ट्री धधक गई। आग पर काबू पाने के लिए नगर निगम की 10 से ज्यादा फायर ब्रिगेड, 5 बड़े टैंकर व सिविल डिफेंस टीम की सहायता से करीब तीन घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। अवकाश होने से फैक्ट्री में सिर्फ सुरक्षाकर्मी थे। प्रारंभिक तौर पर आगजनी शॉर्ट सर्किट से होना पता चली है।
माखपुरा रीको औद्योगिक क्षेत्र में सुरक्षा फ्लैक्सो पैक फैक्ट्री है। यहां वेफर्स और नमकीन के प्लास्टिक रैपर बनाए जाते हैं। रविवार सुबह करीब 11 बजे के आसपास अचानक फैक्ट्री के ऊपरी तल पर आग और धुआं उठता दिखा। लोगों ने तत्काल फायर ब्रिगेड को सूचना दी।

मंगवानी पड़ीं कई दमकल

सूचना मिलने पर आजाद पार्क से फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची। फायर ऑफिसर गौरव तंवर के निर्देशन में बचाव कार्य शुरू किया गया। आग लगातार धधकने से दस से ज्यादा दमकल मंगवानी पड़ीं। इसके अलावा 5 बड़े पानी के टैंकर भी मौके पर मंगवाए गए। सिविल डिफेंस की टीम ने भी मोर्चा संभाल लिया। आदर्श नगर थानाधिकारी हेमराज मंूड और अतिरिक्त जाप्ता भी डटा रहा।

काटने पड़े लोहे के शेड

फैक्ट्री के प्रथम तल पर लोहे के टिनशेड लगे हुए थे। नीचे से पानी फेंकने में फायरकर्मियों को परेशानी होती देख कटर से शेड काटा गया। काफी मशक्कत के बाद फायरकर्मियों ने आग पर काबू पाया।

बच गया केमिकल

फैक्ट्री के भूतल पर प्लास्टिक प्रिंटिंग से जुड़े ज्वलनशील केमिकल व थिनर के ड्रम रखे थे। आग प्रथम तल पर लगने से इन्हें नुकसान नहीं पहुंचा। अगर आग नीचे फैल जाती तो केमिकल धधकने से ज्यादा नुकसान होता। इसके अलावा रविवार की छुट्टी होने से फैक्ट्री में सुरक्षाकर्मी के अलावा अन्य कोई स्टाफ भी नहीं था।

मौके पर पहुंचे व्यवसायी

फैक्ट्री व्यवसायी राकेश, अनिल गुप्ता और उनके रिश्तेदार तत्काल मौके पर पहुंच गए। व्यापारियों ने लाखों रुपए का नुकसान बताया है। आग का प्रारंभिक कारण शॉट सर्किट होना सामने आया।

अजमेर. अभी कोरोना पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। इसके बाद भी लोग मास्क नहीं लगा रहे सोशल डिस्टेस की पालना करने से कतरा रहे हैं। लॉकडाउन की बंदिशे खत्म हुई तो लोग जैसे अपने को घरों में कैद समझ रहे थे। रविवार को दिनभर तेज गर्मी रही,b लेकिन शाम को बादल छाए रहने व ठंडी हवा चलने से मौसम सुहाना हो गया।

अजमेर व पुष्कर के पर्यटन स्थलों पर खासी भीड़ रही। अजमेर और पुष्कर में सैलानियों की भीड़ जुटी। दिनभर बादल छाए रहने और ठंक़ बनी रहने से लोगों ने घूमने-फिरने का लुत्फ उठाया।

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बाद अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह-तारागढ़, पुष्कर में सरोवर और ब्रह्माजी के मंदिर, आनासागर बारादरी, चौपाटी नारेली, सोनीजी की नसियां सहित पुष्कर में सैलानियों की आवाजाही कम थी। रविवार को मौसम खुशगवार हुआ तो पर्यटक भी घरों से निकल पड़े।

बारादरी-चौपाटी पर दिखी रौनक

अजमेर में आनासागर बारादरी, लिंक रोड और रीजनल कॉलेज चौपाटी पर पर्यटकों की भीड़ दिखी। लोगों ने सेल्फी पॉइन्ट्स सहित चौपाटी पर सेल्फी व फोटो लिए। देर शाम तक शहर में चहल-पहल रही।

सांझी छत पर जुटे लोग

पुष्कर-नागपहाड़ पर बनी सांझी छत भी सैलानियों और आमजन से आबाद रही। पर्यटक पुष्कर घाटी का विहंगम दृश्य देखने और फोटो खींचते दिखे। अजमेर और पुष्कर के बीच का टूरिस्ट पॉइन्ट होने से लोगों में खासा उत्साह दिखा।

पुष्कर सरोवर-धोरोंं पर भी जमघट़

पुष्कर सरोवर के घाटों और मंदिरों में भी पर्यटकों का जमावड़ा रहा। गायों को चारा, कबूतरों को दाना खिलाने का पुण्य कमाया। दिनभर मौसम सुहाना रहने से पुष्कर में पर्यटकों की आवाजाही बनी रही।

गंगापुरसिटी. शहर के रीको औद्योगिक क्षेत्र स्थित एक मकान में ऑक्सीजन रिसाव के चलते हुए हादसे ने सबको दहला दिया। लोगों में ऑक्सीजन सेचुरेशन को बनाए रखने के लिए कंसंटे्रटर पर बढ़ती निर्भरता को लेकर चिंता बढ़ गई है। लोग तकनीकी विशेषज्ञों से कार्य प्रणाली के बारे में जानकारी लेते नजर आए।
बाजार में विभिन्न क्लालिटी व क्षमता के ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर उपलब्ध है। इसमें चायनीज कंसंटे्रटर भी आ रहे है। जानकारों के अनुसार 20 किलो का कंसंटे्रटर एक साथ करीब 20 से 24 घंटे तक चलाया जा सकता है। जबकि 5 व 10 किलो के कंसंटे्रटर का कम्प्रेसर कमजोर होने से ट्रिपिंग करता है। इसे बीच-बीच में बंद करना पड़ता है। कंसंटे्रटर में पीछे लगे पॉट में 3 से 4 दिन के अन्तराल में पानी बदलने के अलावा पाइप लाइन को भी चेक करना पड़ता है।
दो मासूमों की फिक्र

ऑक्सीजन रिसाव से झुलसे दंपत्ति के 8 व 10 साल के दो बेटे हैं। सुल्तान की बीमारी के चलते बच्चे ननिहाल में थे। अब बच्चों के सिर से मां का साया उठ गया है। पिता भी हॉस्पिटल में जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अब अन्य रिश्तेदार-परिवार ही बच्चों का एक मात्र सहारा है। अचानक आए इस संकट से परिवार के लोग सहमे हुए हैं।
यह है मामला
शनिवार अलसुबह रीको औद्योगिक क्षेत्र के सामने स्थित कॉलोनी में ऑक्सीजन कंसंटे्रटर में रिसाव के बाद शॉर्ट सर्किट के चलते आग लग गई थी। इसमें मीना बड़ौदा निवासी सरकारी व्याख्याता संतोष मीना (40) की झुलसने से मौत हो गई। साथ ही पति सुल्तान मीना (45) को गंभीर में रैफर किया गया है। उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। परिजनों के अनुसार सुल्तान बीते अप्रेल में कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे। पोस्ट कोविड समस्या से उनका अजमेर मेडिकल कॉलेज में उपचार चल रहा था। तबियत में थोड़ा सुधार होने पर परिजन उन्हें करीब 2 सप्ताह पूर्व रीको एरिया स्थित मकान पर पर लाए थे।
इनका खास रखें ध्यान....
-बंद कमरे में नहीं करें ऑक्सीजन का प्रयोग, खिड़की दरवाजे रखें खुले
-पहले से ऑक्सीजन सिलेंडर वाले कमरेे में नहीं रखें एक से ज्यादा ऑक्सीजन कंसंटे्रटर या सिलेण्डर
-दूसरे सिलेंडर के लीकेज से ऑक्सीजन रिसाव हो तो नहीं जलाएं माचिस, बीड़ी-सिगरेट
- ऑक्सीजन कंसंटे्रटर की पाइप लाइन को उचित समयान्तराल में करें चेक
-आवश्यक होने पर ही घर पर लगाएं ऑक्सीजन
-कंसंट्रेटर की क्षमता 5 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन, एक साथ जमा करने पर खतरा
(जैसा फिजिशियन डॉ. अकरम खान ने बताया)

-आवश्यकता और क्वालिटी के हिसाब से बाजार में ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर उपलब्ध है। इनकी देखरेख जरूरी है। कम क्षमता वाले कंसंट्रेटर को बीच-बीच में बंद करना पड़ता है। कंसंटे्रटर में पीछे लगे पॉट का 3 से 4 दिन के अन्तराल में पानी बदले के अलावा लाइन को भी चेक करते रहना चाहिए।
-गोपाल लाल, ऑक्सीजन कंसंटे्रटर सप्लायर

धौलपुर. पिछले एक वर्ष में जिले में कुषोषित बच्चों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। जिले में जहां मार्च २०२० तक कुषोपित बच्चों की संख्या १४ हजार १९३ थी, वहीं मार्च २०२१ में यह संख्या १२ हजार ८७६ पर आ गई है। यानि जिले में अब १३१७ बच्चे कुपोषण से बाहर हो गए हैं। अगर प्रतिशत के अनुसार देखा जाए तो मार्च २०२० में १३.५८ प्रतिशत तो वहीं मार्च २०२१ में यह दर घटकर १२.२१ प्रतिशत पर आ गई है। यह घट बीस सूत्रीय कार्यक्रम में शमिल होने के कारण जिले का बीसूका में राजस्थान में तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है। यह घटक धौलपुर के आशांवित जिले मेंं शामिल होने के कारण उसमें भी शामिल हैं।

कैसे हुआ संभव
महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से बच्चों को बेबी मिक्स प्रोटीनयुक्त आहार दिया गया। इसमें गेहूं, चना, चीनी व तेल शामिल था। इसमें ९३० ग्राम वजन गर्भवती व धात्री तथा ७५० ग्राम वजन छह माह से तीन वर्ष तक बच्चों को दिया गया। वहीं तीन वर्ष से छह वर्ष तक बच्चों को दलिया व खिचड़ी दी गई। फरवरी २०२० से छह दिवस के अलग-अलग पोषाहार भी दिया गया। इसके अलावा जिले में आंगनबाड़ी केन्द्रों पर नीति आयोग से मिली राशि से न्यूट्रीशियन गार्डन बनाए गए। इससे ताजी सब्जी व अन्य फल आदि भी उपलब्ध कराए गए। इससे गार्डन में खेलने से भी बच्चों में ऊर्जा का संचार हुआ।

जिले में एक आंगनबाड़ी पर औसतन पंजीयन
- ४० बच्चे - ० से ३ वर्ष

- १५ बच्चे - ३ से ६ वर्ष -
१० - गर्भवती

१० - धात्री
जिले में लाभार्थी

ब्लॉक - लाभार्थी धौलपुर- १८९९७

सैपऊ- १४६९४

बाड़ी- १८५७०

बसेड़ी- २८२१८

राजाखेड़ा- १३९४२

कुल - ९४४२१
जिले में वर्गवार आंकड़ा

जिले में कुल लाभार्थियों की संख्या ९४४२१ है। इनमें से छह माह से ३ वर्ष तक के बच्चे ४५ हजार ११६ पंजीकृत है। इसी प्रकार ३ से ६ वर्ष तक के बच्चे २५ हजार ४३९ है। इसी प्रकार गर्भवती महिलाएं १२ हजार १६१ व धात्री ११६१२ है। इसके अलावा ९४ किशोरी बालिका भी शामिल हैं। शाला पूर्व शिक्षा के तहत जिले में किलकारी के तहत १३ हजार ८९३, उमंग में १३ हजार ८५० तथा तरंग में ४४२२ बच्चे पंजीकृत हैं।
इनका कहना है

बीस सूत्रीय कार्यक्रम के तहत जिले का राज्य में तीसरा स्थान है। ऐसे में यह भी एक घटक है। वहीं अन्य घटकों को शामिल कर यह स्थान प्राप्त किया है।

राकेश कुमार जायसवाल, जिला कलक्टर, धौलपुर।

इनका कहना है
जिले में कोरोना काल में भी घर-घर प्रोटीनयुक्त पोषाहार पहुंचाया गया। साथ ही न्यूट्री गार्डन का भी बड़ा उपयोग साबित हुआ है। इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

भूपेश गर्ग, कार्यवाहक उपनिदेशक, महिला एवं बाल विकास अधिकारी, धौलपुर।

धौलपुर. शहर में रविवार को मौसम में करवट ली। दोपहर को जमकर निकली धूप ने गर्मी को बढ़ा दिया, शाम को एक बार फिर से बादल छा जाने और हल्की बारिश से राहत मिली।

शहर में पिछले कुछ समय से भीषण गर्मी के चलते के सूर्य के तीव्र तेवरों ने दिनभर गर्मी बनी रहने के संकेत तो दिए थे, लेकिन दिन चढऩे के साथ ही धूप ने तेजी पकड़ ली और दोपहर होने से पहले ही लोग घरों में कैद होने को मजबूर हो रहे थे। शाम को आसमान में बादल छा गए। शाम को हुई हल्की बारिश के चलते कुछ समय को मौसम सुहावना हो गया, इस दौरान हवा चलने से उमस से राहत मिली। हल्की बारिश के दौरान शाम करीब अचानक बिजली गुल हो गई। ऐसे में लोगों बिजली कटौती ने कोढ में खाज का काम किया। बिजली गुल हो जाने के कारण लोग घरों में बैचेन नजर आए।

बारिश से किसानों के खिले चेहरे,मौसम हुआ सुहाना

बसई नवाब. कस्बे में रविवार शाम को हुई बारिश ने किसानों की उम्मीदें बढ़ा दी हैं। पानी बरसा तो किसान खुशी से झूम उठे। यह बारिश किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। पिछले कई दिनों से बारिश न होने से किसान बेहद परेशान थे। किसानों को अपनी फसलों के बर्बाद होने की चिंता सता रही थी। यही दुआ कर रहे थे कि किसी भी तरह पानी बरस जाए। मानसून आने के बाद कस्बे में खरीफ की बुवाई भी हो चुकी है, लेकिन इधर आसमान से बादल जैसे गायब ही हो गए। गर्मी से लोग बेहाल हुए तो खेतों की फसलें भी मुरझाने लगीं। यह देखकर किसान मायूस हो गए थे। रविवार को बारिश होने से किसानों के चेहरे पर खुशी झलक रही है।

मौसम हुआ सुहावना
कई दिनों से चली आ रही भीषण गर्मी के कारण लोगों का बुरा हाल था। रविवार शाम को बरसात होने के कारण मौसम सुहाना एवं खुशनुमा हो गया। जिसके कारण लोगों को गर्मी से राहत मिली और कई जगह बसई नवाब कस्बे में जलभराव की स्थिति दिखाई दी

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