-बोटिंग नहीं होने के साथ फववारा खराब होने के कारण स्थिति हुई विकट
- अमरसिंह की छतरी देखने आने वाले करते थे बोटिंग, शहरवासी भी उठा रहे थे लुफ्त
-जड़ा तालाब में बोटिंग से नगरपरिषद को मिलता था खासा राजस्व
-अब अमर सिंह छतरी देखने आने वाले बोटिंग की सुविधा नहीं मिलने से हो रहे मायुस, तालाब का सौन्दर्य भी प्रभावित
नागौर. ऐतिहासिक जड़ा तालाब में तकरीबन डेढ़ साल से बोटिंग बंद है। बोटिंग होने के साथ ही यहां पर आकर्षक फाउण्टेन भी क्षतिग्रस्त हो चुका है। शहर के सौन्दर्यीकरण का पर्याय माने-जाने वाले तालाब में बोटिंग होने से हालात बेहद ही खराब हो गए हैं। बोटिंग चलने की अवधि के दौरान जहां यहां पर शहरवासियों की भीड़ उमड़ती थी, वहीं अब यह ऐतिहासिक तालाब सन्नाटे में डूब गया है। यही नहीं, बल्कि यहां पर आने-जाने वाले आए दिन कुछ न कुछ तोड्फोड़ करते रहते हैं। इससे शहर के सौन्दर्यीकरण पर अब ग्रहण लगने के साथ ही बोटिंग का लुफ्त उठाने की सुविधा भी शहरवासियों से छिन गई है। बताते हैं कि
शहर के ऐतिहासिक जड़ा तालाब के सौन्दर्य पर खुद जिम्मेदारों ने ही ग्रहण लगा दिया है। बोटिंग के दौरान साफ-सुथरा नजर आने वाला जड़ा तालाब भी अब मटमैला एवं गंदा भी होने लगा है। पहले जहां इसका पानी पूरी तरह से पारदर्शी नजर आता था, आज इस तालाब में गंदगी जमने लगी है। इसके कारण न केवल तालाब का सौन्दर्य प्रभावित हुआ है, बल्कि पर्यावरण के साथ ही यहां पर अब आने वालों की संख्या में भी काफी कमी आ गई है। बोटिंग बंद होने के बाद से स्थिति विकट होती नजर आने लगी है। इस संबंध में नगरपरिषद के अधिकारियों से बातचीत हुई तो इसके बंद होने का कोई संतोषजनक कारण सामने नहीं आया।
परिषद का राजस्व भी कम हुआ
विभागीय पड़ताल में सामने आया कि जड़ा तालाब में बोटिंग होने से पहले जहां खासा राजस्व मिलता था, वहीं अब यहां से मिलने वाले राजस्व की स्थिति शून्य हो गई है। अमर सिंह छतरी देखने वालों में ज्यादातर बोटिंग का लुफ्त जरूर उठाते थे। तालाब में लगा फाउण्टेन भी आने वालों को यादगार सेल्की आदि के तौर पर प्रेरित करता हुआ नजर आता था, लेकिन बोटिंग होने के साथ ही क्षतिग्रस्त हुए फाउण्टेन के मरम्मत करने की जहमत भी जिम्मेदारों की ओर से नहीं उठाई गई। इसकी वजह से कभी शहर के सौन्दर्य की पहचान के तौर पर नजर आने वाला जड़ा तालाब अब खुद अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है। हालांकि पूर्व में नगरपरिषद की ओर से आश्वस्त किया गया था कि जल्द ही नावें आदि व्यवस्थित कर निविदा प्रक्रिया आमंत्रित कर बोटिंग को चालू करेंगे, लेकिन यह कथन केवल आश्वासन बनकर रह गया। परिषद की बेपरवाही के चलते अब शहरवासी बोटिंग का बिलकुल लुफ्त नहीं उठा पा रहे हैं।
अथम प्रयास के बाद शुरू हुई थी बोटिंग
राजस्थान पत्रिका की ओर से शुरू किए गए अभियान के तहत सबसे पहले पत्रिका के अमृतं जलम् अभियान के तहत जनसहयोग से श्रमदान के माध्यम से तालाब की सफाई का कार्य शुरू किया गया था। करीब दो माह तक प्रत्येक रविवार को किए गए श्रमदान में सैकड़ों लोगों ने अपना पसीना बहाकर तालाब की तस्वीर बदलने में सहयोग किया। श्रमदान कार्य पूरा होने के बाद तालाब की खुदाई का काम शुरू करवाया। इस बीच तालाब में होने वाले गंदे पानी की निकासी भी बंद करवाई। अभियान के तहत आयोजित हुए श्रमदान कार्यक्रमों में शामिल हुए लोगों ने जड़ा तालाब में पसरी गंदगी को साफ किया एवं सौंदर्यकरण में अपना हरसंभव सहयोग देने का वादा किया। इसके पश्चात तत्कालीन जिला कलक्टर की ओर से राजस्थान पत्रिका की पहल पर यहां बोटिंग की व्यवस्था कराए जाने के साथ ही सौन्दर्यीकरण में करोड़ों की राशि व्यय किया गया था। अब बोटिंग बंद होने से न केवल व्यय किए गए करोड़ों की राशि की सार्थकता पर पानी फिरता नजर आने लगा है, बल्कि अब शहर के सौन्दर्य पर जिम्मेदारों की बेपरवाही भारी पड़ती नजर आने लगी है।
इनका कहना है...
शहर के जड़ा तालाब में बोटिंग के संबंध में जल्द ही यथोचित कदम उठाए जाएंगे।
देवीलाल बोचल्या, आयुक्त नगरपरिषद नागौर