-राजीव दवे
पाली। जिले में पहली बरसात के बाद किसानों को अच्छे जमाने की आस जगी और उन्होंने खेतों में हल जोत दिए। जिले के 59 हजार 414 हैक्टेयर में एक जुलाई तक बुवाई कर दी। जिस पर काले बादलों की जगह अब संकट के बादल मंडरा रहे है। गर्मी व तपन के कारण फसल सूखने लगी है। किसानों के माथे पर चिंता की झलक उभरने लगी है। बरसात नहीं होने पर जिले में करीब 100 करोड़ रुपए का नुकसान हो जाएगा। इधर, कृषि विशेषज्ञों के अनुसार आठ-दस दिन में बरसात नहीं होने पर पहली बरसात के बोए बीज खराब हो जाएंगे। ऐसे में किसानों को फिर से बुवाई करनी होगी। उसमें भी समय अधिक निकलने के कारण किसान अधिक लाभ वाली फसल की बुवाई नहीं कर सकेंगे।
फसल पर इतना आ जाता है खर्च
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार फसल बुवाई पर अच्छा बीज लेने व अन्य कार्यों के कारण खर्च भी बढ़ता है। मूंग की एक हैक्टेयर में बुवाई पर करीब 18 हजार रुपए, ज्वार-बाजरा पर 12 हजार, ग्वार पर 18 हजार, तिल पर 20 हजार व कपास की फसल पर 50 हजार रुपए तक का खर्च आता है।
60 दिन में तैयार होती मूंग की फसल
मूंग की फसल के लिए उपचारित बीज बोने पर 60 दिन में ही तैयार हो जाती है। ज्वार के लिए भी कम समय व कम पानी चाहिए। इसके अलावा अन्य फसलों को बुवाई के बाद 90 से 110 दिन का समय लगता है। ऐसे में बरसात नहीं होने पर किसान कम समय व कम पानी में होने वाली फसल बोएंगे। जो सितम्बर तक तैयार हो जाए।
दस दिन में बरसात होना जरूरी
किसानों ने बरसात के बाद बुवाई की थी। अब फसल को पानी की जरूरत है। जिले में सप्ताह से दस दिन में बरसात आना जरूरी है। इसके अभाव में फसल खराब हो जाएगी। इसके बाद फिर से बुवाई करनी पड़ सकती है। ऐसे में फिर किसान कम समय में होने वाली मूंग व ज्वार की बुवाई अधिक करेंगे। -मनोज अग्रवाल, सहायक निदेशक, कृषि विस्तार, पाली
इतने क्षेत्र में यह उगाई गई फसल
ज्वार : 16,399 हैक्टेयर
बाजरा : 1025 हैक्टेयर
मक्का : 4007 हैक्टेयर
मूंग : 18,117 हैक्टेयर
उड़द : 697 हैक्टेयर
चवला : 299 हैक्टेयर
मूंगफली : 433 हैक्टेयर
तिल : 11,651 हैक्टेयर
कपास : 6786 हैक्टेयर