>>: जिला परिषद : काल्पनिक एरियर के नाम पर लाखों का 'खेल'

>>

Patrika - A Hindi news portal brings latest news, headlines in hindi from India, world, business, politics, sports and entertainment!

अलवर. इस समय जिला परिषद कई मामलों को लेकर सुर्खियों में है। कभी फर्जी नियुक्तियों का खुलासा हो रहा है तो कभी कर्मचारियों की तैनाती का। अब मामला काल्पनिक एरियर (नोशनल परिलाभ) का सामने आया है जो नियमों की धज्जियां उड़ाकर जारी किया गया है। बताते हैं कि इस एरियर जारी करने में लाखों का खेल हुआ है। सरकार को चूना लगाया गया है। हैरत तो ये है कि जिला परिषद ने बिना अनुमोदन के ही मौखिक आदेशों पर यह एरियर जारी किया है, जिसका उल्लेख जिला स्थापना सिमिति की 24 मार्च 2023 को हुई बैठक कार्यवाही के विवरण में बिंदु संख्या आठ में किया गया है। अब इस प्रकरण को कुछ कर्मचारियों ने सरकार तक पहुंचाया है।


ये था मामला

वर्ष 2013 में कनिष्ठ लिपिक सीधी भर्ती हुई थी। उस दौरान ग्राम पंचायतों आदि जगहों पर कार्यरत संविदा के कर्मचारियों ने इसमें भाग लिया। यह उस समय लेखा सहायक थे, जो एलडीसी नहीं बनना चाहते थे। इनमें कुछ ऐसे अभ्यर्थी थे जिनके पास वैद्य कंप्यूटर योग्यता से लेकर अन्य अभिलेख नहीं थे। उस दौरान परिषद ने इनका चयन नहीं किया तो करीब 30 कर्मचारी हाईकोर्ट पहुंचे। वहां से कर्मचारियों के हित में निर्णय आया। कहा गया कि उनको नौकरी दी जाए और काल्पनिक एरियर भी जारी किया जाए। इस आदेश को चुनौती देने से सरकार ने मना कर दिया। आखिर में सरकार को इन कर्मचारियों को वर्ष 2017 में नौकरी दे दी। यह विभिन्न स्थानों पर तैनात कर दिए गए। हालांकि इनकी सेवाएं ऑनलाइन रिकॉर्ड में वर्ष 2015 में मानी गईं।


दो साल का एरियर अतिरिक्त दिया
सरकार को शिकायत भेजने वाले कर्मचारियों का तर्क है कि इन कर्मचारियों को वर्ष 2017 से लेकर 2019 तक फिक्स वेतन दिया जाना था और उसके बाद यह काल्पनिक एरियर के हकदार थे लेकिन परिषद ने इनकी ज्वाइन करने की तिथि से लेकर वर्ष 2023 तक का एरियर जारी कर दिया। किसी कर्मचारियों को तीन तो किसी को चार लाख रुपए मिले। आरोप है कि परिषद ने नियमों की अनदेखी की है। यदि कर्मचारियों की फिक्सेशन वर्ष 2015 से की है तो भी परिषद को नोशनल परिलाभ देने के नियम देखने चाहिए थे। यह लाभ उसी िस्थति में दिया जा सकता है जब फिजिकल रूप से ज्वाइनिंग होती है। कहा, जारी किया गया एरियर अनियमित भुगतान में आता है। ऐसे में इस प्रकरण की जांच की जाए। साथ ही दो साल का जारी किया गया अतिरिक्त काल्पनिक एरियर मयब्याज के वसूला जाए। दोषी अफसरों पर कार्रवाई हो।

वर्ष 2013 में लेखा सहायकों ने एलडीसी की नियुक्ति नहीं ली। बाद में यह वर्ष 2017 में एलडीसी बन गए। सरकार से मांग कर रहे थे कि उन्हें वर्ष 2013 से काल्पनिक एरियर दिया जाए। हमने जो कुछ भी किया है वह नियमों के तहत ही किया है।
- रेखा रानी व्यास, कार्यवाहक मुख्य कार्यकारी अधिकारी

You received this email because you set up a subscription at Feedrabbit. This email was sent to you at rajisthanews12@gmail.com. Unsubscribe or change your subscription.