>>: भीलवाड़ा का एक ऐसा मंदिर जहां श्रीनाथजी व द्वारकाधीश एक साथ विराजमान

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भीलवाड़ा. भीलवाड़ा शहर में ऐसा मंदिर है, जहां पुष्टिमार्गीय तृतीय पीठ प्रन्यास प्रभु श्रीनाथजी और द्वारिकाधीश की प्रतिमा एक साथ विराजमान है। यह देश का पहला मंदिर है, जहां दोनों प्रतिमाएं एक साथ हैं। हालांकि अन्य मंदिरों में दोनों की प्रतिमाएं एक परिसर में है, लेकिन एक मंदिर में साथ-साथ नहीं है। यह मंदिर भीलवाड़ा शहर के रोडवेज बस स्टैंड के पास स्थित आनंदधाम हवेली में है। यहां तृतीया गृह कांकरोली पीठाधीश्वर डॉ.वागीश कुमार की प्रेरणा से श्रीनाथजी, द्वारकाधीश तथा लाडले लालजी विराजमान हैं। मंदिर 42 हजार 511 वर्ग फीट में बना है।


इस तरह होते दर्शन

यहां ठाकुरजी की अष्टयाम सेवा प्रणाली से दर्शन होते हैं। सुबह 8 बजे मंगला दर्शन में ठाकुरजी को जगाकर दूध का भोग लगाया जाता है। 10 बजे श्रृंगार दर्शन होते हैं। इसमें ठाकुरजी का श्रृंगार किया जाता है। दिन में 11.30 बजे राजभोग के दर्शन होते हैं। शाम 5 बजे ठाकुरजी के उत्थापन दर्शन होते हैं। शाम 6.15 बजे भोग आरती के दर्शन एवं शाम 7.15 बजे शयन दर्शन होते है। उसके बाद ठाकुरजी को शयन कक्ष में पोढ़ाया जाता है। इन सब दर्शनों में सेवा, श्रृंगार, भोग, कीर्तन का क्रम ऋतु अनुसार होता है।
ये होते हैं महोत्सव

वर्ष के प्रारम्भ से मकर सक्रांति, बसंत पंचमी, फागोत्सव, डोल, हिंदी नव वर्ष, रामनवमी, नृसिंह जयंती, नाव मनोरथ, जल विहार, रथ यात्रा, हिंडोला, जन्माष्ठमी, नंदोत्सव, सांझी, नव विलास, दशहरा, शरद रास, दीपोत्सव, अन्नकूट, गोवेर्धन पूजा, आदि मुख्य उत्सव मनाए जाते हैं। इनके अलावा सावन मास में आकर्षक हिंडोले व अधिक मास के पूरे महीने उत्सवों का भी आनंद मिलता है। बहुत ही कम समय मे आनंदधाम हवेली ने शहर के मंदिरों व धार्मिक स्थलों में प्रमुख स्थान बनाया है।
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इन्होंने बनवाया मंदिर
मंदिर का निर्माण भीलवाड़ा के बगतावर मल व रामस्वरुरूप बाहेती के पुत्र राजेन्द्र बाहेती ने करवाया। मंदिर पुष्टिमार्गीय प्रणाली के अनुसार तृतीय पीठाधीश्वर ब्रजेश कुमार, वागीश कुमार गोस्वामी निर्देशन में निर्माण हुआ है। हवेली में बाग बगीचा, झरना, कमल कुण्ड, गोशाला है, जो इसके सौंदर्य में चार चांद लगाता है।

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