>>: ना बीएल सोनी... ना दिनेश एमएन.... चुनाव के साल में भ्रष्टाचारियों की बल्ले बल्ले.. कैसे होगी जीरो टॉलरेंस...!

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जयपुर
राजस्थान में ये चुनावी साल है। हर विभाग को टाइट कर बेहतर रिजल्ट दिलाने के लिए सीएम खुद हरकत में हैं। विभागों की लगातार समीक्षा की जा रही है और जहां जरुरत है वहां खिंचाई भी की जा रही है, ताकि किसी भी विभाग में भ्रष्टाचार नहीं पनपे और जनता के काम नहीं अटकें। लेकिन जिस विभाग पर सबसे ज्यादा जिम्मेदारी है भ्रष्टाचार को रोकने की वही विभाग इस चुनावी साल में सुस्त हो गया है। विभाग है भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, जिस पर जीरो टॉलरेंस का जिम्मा है। लेकिन यह विभाग पिछले सालों की तुलना में अच्छा परफार्म नहीं कर रहा है। इस साल के शुरुआती छह महीनों में तो विभाग की स्पीड बेहद धीमी हो गई है। साल के शुरुआत में ही विभाग के मुखिया बदल दिए गए थे।

न सोनी की रणनीति और न ही एमएन का खौफ.... बल्ले बल्ले हो रही भ्रष्टाचारियों की
दरअसल पिछले साल के आखिरी दिन यानि 31 दिसम्बर को एसीबी के डीजी... बीएल सोनी रिटायर हो गए थे। उन्हें विभाग ने यादगार विदाई दी थी। उनके रिटायरमेंट के साथ ही पुलिस विभाग की सबसे खूंखार टीम भी टूट गई। यानि बीएल सोनी के रिटायर होने के साथ ही एडीजी एसीबी दिनेश एमएन की जोड़ी टूट गई। दोनो अफसरों ने मिलकर दो साल में आईएएस स्तर तक के अफसरों की पोल खोली थी। सोनी के रिटायर होने के कुछ समय के बाद उनका भी तबादला हो गया। दिनेश एमएन को पुलिस मुख्यालय बुला लिया गया। उसके बाद एसीबी के डीजी की अतिरिक्त जिम्मेदारी आईपीएस हेमंत प्रियदर्शी को दे दी गई। जिम्मेदारी मिलने के साथ ही दो विवादित फैसलों ने उनकी कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए।

एक साल में 511 ट्रेप, और इस साल अब तक सिर्फ 126 केस
विभाग के मुखिया और अन्य सीनियर अफसरों के रिटायरमेंट और तबादलों के बाद तो मानो भ्रष्टाचार करने वालों की मौज हो गई। एसीबी के आंकड़े खुद इसके गवाह हैं। एसीबी से मिली जानकारी के अनुसार इस साल जून तक सिर्फ 126 ट्रेप किए गए हैं। यानि 180 दिन में सिर्फ 126 ट्रेप....। औसतन एक दिन का एक भी ट्रेप नहीं किया गया। जबकि पिछले सालों की तुलना की जाए तो साल 2021 और 2022 में दो साल के दौरान ही करीब ग्यारह सौ ट्रेप किए गए थे। पिछले साल यानि साल 2022 में 511 ट्रेप किए गए थे एक साल के दौरान। यानि हर दिन दो दिन में करीब तीन कार्मिकों को ट्रेप किया गया। इन ट्रेप के दौरान कई बड़े अफसर भी ट्रेप किए गए। जिनमें कलक्टर और एसपी स्तर के अफसर शामिल रहे।

टोल फ्री नंबर और मोबाइल नंबर जारी कर रखा है एसीबी ने....... हर रोज दर्जनों कॉल लेकिन..
एसीबी का जिम्मा संभाल रहे शीर्ष अफसरों ने दो साल के दौरान एसीबी के नाम से सरकारी विभागों में कोहराम मचा दिया था। एसीबी का इतना खौफ हो गया था कि एसीबी अफसरों से लगातार संपर्क करने लगे थे पीडित। आसानी से एसीबी से संपर्क हो सके और जरुरतमंद को मदद मिल सके इसके लिए पूर्व डीजी बीएल सोनी ने एक टोल फ्री नंबर और एक मोबाइल नंबर जारी किया था जिसका प्रचार होने के बाद इन नंबरों पर कॉल आने शुरु हो गए। इसके अलावा जिन लोगों के पास ट्रेप कराने के लिए पैसा नहीं होता था उनके लिए सरकार से पचास लाख रुपए का फंड भी दिलवाया गया। लेकिन अब चुनावी साल में एसीबी की परर्फामेंस पिछले दो सालों के स्तर की नहीं रह गई है।

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