>>: इस क्षेत्र में नागौर जिले के लोगों ने कर दिया कमाल, जानिए क्या है मामला

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नागौर. पश्चिमी राजस्थान में आने वाले नागौर जिले में पिछले कुछ वर्षों से पर्यावरण संरक्षण के प्रति आई जागरुकता की बदौलत तस्वीर बदल रही है। जिले का आधा हिस्सा रेगिस्तानी है, लेकिन आमजन की ओर से लगातार किए जा रहे पौधरोपण से अब हरियाली नजर आती है। इसी का परिणाम है कि जिले में वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2021 में जिले में 15.45 प्रतिशत वनावरण में वृद्धि हुई है, जो प्रदेश में सबसे अधिक है। इंडिया स्टेट ऑफ फोरेस्ट की रिपोर्ट 2021 के अनुसार जिले में वनावरण का क्षेत्र 22.72 वर्ग किलोमीटर बढ़ा है, जबकि दूसरे स्थान पर पड़ौसी जिले बीकानेर में 9.34 प्रतिशत एवं तीसरे स्थान पर अजमेर में 8.67 प्रतिशत वनावरण बढ़ा है। वहीं चिंता का विषय यह भी है कि प्रदेश के जालौर जिले में 32.46 वर्ग किमी तथा करौली में 26.16 वर्ग किमी वनावरण कम हुआ है।

इन जिलों में एक प्रतिशत भी नहीं हुई वृद्धि
इंडिया स्टेट ऑफ फोरेस्ट की रिपोर्ट 2021 के अनुसार प्रदेश के 19 जिलों में ही वनावरण में वृद्धि हो पाई है। इसमें भी आधा दर्जन से अधिक जिले ऐसे हैं जिनमें पूरी एक प्रतिशत भी वृद्धि नहीं हुई है। राज्य सरकार के वन मंत्रालय की ओर से विधानसभा में दी गई रिपोर्ट के अनुसार बांसवाड़ा में 0.07 प्रतिशत, भीलवाड़ा में 0.05 प्रतिशत, चित्तौडगढ़़ में 0.13 प्रतिशत, धौलपुर में 0.02 प्रतिशत, डूंगरपुर में 0.74 प्रतिशत, जयपुर में 0.38 प्रतिशत, झावावाड़ में 0.25 प्रतिशत, झुंझुनूं में 0.09 प्रतिशत, सवाई माधोपुर में 0.41 प्रतिशत तथा टोंक में 0.51 प्रतिशत वन वृद्धि हुई है।

सरकार 10 योजनाओं में खर्च करती है 200 करोड़
विधानसभा में एक विधायक की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार के वन मंत्रालय ने बताया कि गत तीन वर्षों में पौधरोपण के लिए विभिन्न योजनान्तर्गत प्रतिवर्ष 200 करोड़ रुपए से अधिक का प्रावधान रखा गया है। गत पांच वर्षों में दस योजनाओं में 1226 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इन योजनाओं में पर्यावरण वानिकी, भाखड़ा नांगल नहर वृक्षारोपण, गंग नहर वृक्षारोपण, परिभ्रांषित वनों का पुर्नरारोपण, जलवायु परिवर्तन एवं रेगिस्तान विस्तार की रोकथाम, नाबार्ड वित्त पोषित परियोजना, राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता परियोजना, राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम, कैम्पा एवं इंदिरा गांधी नहर परियोजना में पुर्नवृक्षारोपण आदि शामिल हैं।

आम आदमी की महत्वपूर्ण भूमिका
जिले में वनावरण में जो वृद्धि हुई है, उसमें आम आदमी की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। हमने आम आदमी को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने का काम किया। पेड़ों की कटाई रुकवाई, प्रचार-प्रसार किया। कुछ वर्ष पहले जिला कलक्टर रहे समित शर्मा के साथ चलाया गया अभियान भी जिले में एक नई क्रांति लाया। मुझे पद्मश्री मिलने के बाद पर्यावरण प्रेमियों में नई ऊर्जा का संचार हुआ। जहां तक वन विभाग की बात है तो वहां तो पूरे अधिकारी और कर्मचारी ही नहीं है। वन विभाग केवल पौधे वितरण का काम करता है।
- पद्मश्री हिम्मताराम भांभू, पर्यावरण प्रेमी, नागौर

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