>>: सरकार ने रोकी अलवर के विकास की राह

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अलवर. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) ही नहीं प्रदेश के महत्वपूर्ण जिलों में शुमार रहे अलवर को जिले को अपनी पहचान कायम करने के लिए बेहतर कनेक्टिविटी की जरूरत है। बड़े शहरों से जुड़ाव होने पर ही अलवर में फिर से औद्योगिक विकास हो सकेगा, वहीं खनन एवं अन्य व्यापार विकसित हो अलवर की अर्थ व्यवस्था का मजबूत आधार बन सकेंगे।
अलवर की लंबे समय से तक औद्योगिक जिले के रूप में पहचान रही है। इसका कारण है कि कुछ दिन पहले तक भिवाड़ी, नीमराणा एवं खैरथल औद्योगिक और व्यापारिक शहर अलवर जिले का हिस्सा रहे। इन शहरों की व्यापारिक एवं औद्योगिक गतिविधियां ही अलवर जिले की मजबूत अर्थ व्यवस्था का आधार रही, लेकिन गत 7 अगस्त को ये औद्योगिक व व्यापारिक शहर पड़ोसी जिले खैरथल- तिजारा एवं कोटपूतली- बहरोड़ का हिस्सा बन गए। इससे अलवर की अर्थ व्यवस्था का आधार छिन गया। यही कारण है कि अलवर को फिर से अपनी पहचान कायम करनी होगी और इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है बड़े एवं औद्योगिक शहरों से बेहतर कनेक्टिविटी।

रोड व रेल की बेहतर हो साधन

अलवर जिले की वर्तमान में रोड व रेल कनेक्टिविटी सामान्य है। अलवर से दिल्ली- मुम्बई एक्सप्रेस गुजर रहा है, लेकिन इसका दिल्ली, गुरुग्राम, मुम्बई, गुजरात एवं मध्यप्रदेश आदि प्रदेशों से सीधा जुड़ाव अभी नहीं हो सका है। जबकि किसी भी औद्योगिक शहर के लिए बड़े औद्योगिक एवं व्यापारिक शहरों से जुड़ाव जरूरी है। वहीं कोटपूतली- पनियाला नेशनल हाइवे का निर्माण शुरू नहीं होने से चंडीगढ़, अमृतसर एवं हरियाणा के कई बड़े शहरों से जुड़ाव नहीं हो पाया है। इसी तरह अलवर से रेल सेवा है, लेकिन यह दिल्ली, जयपुर, अजमेर आदि शहरों के लिए ही संभव हो पा रही है। बड़े शहरों तक रेल सेवा से अभी जुड़ाव की जरूरत है।

कनेक्टिविटी है विकास का आधार

किसी भी शहर के विकास का आधार वहां की बड़े एवं औद्योगिक व व्यापारिक शहरों से बेहतर कनेक्टिविटी मानी जाती है। कनेक्टिविटी के मामले में अलवर अभी सामान्य िस्थति में है। यहां से सीधे मुम्बई, कोलकाता, गुजरात, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा एवं दक्षिण के राज्यों की कनेक्टिविटी बढ़े तो अलवर को औद्योगिक एवं व्यापारिक दृष्टि से लाभ हो सकता है। अलवर में नए उद्योग पनप सकते हैं।

पर्यटन स्थलों से हो कनेक्टिविटी

दो नए जिले बनने के बाद अलवर जिले की अर्थ व्यवस्था का प्रमुख आधार पर्यटन रह गया है। सरिस्का टाइगर रिजर्व, सिलीसेढ, अजबगढ़ भानगढ़, भर्तृहरिधाम, पाण्डुपोल एवं अलवर के पर्यटन स्थलों के लिए बड़े शहरों से बेहतर कनेक्टिविटी हो तो यहां पर्यटकों की संख्या बढ़ सकती है। पर्यटन बढ़ने का सीधा लाभ अलवर की अर्थ व्यवस्था को होगा और रोजगार बढ़ेगा। इससे अलवर की नई पहचान बन सकेगी।

फैक्ट फाइल

अलवर जिले में उपखंड- 9

अलवर जिले में तहसील-12
रीको औद्योगिक क्षेत्र- एमआइए, पुराना औद्योगिक क्षेत्र, राजगढ़, थानागाजी।

प्रस्तावित औद्योगिक क्षेत्र- रामगढ़, कठूमर, मालाखेड़ा, रैणी, लक्ष्मणगढ़, गोविंदगढ़।
बड़े शहरों से कनेक्टिविटी- दिल्ली- मुम्बई एक्सप्रेस वे

प्रस्तावित नेशनल हाइवे- कोटपूतली- पनियाला
प्रमुख कनेक्टिविटी- मेगा हाइवे अलवर से जयपुर, सरिस्का होकर अलवर से जयपुर

बने औद्योगिक कोरिडोर

अलवर जिले में बडोदामेव से पिनान होकर दिल्ली- मुम्बई एक्सप्रेस वे निकल रहा है। एक्सप्रेस वे के आसपास सरकार की ओर से औद्योगिक कोरिडोर का निर्माण कराया जाए तो यह निर्णय अलवर को नई पहचान दिलाने में सहायक हो सकेगा। वहीं प्रस्तावित कोटपूतली- पनियाला एक्सप्रेस वे के दोनों ओर औद्योगिक कोरिडोर का निर्माण जरूरी है।

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