>>: पर्यटन को लगे पंख तो नमक उद्योग को पुन: जीवित करने की भी दरकार

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परमाणु परीक्षण के बाद विश्व के मानचित्र पर उभरे सरहदी जिले के पोकरण की तीन उम्मीदें वर्षों से पूरी होने का इंतजार है। पोकरण को पर्यटन नगरी बनाने, नमक उद्योग को पुन:जीवित करने और पोकरण से रामदेवरा नई रेल लाइन लगाने की मांग की जा रही है, लेकिन पूरी नहीं हो रही। अब नई सरकार के गठन के साथ लोगों की उम्मीदें फिर से परवान चढ़ रही है। गौरतलब है कि पोकरण ऐतिहासिक, धार्मिक व सामरिक रूप से महत्वपूर्ण स्थल है। पोकरण में कई ऐतिहासिक स्थल है, जिससे पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा मिल सकता है। लोकदेवता बाबा रामदेव की समाधि स्थल पर प्रतिवर्ष 40 से 50 लाख श्रद्धालु पहुंचते है। इसके अलावा भी पोकरण में कई दैवीय मंदिर भी स्थित है। इसी प्रकार विस्तृत भू-भाग में फैली पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज, 1974 व 1998 में हुए परमाणु परीक्षणों और सेना व बीएसएफ की स्थायी छावनियों के कारण पोकरण सामरिक रूप से भी महत्वपूर्ण है।

पर्यटन को मिले बढ़ावा

परमाणु परीक्षण के बाद पोकरण को विश्व मानचित्र पर तो जगह मिली, लेकिन पोकरण अभी तक पर्यटन के मानचित्र पर जगह नहीं बना सका है। सरकार की ओर से पोकरण के ऐतिहासिक स्थलों, लाल पत्थर की हवेलियों, बालागढ़ फोर्ट, कलात्मक छतरियों, तालाबों, मंदिरों पर विकास कार्य करवाकर देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए विशेष प्रयास करे तो यहां पर्यटन व्यवसाय बढ़ सकता है। इसी प्रकार जैसलमेर में होने वाले मरु मेले का दो दिन तक पोकरण में स्थायी रूप से आयोजन करवाकर भी पर्यटकों का पोकरण में ठहराव सुनिश्चित किया जा सकता है।

नमक उद्योग हो पुनर्जीवित

पोकरण के उत्तर-पूर्व दिशा में विशाल भू-भाग में रिण क्षेत्र है। यहां बारिश के दौरान पानी जमा होता है। करीब चार दशक पूर्व तक पोकरण में नमक व्यवसाय परवान पर था। यहां 50 से अधिक लोगों को भूमि आवंटित की गई थी और उनकी ओर से नमक उत्पादित कर रेलों के माध्यम से फैक्ट्रियों में भिजवाया जाता था। रेलवे की ओर से पीस मील लोडिंग बंद कर दिए जाने के कारण नमक व्यवसाय ठप हो गया, जो अब दम तोड़ रहा है। राज्य सरकार की ओर से केन्द्र सरकार को अनुशंसा कर पीस मील लोडिंग पुन: शुरू की जाती है तो पोकरण के नमक व्यवसाय को जीवनदान मिल सकेगा। साथ ही सैकड़ों लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

 

बिछे अतिरिक्त रेल लाइन

जोधपुर रेल मंडल में किसी जमाने में पोकरण आखिरी रेलवे स्टेशन हुआ करता था। रेल लाइनों के विस्तार के बाद गोमट से जैसलमेर तक रेल लाइन बिछाई गई। ऐसे में पोकरण गोमट से अंदर की तरफ रह गया और जैसलमेर के लिए बाइपास रेल लाइन हो गई। लंबी दूरी की रेलों से पोकरण अछूता रह जाता है। हालांकि कुछ माह पूर्व यहां तीन-चार रेलों का संचालन शुरू किया गया है, लेकिन स्थायी रूप से नहीं। इसका मुख्य कारण है कि पोकरण स्टेशन पर रेल आने के बाद इंजन को वापिस घुमाने में 20 मिनट का समय लग जाता है और रेल करीब आधे घंटे तक यहां रोकनी पड़ती है। ऐसे में यदि पोकरण से कैलाश टैकरी होते हुए रामदेवरा तक सीधी अतिरिक्त रेल लाइन बिछा दी जाती है तो इस समस्या का समाधान हो जाएगा। इसके लिए पूर्व में सर्वे भी हो चुका है और दूसरी बार सर्वे कार्य स्वीकृत किया गया है।

 

फैक्ट फाइल

-5 किलोमीटर परिधि में फैला है पोकरण कस्बा

-1974 व 1998 में पोकरण में हुए थे परमाणु परीक्षण

-1939 से पोकरण में संचालित है रेलवे स्टेशन

-40 वर्षों से बंद है पीस मील लोडिंग

-12 से अधिक पर्यटक स्थल है पोकरण में

 

...तो मिलेगी पहचान, बढ़ेगा रोजगार

वर्षों पूर्व पोकरण में उद्योग के नाम पर केवल नमक उत्पादन व्यवसाय ही था। पीस मील लोडिंग बंद हो जाने के बाद नमक का पर्याप्त भाव नहीं मिल रहा है और धीरे.धीरे व्यवसाय खत्म होने के कगार पर पहुंच गया है। यदि पीस मील लोडिंग को पुन: शुरू किया जाता है तो पोकरण को नई पहचान मिलेगी और नमक उत्पादन शुरू होने से रोजगार भी बढ़ सकेगा।

-सुरेश जोशी, उद्यमी, नमक उत्पादन, पोकरण

 

पर्यटकों की बढ़े आवक तो बने बात

पोकरण के पर्यटन स्थलों पर विकास कार्य हो और पर्यटन मानचित्र पर परमाणु नगरी को जगह मिले तो यहां के पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा मिल सकता है। इसके अलावा मरु मेले का आयोजन करने के साथ रेलों के जुड़ाव को लेकर कार्य किया जाता है तो पर्यटकों की आवक बढ़ेगी। जिससे परमाणु नगरी पोकरण पर्यटन नगरी के रूप में विकसित हो सकेगी।

-आसकरण गोयल, होटल व्यवसायी, पोकरण

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