>>: गांव की गलियों में रहता था अंधेरा, खुद के खर्चे पर लगवा दी सोलर लाइट

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झुंझुनूं। शहर की चकाचौंध से निकल कर गांव में जाता तो गलियों में अंधेरा पसरा नजर आता। गांव में रोड लाइट नहीं होने के कारण कभी कोई गिर कर घायल हो गया तो कभी किसी घर में चोरी हो गई। लोग सरकारी सिस्टम को ताना मारते नजर आते। यह सब देखकर पूरे गांव में खुद के खर्चे से लाइट लगवाने की ठान ली, आज गांव की कोई गली ऐसी नहीं है जहां लाइट नहीं लगी हो। यह कर दिखाया है कि भूरासर का बास गांव निवासी सुनील मांजू ने।

मांजू ने अपने गांव में अंधेरे के कारण लोगों को परेशान देख कर प्रत्येक गली में सोलर लाइट लगवाने का बीड़ा उठाया। इतना ही नहीं उसने अपने गांव की सभी गलियों में सोलर लाइट लगवाने के बाद गांव से सटे जीवा का बास और अम्बेडकर नगर में भी सोलर लाइट लगवाई है। इस कारण अब तीन गांव मांजू की लगाई गई सोलर लाइट से रोशन हो रहे हैं।

इसलिए आया विचार
सुनील ने बताया कि उसने झुंझुनूं के टीबड़ा मार्केट में दुकान कर रखी है। वह झुंझुनूं से रोजाना अपडाउन करता है। झुंझुनूं से वह गांव जाता था तो उसे गांव में चारों तरफ अंधेरा पसरा नजर आता। गांव वाले भी रोड लाइट नहीं होने के कारण परेशान थे। सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्गों को होती थी। सुनील ने पहले से ही गांव के लिए कुछ करने की सोच रखी थी, इसलिए लोगों की इस परेशानी को देखते हुए ही उसने खुद के खर्चे से गांव सोलर लाइट लगवाने की सोची और 450 घर वाले पूरे गांव में लाइट लगवा दी।

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एक लाइट पर सात हजार का खर्चा, अब तक लगाई 65 लाइट
मांजू ने बताया कि एक लाइट पर सात हजार रुपए का खर्चा आया है। वह अब तक भूरासर का बास में 50, जीवा का बास में 7 और अम्बेडकर नगर में 8 सोलर लाइट लगवा चुका है। इस हिसाब से कुल 4 लाख 55 हजार रुपए की लाइट लगवाई है। उन्होंने बताया कि सोलर लाइट की दो साल की गारंटी है। फिर भी जहां सोलर लाइट लगवाई गई है, वहां पास में रहने वाले को ही सार संभाल की जिम्मेदारी भी दी गई है। यह लाइट दिन में चार्ज होती है और रात को अपने आप जल जाती है।

अन्य गांवों से आ रही डिमांड
खुद के खर्चे पर गांव में सोलर लाइट लगवाए जाने की जानकारी मिलने पर अन्य गांव के लोग भी सुनील को फोन करके मदद मांगने लगे हैं। हालांकि सुनील पहले मौके पर जाकर पूरी तहकीकात करता है। वाकई में जहां जरूरत है, वहीं पर सोलर लाइट लगवाने की हां भरता है।

मुक्तिधाम का बनवाया गेट
सुनील ने बताया कि उनके घर में शुरू से ही समाजसेवा का भाव रहा है। उनके पिता चौधरी बजरंगलाल मांजू और रामवतार मांजू ने मुक्तिधाम का शानदार गेट बनवाया था। उन्हीं से उसे प्रेरणा मिली है।

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