>>: Rajasthan New District: नए जिले आए धरातल पर, अब अलवर को संभाग के दर्जे का इंतजार

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अलवर. Rajasthan New District: राज्य सरकार की ओर से घोषित नए जिले सोमवार से अस्तित्व में आ गए। इससे अलवर का दायरा भी घटकर करीब पहले से आधा रह गया। नए जिलों के गठन से बिगड़े भौगोलिक गणित को संतुलित करने के लिए लोगों को अब अलवर को संभाग का दर्जा दिए जाने का बेसब्री से इंतजार है। इसका कारण भी साफ है कि विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने में करीब दो महीने का समय बचा है और मुख्यमंत्री पिछले महीनों मिनी सचिवालय के लोकार्पण अवसर पर लोगों को अलवर को संभाग बनाने का आश्वासन दे चुके हैं।

नए जिलों के कार्यरूप में आने के बाद अभी प्रदेश में कुछ नए जिलों व संभाग के गठन की चर्चा है। चर्चा है कि रामलुभाया कमेटी ने अभी और नए जिले व संभाग बनाने की रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौँपी है। वहीं मुख्यमंत्री खुद घोषणा कर चुके हैं कि प्रदेश में बनने वाला अगला संभाग अलवर होगा। ऐसे में लोगों की मुख्यमंत्री से अलवर को संभाग बनाने की उम्मीद बढ़ गई है।

इंतजार इसलिए कि काम के बचे दो महीने
लोेगों का इंतजार भी इस कारण बढ़ रहा है कि मौजूदा राज्य सरकार के पास इस कार्यकाल में कार्य करने के लिए करीब दो महीने का समय बचा है। इस दौरान अलवर को संभाग बनाने की घोषणा होती है तो ही इसके विधानसभा चुनाव से पहले धरातल पर आने की उम्मीद है।

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कारण है कि संभाग की घोषणा के बाद क्षेत्राधिकार तय होने, नोटिफिकेशन जारी होने सहित अन्य जरूरी औपचारिकताएं पूरी करनी होगी। इन कार्यों के लिए समय सिर्फ दो महीने का बचा है। अलवर को संभाग बनाने की मांग सत्ता पक्ष व विपक्ष दोनों की रही है।


नए जिलों से नफे-नुकसान का बैठा रहे समीकरण
नए जिलों की घोषणा पूरी होने के बाद राजनीतिक दल अब सियासी नफे- नुकसान की गणित में जुट गए हैं। पूर्व के अलवर जिले की 11 विधानसभा सीट अब तीन जिलों में बंट चुुकी है। इसमें मौजूदा अलवर जिले में 6, खैरथल- तिजारा जिले में तीन तथा कोटपूतली- बहरोड़ जिले में 2 विधानसभा सीटें हैं। नए जिलों के गठन का पांच विधानसभा क्षेत्रों के सियासी गणित पर प्रभाव पड़ने की संभावना है। हालांकि सत्ता पक्ष व विपक्ष के दल सरकार के इस निर्णय के अपने- अपने तरीके से मायने निकालने में जुटे हैं। लेकिन अलवर जिले की 6 विधानसभा क्षेत्रों पर नए जिलों के गठन का ज्यादा असर दिखाई नहीं देता, लेकिन अलवर को संभाग दर्जा मिलने पर यहां के सियासी गणित पर भी बड़ा असर संभव है।

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