>>: World Biofuel Day 2023: गोबर से बन रही गैस, रोजाना पक रहा एक लाख बच्चों का भोजन

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जयपुर। विश्व जैव ईंधन दिवस आज मनाया जा रहा है। राजधानी जयपुर भी जैव ईंधन की ओर कदम बढ़ा रही है। यहां रोजाना गोबर से 800 क्यूबिक मीटर गैस बन रही है, जिससे प्रतिदिन एक हजार बच्चों का भोजन पक रहा है। जी हां, गोबर से यह गैस हिंगोनिया गौशाला में बनाई जा रही है। यहां 100 मीट्रिक टन गोबर से गैस बनाने की क्षमता का प्लांट लगा हुआ है, जिससे गैस बनाकर उसे काम में लिया जा रहा है।

हिंगोनिया गौशाला में लगे प्लांट से वर्तमान में 70 से 80 मीट्रिेक टन गोबर का उपयोग हो रहा है, इससे प्रतिदिन 800 क्यूबिक मीटर गैस बन रही है। इस गैस का उपयोग बच्चों का खाना बनाने में हो रहा है। हिंगोनिया गौशाला का संचालन कर रहे श्री कृष्ण बलराम सेवा ट्रस्ट के कार्यक्रम सम्वयक रघुपतिदास ने बताया कि राजस्थान की गोशालाओं का यह सबसे बड़ा प्लांट है, जहां रोजाना 80 मीट्रिक टन गोबर से गैस बन रही है। उन्होंने बताया कि गोशाला में 15 हजार से अधिक गोवंश है, जो दुधारू नहीं होने के बाद भी उपयोगी साबित हो रहा है। इन गोवंश के गोबर से गैस बनाने के बाद गोशाला को आय हो रही है और प्रतिदिन 20 से 30 हजार रुपए की गैस बन रही है।

प्लांट की क्षमता अधिक, नहीं मिल रहा गोबर
गौशाला से जुड़े लोगों की मानें तो हिंगोनिया गौशाला में लगे प्लांट की क्षमता 100 टन गोबर से गैस बनाने की है, जिससे 1400 क्यूबिक मीटर गैस बनाई जा सकती है, लेकिन अभी गौशाला में 70 से 80 टन ही गोबर मिल पा रहा है, जिसके चलते वर्तमान में गोबर से 800 क्यूबिक मीटर ही गैस बन पा रही है। अगर प्रतिदिन 100 टन गोबर मिलने लग जाए तो अधिक गैस बनने लग जाए।

सीएनजी में बदलकर हो रहा उपयोग
गौशाला में गोबर से बन रही गैस को सीएनजी में बदलकर काम में लिया जा रहा है, इस गैस को अक्षय पात्र में संचालित रसोई में उपयोग में लिया जा रहा है। जहां रोजाना स्कूली बच्चों के लिए भोजन पक रहा है।

 

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70 मीट्रिेक टन गोबर का उपयोग
100 मीट्रिक टन गोबर से गैस बनाने की प्लांट की क्षमता
1400 क्यूबिक मीटर गैस रोजाना बन सकती है प्लांट से
800 क्यूबिक मीटर गैस बन रही वर्तमान में प्लांट से प्रतिदिन
70 मीट्रिेक टन गोबर का हो रहा उपयोग रोजाना

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