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माननीय, अब आपकी बारी...

Monday 11 December 2023 10:47 AM UTC+00 | Tags: special

रतन दवे
चुनावों से पहले यही माननीय विपक्ष में थे तो अपने इलाके की बिजली को लेकर सड़कों पर बैठे थे और सरकार के खिलाफ आंदोलन किए थे। इनकी जुबान पर था कि किसान के साथ धोखा हो रहा है। उसकी फसलें नष्ट हो रही है। अब, खुद माननीय सरकार हो गए है। किसान, खेत और बिजली की समस्या तीनों वहीं की वहीं है। जरूरी है उन सभी आरोपों को जो उन्होंने जड़े थे अब खुद खड़े रहकर हल करवाए। शिव के किसानों ने पांच साल में लगातार आंदोलन किया। यहां पानी आने के बाद बिजली 03 से 4 घंटा मुश्किल से मिली है। ट्रांसफार्मर जलने के बाद नहीं बदलने का मामला भी काफी गर्माया। रबी के इस मौसम में वही हाल है। किसानों को यहा अब लगातार फरवरी माह तक बिजली नहीं मिली तो फसलें चौपट होगी।किसानों ने मजबूरी में आधा खेत ही बोया है लेकिन यह आधा भी अधूरी बिजली का शिकार नहीं हो जाए। कमोबेश यह स्थितियां अन्य इलाकों में है जहां बिजली के संकट से जूझ रहा किसान खेत, जमीन और पानी तीनों होते हुए भी बिना बिजली के इंतजार कर रहा है। जिले में दस हजार के करीब कृषि कनेक्शन की फाइलें पेंडिंग पड़ी है। लंबित फाइलों का निस्तारण हों तो दस हजार किसान तो कल से ही अपने खेत में हरियळ सपने पूरे करने को तैयार है। किसानों को बिजली के कनेक्शन देने की देरी तो नई सरकार को दूर करनी ही होगी। इधर, ट्रांसफार्मर जलने और उनको बदलने का एक क्रम है। इसमें भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया है कि जिसकी जेब में ताकत या रुपया है वे क्रम तोड़कर अपने खेत ट्रंासफार्मर ले जाते है और जो हकदार है वो इंतजार का शिकार हो रहा है। डिस्कॉम की मिलीभगती से यह खेल लंबे समय से चल रहा है। विद्युत चोरी का भी यही आलम है। चोरी की बिजली से चल रहे खेतों की जानकारी तो महकमे के कार्मिक-अफसर रखते है लेकिन वे उन पर मेहरबानी रखते है। यह मेहरबानी भी असली जरूरतमंद की बिजली को खा रही है। इधर ज्यादा कृषि के लिए बिजली की जरूरत से मौजूूदा जीएसएस पर लोड लगातार बढ़ रहा है। 21 जीएसएस की स्वीकृति में से 18 का काम बकाया है। ये जीएसएस स्थापित हों तो संकट कुछ दूर हों। सरकार की प्राथमिकता में बिजली है लेकिन केवल कागजो में।। सच मानिए जिले में 69213 कृषि कनेक्शन है और यहां 50 अरब की फसलें ली जा रही है। जीरा, ईसबगोल और अनार का हब बाड़मेर बन रहा है। यह कनेक्शन एक लाख के पार हों तो सिंचित जमीन लगभग दुगुनी हो जाएगी और रेगिस्तान के जिन इलाकों में फिलहाल पानी है,वहां पर तो फसलें लहलहाती नजर आएगी। किसान के पास मेहनत, जमीन, पानी है लेकिन बिजली नहीं। धरतीपुत्र धान उपजा रहा है जो देश की पहली जरूरत है। अनाज,फसलें और फल की उपज देश की आर्थिक उन्नति का बड़ा आधार है। देश की आर्थिक संपन्नता के लिए ही सही पर सरकार यह सोचे कि धरतीपुत्र के घर मु_ीभर आएगा लेकिन देश के हिस्से दोनों हथेलीभर जाएगा। इसलिए बिजली को लेकर सरकार अपने हाथ खोले..किसान के हाथ तभी आशीष को उठेंगे और कहेगा फूलो-फलो।

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