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बीसलपुर को मिले पर्यटन की नई ऊंचाईयां, प्राकृतिक सम्पदा का है खजाना Sunday 10 December 2023 10:29 AM UTC+00 ![]() सबसे बड़ी पेयजल परियोजना के साथ ही राज्य की लाइफ लाइन कहे जाने वाले बीसलपुर बांध स्थल पर अब तक सभी सरकारों की नजर सिर्फ पेयजल तक सिमट कर रह गई। यहां पर्यटन विकास के लिए कई स्थान व प्राकृतिक धरातल होने के बाद भी पर्यटन विकास को दरकिनार किया गया है। जिससे यहां पर्यटक आते तो है मगर असुविधाओं को लेकर दुबारा मुंह तक नहीं दिखाते हैं। ग्राम पंचायत प्रशासन राजमहल की ओर से भी बीसलपुर बांध स्थल व बनास नदी क्षेत्र में पर्यटन विकास को लेकर कई मर्तबा प्रस्ताव बनवाकर राज्य सरकार को भेजे गए। मगर योजनाओं पर स्वीकृति की हरी झंडी नहीं मिलने के कारण आज भी बीसलपुर में लोग पर्यटन विकास को तरस रहे हैं। सडक़ मार्ग के लिए तरसे राष्ट्रीय राजमार्ग से बीसलपुर बांध स्थल तक पहुंचने के लिए सुगम सडक़ मार्ग तक नहीं है। जिसके कारण पर्यटकों को गड्ढों से भरे मार्ग से गुजरना पड़ता है। कई पर्यटकों के वाहन बीच रास्ते में खराब हो जाते हैं। जिससे वो बांध स्थल तक नही पहुंच पाते हैं। अधिकांशतर पर्यटक बीसलपुर पहुंचते हैं तो वहां छाया पानी, शौचालय के अभाव के साथ ही गंदगी को लेकर परेशान नजर आते हैं। बीसलपुर बांध व वन क्षेत्र एक नजर में अरावली पर्वत मालाओं की श्रृंखला के बीच बनास व डाई नदी के मिलान पर बने बीसलपुर बांध करोड़ों लोगों के कण्ठों की प्यास बुझाने के साथ ही चारों तरफ वन क्षेत्र होने के कारण प्राकृतिक दृश्य को लेकर पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता रहा है। जहां पर्यटन विकास की कई संभावनाएं हैं। यहां बांध के करीब राजमहल वन नाका क्षेत्र की कुल 1397. 52 हैक्टेयर भूमि में पहाड़ी व धरातलीय वन क्षेत्र फैला है। जिसके अंतर्गत 1151.79 हैक्टेयर में राजमहल वन क्षेत्रए 80.93 हैक्टेयर भूमि में पायलिया की डूंगरी वन क्षेत्र, 164.8 हैक्टेयर भूमि में माताजी रावता गांव का वन क्षेत्र स्थित है। 1500 हैक्टेयर से अधिक भूमि में वन क्षेत्र बांध के करीब टोडारायसिंह वन नाका क्षेत्र के अंतर्गत लगभग 1500 हैक्टेयर से अधिक भूमि में वन क्षेत्र फैला हुआ है। जिसमें थडोली, बीसलपुर, बोटूंदा, रामपुरा, बस्सी, टोडारायसिंह का क्षेत्र पड़ता है। इसी प्रकार बीसलपुर बांध का कुल जलभराव 38.70 टीएमसी है। जिसमें 315.50 आरएल मीटर का गेज होता है। जिसके पूर्ण जलभराव में 21 हजार 300 हैक्टेयर भूमि जलमग्न होती है। वहीं लगभग 8 से 10 हैक्टेयर भूमि में बीसलपुर बांध का निर्माण व जयपुर व अजमेर इंटेक पम्प हाउस, बांध का गार्डन, गार्ड रूम के साथ ही वी पॉइंट, रेस्ट हाऊस आदि बने हुए हैं। ये बोले पंचायत प्रशासन -बीसलपुर बांध स्थल पर पर्यटकों की मूलभूत सुविधाओं के साथ ही पर्यटन विकास को लेकर को लेकर कई मर्तबा बैठक में प्रस्ताव लेकर मंजूरी के लिए भिजवाया गया था। मगर सरकार की अनदेखी के कारण वित्तिय स्वीकृति नहीं मिलने से पर्यटन विकास कार्य अधूरे पड़े है। -किशन गोपाल सोयल, सरपंच राजमहल -बीसलपुर बांध स्थल के साथ ही निकटवर्ती शिलाबारी दह किनारे पर्यटन विकास को लेकर प्रस्ताव भिजवायें गये थे। मगर प्रशासन की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गई। राजमहल शिलाबारी दह किनारे आज भी प्रकृति की अनोखी छटा होने से रोजाना कई नये जोड़े प्री वेङ्क्षडग शूट के लिए आते हैं। मगर यहां उनको छाया पानी शौचालय आदि का अभाव नजर आता है। अगर सरकार यहां पर्यटन विकास को बढ़ावा देती है तो लोगों के लिए रोजगार के नये अवसर प्राप्त होंगे। -बीसलपुर बांध से लेकर राजमहल बनास नदी रपट तक पहाड़,झरने,नदी झील आदि का सुंदर प्राकृतिक ²श्य है। मगर यहां पर्यटन विकास को लेकर विकास कार्य का अभाव रहा है। यहां विकास कार्य को लेकर राज्य सरकार के साथ ही पंचायत प्रशासन ने भी अनदेखी बरती है। जबकि यहां बारिश के दौरान पर्यटकों का जमावड़ा रहता है। सरकार व प्रशासन अगर बीसलपुर व बनास नदी किनारे पर्यटन विकास पर ध्यान तो रोजगार के नये आयाम स्थापित हो सकते हैं। |
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