>>: 50 लाख रुपए के होंगे काम, अब सुधरेगी राजर्षि महाविद्यालय की दशा

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राजर्षि महाविद्यालय की दशा में सुधरने वाली है। यहां 50 लाख रुपए खर्च करके मरम्मत और रंग-रोगन का काम करवाया जाएगा। जयपुर से आई टीम ने भवन का निरीक्षण कर लिया है। टीम के अधिकारियों का कहना कि महाविद्यालय में 50 लाख रुपए की से कुछ हद तक ही विकास के काम हों सकेंगे। हालांकि यह राशि कम बताई जा रही है। पहले चरण पूरा होने के बाद दूसरे चरण में शेष कामों की प्लानिंग तैयार की जाएगी।

महाविद्यालय में पुराना भवन होने के कारण जगह-जगह दरारें आ गई हैं। दरारों और मरम्मत का काम, भवन में बने कक्षा कक्षों की छतों की मरम्मत होगी, ताकि बारिश में पानी नहीं टपके। दीवार से गिर रहा चूना के लिए प्लास्टर, पूरे भवन का रंग-रोगन और ऑफिस के हालात सुधारे जाएंगे। दूसरे चरण में महाविद्यालय के मध्य में बना पौंड़ की मरम्मत करवाई जाएगी और इस पर भी चित्रकला उकेरने की तैयारी चल रही है। अभी महाविद्यालय में 500 से विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।

विनय विलास था इस इमारत का नाम: राजर्षि महाविद्यालय को पूर्व शासक विनय सिंह ने 1840-45 के बीच अलवर में विनय विलास नाम से निर्माण कराया था। शुरुआती दौर में यहां पूर्व अलवर रियासत के शासक रहे विनय सिह, बाद में मंगल सिंह और अंत में सवाई जयसिंह इस महल में रहे। बाद में पूर्व शासक जयसिंह ने वर्ष 1930 में इस महल को इंटर महाविद्यालय संचालन के लिए दे दिया, तभी से यहां महाविद्यालय संचालित है। पहले राजर्षि महाविद्यालय का संचालन शुरू हुआ। उसके बाद विधि और कॉमर्स का संचालन रहा। इन दोनों महाविद्यालयों का नया भवन बनने के बाद यहां से शिफ्ट हो गया। अब केवल राजर्षि महाविद्यालय संचालित है।

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