>>: काम की खबर...नगर निगम अलवर आप पर डालने जा रहा ये भार

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नगर निगम खजाना भरने के लिए लागू करने जा रहा यूडी...ब्लैकलिस्ट फर्म को सर्वे की जिम्मेदारी
- नगर निगम अब तक महज 2 हजार ही आवासीय व कॉमर्शियल भवनों से वसूल रहा था टैक्स, अब पूरा शहर आएगा दायरे में

- 300 वर्ग मीटर से ज्यादा आवासीय भवन व 100 वर्ग मीटर से ज्यादा कॉमर्शियल भवन पर देना होगा टैक्स, सेटेलाइट सर्वे करेगी एजेंसी
- नगर निगम ने जिस फर्म को दिया काम वह पहले ही हरियाणा में हो चुकी ब्लैकलिस्ट, निगम को कई पार्षदों ने कटघरे में खड़ा किया

नगर निगम बनने के बाद शहर की जनता पर पहला भार बढ़ने जा रहा है। लोगों को अरबन डेवलपमेंट टैक्स (यूडी) चुकाना होगा। पहले इसका नाम हाउस टैक्स था। अब तक इस दायरे में गिनती के ही लोग थे लेकिन अब समूचे शहर के घरों का सर्वे होगा। नियमों के दायरे में जो भी घर आएगा, उन्हें टैक्स चुकाना होगा। टैक्स कितना होगा? इसका निर्धारण निगम खुद अपने स्तर से करेगा। हालांकि नगर निगम बोर्ड के जरिए ही ये लागू होगा। निगम ने इस सर्वे की जिम्मेदारी हरियाणा की ब्लैकलिस्ट फर्म को दिया है। इस पर तमाम सवाल खड़े हो गए हैं। नगर निगम के सामने ये मामला आया तो उन्होंने संबंधित फर्म से जवाब मांगा है।

एक लाख से ज्यादा भवनों से आ सकता है टैक्स
नगर निगम की आबादी करीब साढ़े चार लाख है। यहां एक लाख से ज्यादा भवन बने हुए हैं। ये आवासीय व कॉमर्शियल हैं। नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक अभी तक करीब 2 हजार ही लोगों से हाउस टैक्स लिया जा रहा था। ये भी अधिकांश कॉमर्शियल हैं। नगर निगम बनने के बाद अब निगम अपने आय के साधन तलाश रहा है। उसी कड़ी में ये तरीका निकाला गया है। हालांकि सभी नगर निगम हाउस टैक्स वसूलते हैं लेकिन उससे पहले सर्वे होता है। इसी सर्वे के लिए नगर निगम की ओर से टेंडर किए गए। तीन फर्मों में से एक फर्म का चयन किया गया जो हरियाणा की है। वह पिछले साल काली सूची में डाली जा चुकी है।

करोड़ों रुपए आएंगे निगम के खजाने में
एक्सपर्ट धर्मेंद्र शर्मा कहते हैं कि शहरी क्षेत्र में कॉमर्शियल भवनों की संख्या करीब 7 हजार से ज्यादा है, जो टैक्स के दायरे में आएंगे। इसके अलावा आवास भी हजारों की संख्या हैं। ऐसे में सालाना नगर निगम के खजाने में करोड़ों रुपए हाउस टैैक्स के रूप में आएंगे, जो विकास पर खर्च हो सकेंगे। पार्षद विक्रम यादव ने सरकार को शिकायत भेजी है। कहा है कि जिस फर्म को सर्वे का टेंडर दिया गया है, वह हरियाणा में ब्लैकलिस्ट हो चुकी है। टेंडर निरस्त होना चाहिए।

इस तरह होगा सर्वे
नगर निगम के राजस्व अधिकारी युवराज का कहना है कि 300 वर्ग मीटर से ज्यादा जितने भी आवासीय भूखंड होंगे उन्हें टैक्स देना होगा। इसके अलावा 100 वर्ग मीटर से ज्यादा के कॉमर्शियल भवनों को टैक्स चुकाना होगा। यदि कॉमर्शियल भवन 50 वर्ग मीटर में बना है लेकिन वह तीन मंजिला है तो उस भवन को 150 वर्ग मीटर में गिना जाएगा। इस सर्वे के दायरे में कॉमर्शियल भवनों में होटल, बारातघर, हॉस्पिटल, शोरूम आदि आएंगे। शहर के सभी घरों का सर्वे होगा। घरों की फोटो जीओ टैग किया जाएगा। हरियाणा की फर्म सर्वे का काम करेगी। शिकायत मिली है कि उस फर्म को काली सूची में डाला गया है। ऐसे में संबंधित फर्म से जवाब मांगा गया है। उसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।

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