>>: सुसाइड मिस्ट्री में बड़ा खुलासा : पूर्व विधायक विवेक धाकड़ का मिला दो पन्नों का सुसाइड नोट, जानें क्या लिखा

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भीलवाड़ा. मांडलगढ़ के पूर्व कांग्रेस विधायक विवेक धाकड़ (47) ने गुरुवार सुबह खुदकुशी कर ली। विवेक भीलवाड़ा के सुभाषनगर स्थित आवास पर मृत मिले। प्रथम दृष्टया दोनों हाथ की नसें काटने से हुए अत्यधिक रक्तस्राव से मृत्यु होना पाया गया है। अब सुसाइड मिस्ट्री में नए खुलासे हुए हैं। पुलिस ने दो पन्नों का सुसाइड नोट बरामद किया जिसमें कई बातों का खुलासा हुआ है। बता दें आपको कि पूर्व विधायक विवेक धाकड़ बुधवार को नामांकन भरने आए सीपी जोशी की रैली में भी शामिल हुए थे। विवेक धाकड़ भीलवाड़ा जिले की मांडलगढ़ विधानसभा सीट से एमएलए रह चुके हैं। वे पिछले साल विधानसभा चुनाव से भी यहीं से खड़े हुए थे लेकिन भाजपा नेता के सामने उनको हार का सामना करना पड़ा था।


गुरुवार सुबह विवेक धाकड़ के कमरे में छत पर फंदा लटका मिला। माना जा रहा है कि घरेलू कलह के चलते विवेक ने खुदकुशी की। पुलिस के अनुसार गुरुवार सुबह विवेक कमरे में फर्श पर अचेत मिले। दोनों हाथों की नसें कटी थी व लहूलुहान थे। पिता कन्हैयालाल व पत्नी की चीख सुन पड़ोसी एकत्र हुए। विवेक को तुरंत महात्मा गांधी चिकित्सालय लाए, जहां चिकित्सकों ने मृत बताया। शव मोर्चरी में रखवाया गया। लेकिन अब दो पन्नों का सुसाइड नोट मिलने के बाद इस केस में नया मोड़ सामने आया है।

 

 

 

सुसाइड नोट खोलेगा राज

 

 


पुलिस ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया। पुलिस को मौके पर सुसाइड नोट मिला। सुसाइड नोट में धाकड़ ने लिखा कि मैं मर्जी से आत्महत्या कर रहा हूं। इसके अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं। इसके लिए परिवार के किसी व्यक्ति को परेशान नहीं किया जाए। थानाप्रभारी शिवराज गुर्जर ने बताया कि सुसाइड नोट एवं घटनास्थल के हालात के आधार पर मामले की जांच की जा रही है। आवास पर लगे सीसीटीवी कैमरे को भी जांच के दायरे में लिया है। अपने दो पन्नों के सुसाइड नोट में उन्होंने दिल से पिता, बहन, अपनी बेटी शैफाली और समस्त सहयोगी व समर्थकों से माफी मांगते हुए अपने अंगदान करने की इच्छा भी जताई।

नोट में लिखा कि मैं नहीं कहता कि मैं पूर्ण पर दूसरों से बेहतर रहकर सेवा करने का भाव का अंश पाले हूं, मेरी स्थिति का कारण वे लोग हैं, जिन्होंने मेरे इस दिल के भाव का उपभोग शोषण की दृष्टि से जानते हुए किया है। इसके अलावा सुसाइड नोट में लिखा है कि अब इसके अलावा कोई चारा नहीं रहा। उन सभी का धन्यवाद और आभार। मैं उन सभी को कोई सांसारिक-न्यायिक सजा नहीं दिलवाना चाहता हूं। पूर्व विधायक ने अपनी संपत्ति का हकदार भी अपने पिता को ही बताया है। उधर, धाकड़ के असामयिक निधन की खबर से राजनीतिक जगत स्तब्ध रह गया। कांग्रेस में शोक की लहर छा गई। बिजौलियां क्षेत्र में गुरुवार शाम को विवेक का अंतिम संस्कार किया गया।

 

 

 

पुलिस ने धाकड़ के परिवार को पहुंचाया सुरक्षित स्थान पर

 



सुभाषनगर पुलिस ने मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवा शव परिजनों को सौंपा। पुलिस ने अनहोनी की आशंका के चलते विवेक की पत्नी पद्मनी व पुत्री अवनी को सुरक्षित स्थल पर पहुंचाया। मांडलगढ़ विधायक गोपाल खंडेलवाल, पूर्व मंत्री रामलाल जाट, महेश सोनी, संजय धाकड़ समेत बड़ी संख्या में कांग्रेस व भाजपा नेता एवं समाज के प्रबबुद्धजन मोर्चरी पहुंचे। कांग्रेस जिलाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी व विजय पोखरना ने घर पहुंच पिता कन्हैयालाल धाकड़ व परिजनों को ढांढस बंधाया।

 

 

 

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विद्यापीठ में अंतिम संस्कार


शव को आदर्श धाकड़ विद्यापीठ संस्थान, नयागांव, मालीपुरा, बिजौलियां लाया गया। यहां गुरुवार को अंतिम दर्शन के लिए शव रखा। संस्थान परिसर में अंतिम संस्कार हुआ। कांग्रेस प्रत्याशी सीपी जोशी, धीरज गुर्जर, कैलाश व्यास व अक्षय त्रिपाठी समेत बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि व लोग अंतिम संस्कार में मौजूद थे।

मौत से एक दिन पहले किया यह काम


धाकड़ बुधवार दिनभर कांग्रेस के कार्यक्रमों में जुड़े रहे। वे कांग्रेस प्रत्याशी सीपी जोशी के नामांकन के दौरान निर्वाचन अधिकारी के कक्ष में मौजूद थे। इसके बाद जोशी के समर्थन में सभा में शामिल हुए और जोशिला भाषण भी दिया। देर शाम तक कांग्रेस नेताओं के साथ रहे।

8 से 10 घंटे पहले ही हो चुकी थी मौत, खाने के सैंपल भी लिए


हॉस्पिटल के सूत्रों के मुताबिक, विवेक की मौत अस्पताल पहुंचने से करीब 8-10 घंटे पहले ही हो चुकी थी। उनके शरीर में खून के थक्के जम गए थे। शरीर से अधिक मात्रा में खून बहना मौत का कारण बताया जा रहा है। हालांकि पुलिस इस मामले की हर एक एंगल से जांच कर रही है। वहीं विवेक धाकड़ ने रात में जो खाना खाया उसका भी सैंपल लिया गया है।

कहते थे छल कपट से बेहतर है हारना

विवेक धाकड़ के करीबी दोस्त बताते हैं कि विवेक में छल कपट जैसी राजनीति नहीं थी। कई बार गलत बात पर मुझसे भी नाराज हो जाता था, उम्र में मुझसे दो साल छोटा भले था लेकिन अनुभव इतना बड़ा था कि कई बुजुर्ग भी उसके कायल थे। उन्हें हारना मंजूर था लेकिन पैसे देकर वोट खरीदना नहीं।

उपचुनाव में जीते, दो बार हारे


विवेक वर्ष-2018 के मांडलगढ़ विधानसभा उपचुनाव में करीब 12 हजार मत से जीते थे। इसके बाद मांडलगढ़ से दो बार विधानसभा चुनाव लड़े, लेकिन हार गए।

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