>>: पेट की चर्बी? प्रेग्नेंसी की परेशानी? Healthy Pregnancy के लिए वजन को करें नियंत्रित

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Weight management before pregnancy : गर्भावस्था के दौरान मोटापे (obesity) से माँ और बच्चे दोनों के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है। डॉक्टरों का कहना है कि गर्भावस्था से पहले और दौरान स्वस्थ वजन बनाए रखने से गर्भकालीन मधुमेह (Gestational diabetes mellitus) जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है। गर्भधारण (Pregnancy) से पहले सलाह लेने और सही देखभाल से मोटापे के जोखिम को कम किया जा सकता है।

हाल ही में, एक 33 साल की महिला जो 160 किलो वजन की थी और जिसे बचपन से ही हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) की समस्या थी, 14 साल बाद स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। कई सालों तक महिला गर्भधारण नहीं कर सकी क्योंकि उसे हाइपोथायरायडिज्म, अनियमित पीरियड्स (Irregular periods) और मोटापे की समस्या थी।

डॉक्टरों ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि गर्भावस्था के दौरान मोटापा जोखिम कारक हो सकता है।

पहली बात, गर्भकालीन मधुमेह (Gestational diabetes mellitus) के बारे में जान लेते हैं। यह एक ऐसा मधुमेह है जो गर्भावस्था के दौरान होता है और इससे माँ और बच्चे दोनों के लिए परेशानी हो सकती है। मोटापा इसमें अहम भूमिका निभाता है क्योंकि यह शरीर को इंसुलिन के प्रतिरोधक बना सकता है, Insulin जो blood sugar के लेवल को नियंत्रित करने वाला हॉर्मोन है। इस प्रतिरोध के कारण, गर्भकालीन मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है।

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गर्भावस्था (Pregnancy) के दौरान मोटापा प्री-एक्लेम्पसिया (हाई ब्लड प्रेशर) और गर्भावस्था (Pregnancy) में हाई ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियों के खतरे को भी बढ़ा देता है। ये स्थितियां न केवल माँ के स्वास्थ्य को खतरा पहुँचाती हैं बल्कि बच्चे के विकास को भी प्रभावित कर सकती हैं। इसके अलावा, वेनस थ्रोम्बोम्बोलिज्म (वीटीई) भी है, यह एक ऐसी स्थिति है जहां नसों में खून का थक्का जम जाता है।

यह जोखिम मोटे गर्भवती महिलाओं में ज्यादा होता है। इससे कम चलने फिरने की समस्या और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं जिससे खून का थक्का जम सकता है, अगर इलाज ना कराया जाए तो ये जानलेवा हो सकता है।

इसके अलावा, मोटापा प्रसव प्रक्रिया को भी कई तरह से जटिल बना सकता है। मोटी महिलाओं को प्रसव धीरे धीरे बढ़ने की समस्या हो सकती है जिससे लेबर को शुरू करने या सी-सेक्शन कराने की जरूरत पड़ सकती है। सी-सेक्शन कराने में, खासकर के मोटी माताओं के लिए, एनेस्थीसिया से जुड़ी समस्याएं भी आ सकती हैं।

यहां पर जोखिम खत्म नहीं होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि मोटी माताओं से पैदा होने वाले बच्चों को भी अपनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। उन्हें जन्मजात विकार, जैसे कि स्पाइना बिफिडा या दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है।

वे औसत से ज्यादा वजन के साथ पैदा हो सकते हैं, इस स्थिति को मैक्रोसोमिया कहते हैं। इससे प्रसव मुश्किल हो सकता है और जन्म के समय चोट लगने का खतरा बढ़ सकता है।

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इन जोखिमों को कैसे कम करें?

इन जोखिमों से बचने के लिए डॉक्टर गर्भावस्था से पहले और दौरान मोटापे को नियंत्रित करने की सलाह देते हैं। इसमें तीन चीजें शामिल हैं:

पौष्टिक आहार: डॉक्टर स्वस्थ वजन बढ़ाने के लिए सलाह देंगे। इसका मतलब है कि आप जंक फूड खाने से बचेंगी और संतुलित आहार लेंगी जिसमें फल, सब्जियां, और साबुत अनाज शामिल हों।

व्यायाम: डॉक्टर आपको हर रोज हल्की-फुल्की शारीरिक गतिविधि, जैसे तेज चलना या तैराकी करने की सलाह दे सकते हैं। इससे आपका वजन तो कम होगा ही, साथ ही प्रसव में भी आसानी होगी।

परामर्श: अगर आप गर्भवती होने की सोच रही हैं और मोटापे को लेकर परेशान हैं, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें। वे आपके लिए खास योजना बनाएंगे ताकि आप सुरक्षित तरीके से गर्भावस्था का आनंद ले सकें।

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