>>: 1200 करोड़ का व्यवसाय 300 करोड़ तक सिमटा, फिर भी नहीं सुधर रहे

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जैसलमेर. कोरोना ने जैसलमेर के पर्यटन पर पिछले डेढ़ साल से एक तरह का ग्रहण लगा रखा है और महज दो साल पहले यहां का पर्यटन व्यवसाय 1200 करोड़ के टर्न ओवर की ऊंचाई को छू रहा थाए वह घटकर पिछले साल एकचौथाई रह गया। इस बार के हालात क्या होंगे, यह अभी भविष्य के गर्भ में हैं लेकिन इतने कठिन दौर में भी जैसलमेर घूमने आने वाले सैलानियों को परेशान करने में लपका तत्व कोई कमी नहीं छोड़ रहे। जोधपुर और बाड़मेर मार्ग के अलावा अब जैसलमेर से सम मार्ग पर भी लपका तत्वों ने अपना मजबूत जाल बिछा दिया है। इसके चलते सैलानी बेतहाशा परेशान हो रहे हैं और व्यवस्थित ढंग से व्यवसाय करने वाले पर्यटन क्षेत्र के कारोबारी सदमे में हैं। लपकों की समस्या विगत वर्षों के दौरान लगातार विकराल होती चली गई है।
जैसलमेर हो रहा शर्मसार
जैसे ही सैलानियों का वाहन जोधपुर अथवा बाड़मेर मार्ग से शहर के नजदीक पहुंचता हैए बाइक पर सवार लपके उनके पीछे लग जाते हैं। वे अपने साथ पर्यटकों की जान जोखिम में डालने से भी नहीं हिचकिचाते। थक-हारकर सैलानियों को वाहन रोकना पड़ता है और फिर होटलों और रिसोट्र्स आदि के लिए लपकागिरी करने वाले युवा उन्हें भ्रमित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। लपके जैसलमेर दुर्ग और यहां के दर्शनीय स्थलों तक के बारे में नकारात्मक बातें कहने से नहीं हिचकते। कई बार वाहनों में बैठे सैलानी इतना डर जाते हैं कि जैसलमेर आने के लिए पछताने लगते हैं। इस सबसे जैसलमेर का पर्यटन व्यवसाय ही नहीं पूरा ऐतिहासिक शहर शर्मसार हो रहा है। लपकों की समस्या कितनी बड़ी है, इसका पता उन गाइड बुक्स व पर्यटन आधारित वेबसाइट्स का अध्ययन करने पर चल जाता है, जिसमें उनकी वजह से समग्र जैसलमेर पर्यटन के बारे में नकारात्मक टिप्पणियां अंकित मिलती हैं।
रेगिस्तान की यात्रा भी दूभर
इन तत्वों का आतंक विगत सालों के दौरान सम क्षेत्र में खूब बढ़ा है। मौजूदा समय में सम सेंड ड्यून्स जैसलमेर पर्यटन का केंद्र बिंदु बन चुका है। हर वर्ष वहां दो सौ करोड़ तक का व्यवसाय होना शुरू हो जाने के बाद से कई रिसोट्र्स वालों ने अपने लपके मार्ग में छोड़ रखे हैं। दामोदरा गांव के पास से सड़क के दोनों ओर बाइक पर सवार युवक पर्यटकों के वाहन का इंतजार करते देखे जा सकते हैं। सेंड ड्यून्स के समीप पहुंचने के दौरान तो उनका पूरा झुंड नजर आ जाता है। इसके अलावा जैसलमेर शहर में भी कई टैक्सी वाले लपकागिरी के खेल में शामिल हो गए हैं। वे भी सैलानियों को भ्रमित करने में कसर नहीं छोड़ रहे।
जिम्मेदार नहीं दिखा रहे जज्बा
लपका तत्वों पर नकेल कसने की मुख्य जिम्मेदारी पुलिस महकमे की है। पुलिस की तरफ से कभी कभार इक्का-दुक्का तत्वों पर तो कार्रवाई की जाती है, लेकिन अभियान चलाकर इस समस्या को निर्मूल करने की दिशा में कदम नहीं उठाया जाता। जिसके चलते यह समस्या दिनोंदिन विकट ही होती जा रही है।

सख्त कार्रवाई हो
किसी भी क्षेत्र में लपकागिरी हो, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। कोरोना संकट के बाद पर्यटकों की आवक में कमी स्वाभाविक है। ऐसे में यह संकट और भी विकराल हो गया है।
-पृथ्वीपाल सिंह रावलोत, ट्रेवल एजेंट

स्वच्छ पर्यटन की राह का रोड़ा
जैसलमेर में लपका तत्व पिछले सालों के दौरान पर्यटन को बदनाम करने में सबसे आगे हैं। इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की दरकार है। इनकी वजह से जैसलमेर की छवि दागदार होती है।
-संजय वासु, टूरिस्ट गाइड

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