भुवनेश पंड्या
उदयपुर. इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एण्ड इन्टग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी लैब) दिल्ली की ओर से आरएनटी कॉलेज को भेजी गई रिपोर्ट में उदयपुर में शनिवार को कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के 15 मरीज सामने आए हैं। इसके बाद यहां सोशल मीडिया पर इन मरीजों के डेल्टा प्लस के होने की अफवाह फैलने से शहर से लेकर जिले भर में हड़कंप मच गया। बेहद घातक बताए जा रहे डेल्टा प्लस से पहले ही लोग डरे हुए हैं, इसी बीच इस तरह की सूचना मिलने पर एक दूसरे को संदेश प्रसारित होने के बाद जिला प्रशासन व चिकित्सा विभाग भी सकते में आ गया। इसके बाद चिकित्सा विभाग को इसका खंडन करना पड़ा कि यह सूचना गलत है।
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ऐसे बढ़ता गया गलत संदेश
आरएनटी कॉलेज में 15 मरीजों में डेल्टा की रिपोर्ट आने के बाद ये सोशल मीडिया पर डेल्टा प्लस के नाम से अफवाह के रूप में प्रसारित हो गई। इसे लेकर सीएमएचओ डॉ. दिनेश खराड़ी ने बताया कि गलती से इसे डेल्टा प्लस बता दिया गया था, जिसे बाद में दिल्ली से पुष्ट किया गया कि ये डेल्टा है, डेल्टा प्लस नहीं। सितम्बर, 2020 से लगातार प्रतिमाह फरवरी 21 तक आरएनटी मेडिकल कॉलेज से आईजीआईबी लैब दिल्ली को 100-100 नमूने भेजे जाते थे, जबकि मार्च से जून तक इनकी संख्या प्रतिमाह करीब 30 नमूने रह गई, जो दिल्ली भेजे जा रहे हैं। ऐसे में यदि किसी भी वेरिएंट का कोई मरीज मिलता है तो इसकी रिपोर्ट मेडिकल कॉलेज को भेजी जाती है।
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पहले भी मिल चुके हैं डेल्टा के मरीज
उदयपुर में पहले भी डेल्टा वेरिएंट के 50 मरीज मिल चुके हैं। हालांकि ये संक्रामक होने के बाद भी अत्यधिक घातक नहीं है। आरएनटी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी लैब की प्रभारी डॉ. अंशु शर्मा ने बताया कि दिल्ली से इसकी पुष्टि की गई है कि ये डेल्टा प्लस नहीं डेल्टा के मरीज है। इससे घबराने की कोई बात नहीं है।
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कोरोना का डेल्टा वेरिएंट, जिसे बी .617. 2 कहा जाता है यह म्यूटेंट होकर डेल्टा प्लस या एवाय वन में भी तब्दील हो गया है। यह सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में पाया गया है, जिसकी वजह से मेडिकल एक्सपट्र्स की चिंता बढ़ रही है। डेल्टा प्लस वेरिएंट डेल्टा के म्यूटेशन से यानी रूप बदलकर आया है। डेल्टा को भारत में दूसरी लहर में तबाही के लिए जिम्मेदार माना जाता है। डेल्टा प्लस वेरिएंट के केस 11 देशों में मिल चुके हैं और यह अल्फ ा की तुलना में 35.60 फीसदी अधिक संक्रामक है। डेल्टा प्लस वेरिएंट के लक्षण इतने घातक हैं कि फेफ ड़े की कोशिकाओं में पहले के मुकाबले ज्यादा मजबूती से चिपक सकता है। यह फेफड़ों को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। ये हमारी इम्युनिटी को कमजोर कर सकता है और चकमा दे सकता है। प्लस वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट बी.1.617.2 में ही आए बदलाव से बना है। डेल्टा वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में आए एक बदलाव म्यूटेशन के कारण डेल्टा प्लस बना।
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इसलिए फैली अफवाह
डेल्टा प्लस वेरिएंट में बी.1.617.2.1 है, जबकि डेल्टा में बी.1.617.2 है। इन दोनों के अंकों में केवल .1 का अन्तर है, डेल्टा प्लस में पीछे .1 जुड़ा हुआ है, जबकि डेल्टा में नहीं। रिपोर्ट में जिसने देखा उसने केवल अंक देखकर इसे प्लस बता दिया, जिससे सीएमएचओ डॉ. खराड़ी ने भी एक बार तो इसकी प्लस में पुष्टि कर दी, बाद में इसे डेल्टा बताया।