>>: तेजी से घुल रहा हवा में जहर, कोरोना संक्रमित फेफडों जैसा दिखा जयपुर का नक्शा

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जया शर्मा/जयपुर। शहर के मानचित्र पर गहरे रंग के ये स्पॉट्स दर्शा रहे हैं कि शहर का दम घुट रहा है, हवा में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का जहर तेजी से फैल रहा है। ये स्पॉट्स ठीक उसी तरह प्रतीत हो रहे हैं, जैसे फेफड़ों पर कोरोना का असर दिखता है। अब समझना शहरवासियों को होगा, यदि चेते नहीं तो हवा में जहर घुलता जाएगा, जो सबके के लिए बेहद घातक होगा। बीते साल की तुलना में शहर की हवा में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की मात्रा 47 प्रतिशत की बढ़ गई है। ये स्थिति तब है, जब पिछले एक साल से लॉकडाउन व कई बार पाबंदियां लगाई गई है।

ग्रीनपीस इंडिया की ताजा रिपोर्ट 'बिहाइंड द स्मोकस्क्रीन' के मुताबिक जयपुर सहित मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, कोलकाता और लखनऊ में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। रिपोर्ट में अप्रेल 2020 से अप्रेल 2021 के बीच की तुलना दिखाई गई है।

दिल्ली की स्थिति सबसे ज्यादा खराब
दिल्ली ने अप्रेल 2020 से अप्रेल 2021 के बीच नाइट्रोजन डाइऑक्साइड प्रदूषण में 125 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। रिपोर्ट में भारत की आठ राज्य की राजधानियों में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड सांद्रता का विश्लेषण किया गया है। इसके अनुसार मुंबई में 52, बेंगलुरु में 90, हैदराबाद में 69, चेन्नई में 94, कोलकाता में 11, जयपुर में 47 और लखनऊ में 32 फ ीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

बेहद घातक
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड एक खतरनाक वायु प्रदूषक है, जो ईंधन के जलने पर निकलता है। यह वाहनों, बिजली उत्पादन और उद्योगों से यह निकलता है और हवा को जहरीली बना देता है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव सांस और मस्तिष्क पर पड़ता है। वहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जिन शहरों में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड प्रदूषण की वृद्धि हुई है, वहां कोरोना ने ज्यादा कहर बरपाया है।

ऐसे हो सकता है समाधान
रीन्यूएबल एनर्जी के जरिए इसका समाधान हो सकता है। सरकार को पवन व सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना चाहिए। साथ ही शहरवासियों को भी प्रदूषण के रोकथाम में सहभागिता निभानी होगी।

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