जयपुर 30 जुलाई।
कला संरक्षक मैमुना नरगिस ने कहा कि कला संरक्षक निर्जीव वस्तुओं के डॉक्टर हैं, जो कला के काम की जांच करते हैं ताकि इसकी समस्या का पता लगाया जा सके इसके खराब होने की सीमा और भविष्य में होने वाले नुकसान से बचाने के लिए समाधान खोजने की दिशा में काम किया जा सके। जेकेके की ओर से आर्ट कंजर्वेशन पर आयोजित ऑनलाइन सेशन में उन्होंने फोटोग्राफ्स,मैनुस्क्रिप्ट्स, पेंटिंग सहित अन्य कलाकतियों के प्रिवेंटिव कंजर्वेशन के विभिन्न टिप्स और ट्रिक्स दर्शकों को दिए। उनका कहना था कि आधार सामग्री को ध्यान में रखते हुए संरक्षण किया जाना चाहिए। यह कागज, कपड़ा, लकड़ी, चमड़ा, या हाथीदांत जैसे ऑर्गेनक व पत्थर और धातु जैसे इनऑर्गेनिक हो सकता है। एक कलाकृति में हो रहे नुकसान को रोकने के लिए रेस्टॉरेशन की प्रक्रिया की जाती है, जो कि रंग हटाने की क्रिया, फ्लेकिंग, क्रैकिंग, छोटे छेद आदि के रूप में हो सकती है। कंजर्वेशन और रेस्टॉरेशन की प्रक्रिया के लिए हमेशा पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों का उपयोग किया जाता है। किसी भी कलाकृति का समय समय पर संरक्षण उसके जीवन को बढ़ाता है।
उन्होंने यह भी बताया कि आर्ट पीस पर सीधी रोशनी नहीं पडऩी चाहिए। कोई भी अपनी कलाकृति प्रदर्शित करने के लिए यूवी फिल्टर लाइट का उपयोग कर सकता है। इसी तरह कलाकृति से धूल मिट्टी को भी नियमित रूप से साफ करना चाहिए। किताबों की बात करें तो पन्नों को पलटने के लिए पानी का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए किताब पर कोई निशान नहीं होना चाहिए और फटे पन्नों को चिपकाने के लिए सेलो टेप का इस्तेमाल कभी नहीं करना चाहिए क्योंकि वे एक एसिडिक प्रतिक्रिया का कारण बन सकते हैं। इसके बजाय घर के आटे के पेस्ट से बने पेपर स्ट्रिप्स या पेपर टेप का उपयोग किया जा सकता है।