अमरीकी रैपर लिल उजी वर्ट 'वास्प-127बी' ('WASP-127b') नामक एक ग्रह खरीदने की तैयारी कर रहे हैं। इस बात का खुलासा कनाडाई सिंगर, सोंग राइटर और संगीतकार एवं स्पेसएक्स के मालिक एलोन एक्स की गर्लफ्रेंड ग्रिम्स ने खुद की है। जिस ग्रह को लिल खरीदने जा रहे हैं वह आकार में हमारे सौर परिवार के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति से भी लगभग डेढ़ गुना ज्यादा बड़ा है। यह एक एक्सोप्लैनेट है यानी यह पृथ्वी से कई प्रकाश वर्ष दूर है। अपने गैसीय आवरण के कारण इस विशाल ग्रह पर जीवन संभव नहीं है।
क्या होते हैं एक्सोप्लेनेट?
अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अपनी केपलर दूरबीन की मदद से गहरे अंतरिक्ष में कई लाख प्रकाश वर्ष दूर स्थित ग्रहों की खोज कर रहा है। इन ग्रहों को एक्सोप्लैनेट के रूप में जाना जाते है, क्योंकि एक्सोप्लेनेट का मतलब है कि यह ग्रह पृथ्वी के सौर मंडल के बाहर स्थित है और इसी नाम के तारे की परिक्रमा करता है। केपलर मिशन का उद्देश्य यह पता लगाना है कि आकाशगंगा के चारों ओर क्या है और इन एक्सोप्लैनेट को खोजकर उनका नामकरण किया जाए ताकि उन्हें पहचाना जा सके।
ट्वीट कर बताया ग्रह खरीदने के बारे में
लिल के ग्रह खरीदने का खुलासा ग्रिम्स ने गुरुवार को एक ट्वीट के जरिए किया। पेशे से संगीतकार ग्रिम्स ने अपने ट्विटर हैंडल @Grimezsz से लिल (@LILUZIVERT) को टैग किया और दुनिया के सामने इस खरीदारी का खुलासा किया। इस ट्वीट में 'वास्प-127बी' नाम के ग्रह पर चर्चा की गई, और इसकी विशेषताओं के बारे में भी बताया गया है। ट्वीट में 'वास्प-127बी' की पृथ्वी से समानता पर भी चर्चा की गई। यह ग्रह एक पीले बौने तारे की परिक्रमा कर रही है, जो हमारे सूर्य की तरह ही दिखता है। लिल ने भी ग्रिम्स के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा कि हां वह इस ग्रह को खरीदने की प्रक्रिया में हैं। यहां ग्रह की खरीदारी की प्रक्रिया और कीमत का पता नहीं लग सका। ग्रिम्स ने अपने ट्वीट में यह भी कहा कि इस ग्रह की खरीद के लिए कानूनी दस्तावेज और प्रक्रिया अभी जारी है।
क्या है 'वास्प-127बी' ग्रह
नासा के अनुसार, 'वास्प-127बी' एक विशालकाय गैसीय ग्रह है, जो पृथ्वी से 522.6 प्रकाश वर्ष दूर है। अपने केंद्र से इसका रेडियस बृहस्पति से 1.311 गुना ज्यादा है और इसका द्रव्यमान (मास) 0.1647 ब्रहस्पति जितना है। जिस पीले तारे की यह परिक्रमा कर रहा है, उससे इस ग्रह के केन्द्र की दूरी 72.4 लाख किमी है। 'वास्प-127बी' 4.2 दिनों में इस पीले तारे की एक परिक्रमा पूरी कर लेता है। अपनी परिक्रमा पूरी करने में यह पृथ्वी (365 दिन) और बृहस्पति (एक वर्ष से ज्यादार का समय) से भी तेज है। अब देखना यह है कि इसे कब और कैसे खरीदा जाता है। अगर हकीकत में ऐसा हो जाता है तो लिल दुनिया के पहले इंसान होंगे जो एक पूरे ग्रह के इकलौते मालिक होंगे। यह बात और है कि वे वहां कभी रह नहीं पाएंगे।
साल 2008 में खोजा, 2016 में दी जानकारी
इस ग्रह की खोज नासा के सुपर वाइड एंगल सर्च फॉर प्लेनेट्स मिशन के दौरान2008 में की गई थी। 2016 में सार्वजनिक रूप से इसका खुलासा किया गया। यह एक्स्ट्रासोलर ग्रह हमारे सौरमंडल से लगभग 522.6 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। यह हमारी कल्पना से भी बहुत दूर है। 1 प्रकाश वर्ष 5.87 खरब मील के बराबर होता है। यह ब्रहस्पति ग्रह से 1.4 गुना बड़ा है। नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने 'वास्प-127बी के द्रव्यमान को ब्रहस्पति के द्रव्यमान से लगभग 0.1647 ज्यादा बताया है। नेटीजंस ने भी ग्रिम्स के ट्वीट पर जमकर प्रतिक्रिया दी। एक यूजर ने टिप्पणी किया, 'उनका एकमात्र सवाल यह है कि रैपर ग्रह खरीदने के लिए किसे भुगतान कर रहा है और यदि ऐसा है तो क्यों?
कैसे बिकेगा खुलासा नहीं
भले ही नासा एक्सोप्लैनेट की खोज में सक्रिय रूप से शामिल रहा है, लेकिन उसकी इस कथित 'सौदे' में कोई भागीदारी नहीं है। दरअसल, अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत, किसी भी देश की सरकार, खगोलीय पिंडों का स्वामित्व किसी को नहीं दे सकतीं, न ही उसे कोई खास पहचान देने या उसे बेचने का भी उन्हें अधिकार नहीं है। यहां तक कि ऐसी परग्रही चीजों का नामकरण भी नासा नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ करता है।
ऐसे निकालते हैं ग्रहों की कीमत
सौरमंडल में मौजूद ग्रहों का मूल्यांकन कर उनकी कीमत निर्धारित करने का एक खास फॉर्मूला कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के खगोल भौतिकी के प्रोफेसर ग्रेग लाफलिन को भी इस ग्रह के बेचे और खरीदे जाने की जानकारी नहीं है। वे दुनिया के पहले 'जौहरी' हैं जो उनकी कीमत तय करते हैं। ग्रेग का कहना है कि वर्तमान में ऐसा कोई कानूनी स्वामित्व वाला खाका या संगठन अस्तित्व में नहीं है जो एक्सोप्लैनेटरी संपत्ति की खरीद की इजाजत दे। मैं ग्रह व्यापार के लिए ऐसे किसी लेन-देन के अस्तित्व से अनजान हूं, लेकिन ऐसा वास्तव में हो नहीं सकता यह मैं दावे के साथ नहीं कह सकता। प्रोफेसर ग्रेग ने ही कुछ साल पहले पृथ्वी को सौरमंडल का सबसे मूल्यवान ग्रह करार देते हुए इसकी कीमत 3 हजार खरब पाउंड तय की थी। जबकि शुक्र ग्रह की कीमत 1 पेनी और मंगल की 16 हजार डॉलर बताई थी।