जैसलमेर. सीमावर्ती जैसलमेर जिले के पोकरण में आइएसआइ के लिए जासूसी करने वाले हबीबुर्रहमान की गिरफ्तारी कोई नया घटनाक्रम नहीं है। उससे पहले भी करीब बीस जासूस पिछले दो दशक के दौरान एजेंसियों के हत्थे चढ़ चुके हैं। लेकिन हबीबुर्रहमान की गिरफ्तारी से देश की सुरक्षा को लेकर एक काला सच उजागर हुआ है। लालच के नटवर्क से कौन-कौन जुड़ा है, ये तो खुद जुड़े लोग भी नहीं जानते, लेकिन पाकिस्तान तथा उसकी कुख्यात खुफिया एजेंसी आइएसआइ भारतीय नागरिकों में लालच का एक छोटा सा सुराख देखते ही जासूसी की सुरंग खोद डालते हैं। हबीबुर्रहमान के मामले में सामने आया है कि वह 2019 में पाकिस्तान के सिंध सूबे में रहने वाले अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए जब पाकिस्तान जाने का वीजा हासिल करने के लिए पाकिस्तान दूतावास गया तो वहां के अधिकारियों ने उसके काम-धंधे के बारे में मालूमात की। जब उन्हें पता चला कि हबीबुर्रहमान जैसलमेर के पोकरण में सेना को रसद आपूर्ति करने का काम करता है तथा उसका रोज सेना के कैम्प में आना-जाना होता है तो पाकिस्तानी अधिकारियों ने उसे लालच में फांस लिया। उसे कहा गया कि वह जब भी चाहे पाकिस्तान जाने के लिए वीजा उसे मिल जाएगा। इसके बदले में उसे सेना से जुड़े गोपनीय दस्तावेज आइएसआइ को मुहैया करवाने होंगे। इसके अलावा उसे मोटी रकम देने का लालच भी दिया गया इसी लालच में आकर उसने आइएसआइ के लिए जासूसी करना शुरू कर दिया।
पाकिस्तान में करते हैं ब्रेन वॉश
ऐसे लोग जब पाकिस्तान जाते हैं तब वहां उनका ब्रेन वॉश कर उन्हें देश से गद्दारी के लिए पुख्ता तौर पर तैयार कर दिया जाता है। हबीबुर्रहमान को भी पाकिस्तान में दूतावास की सूचना पर दो हैंडलर कमल और मतीन मिले। जिन्होंने उसका ब्रेन वॉश किया और सिंध से भारत लौटने के बाद उसने जासूसी करना शुरू कर दिया। वह उन दिनों सेना के कैम्प में आपूर्ति विभाग में तैनात सेना के लांसनायक परमजीत सिंह से गोपनीय दस्तावेज लेकर उसे आइएसआइ व हैडलरों को वाट्सएप व इंस्टाग्राम के जरिए भेज देता था। यह तथ्य भी जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने सीडी के जरिए भी बहुत संवेदनशील जानकारी पाकिस्तानी हैंडलरों को दी थी।
लोग भी रहें सावचेत
हबीबुर्रहमान के बारे में जानकारी है कि वह गत सालों से पोकरण में रह रहा था। स्थानीय लोगों के बीच घुल.मिल गया और यहां तक कि कोरोना काल में जरूरतमंदों की सेवा से भी जुड़ा। अपने परिवार के सदस्य को हालिया नगरपालिका चुनाव में निर्दलीय के तौर पर मैदान में उतारा। खुफिया एजेंसियों ने तो उस पर इनपुट मिलने के बाद नजर रखी और वह पकड़ा भी गया लेकिन ऐसे कई हबीबुर्रहमान सीमावर्ती जैसलमेर जिले के शहरी व ग्रामीण इलाकों में सक्रिय होने की आशंका से इनका नहीं किया जा सकता।
फैक्ट फाइल
-४७० किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है जैसलमेर सरहद की
-२ सेेक्टर्स में विभक्त है जैसलमेर जिले में सीमा सुरक्षा बल
- 60 किमी परीधि का क्षेत्र पथरीला व चट्टानी है सरहदी जिले का
-30 के करीब सरहदी गांवों में रखी जा रही है सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी
-20 के करीब जासूस अब तक पकड़े जा चुके हैं एजेंसियों की ओर से
-300 के करीब गांव प्रतिबंधित क्षेत्रों में शामिल है जिले के आठ थाना क्षेत्रों के