पोकरण. ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी रोडवेज बसों के अभाव व कमी के कारण निजी बस संचालकों का बोलबाला है। उनकी ओर से मनमर्जी से भाड़ा वसूल किया जा रहा है। जिससे यात्रियों को परेशानी हो रही है। गौरतलब है कि पोकरण विधानसभा क्षेत्र में कई ऐसे ग्रामीण रूट है, जहां रोडवेज बसों का संचालन नहीं होता है। कुछ ऐसे रूट है, जहां नाममात्र की रोडवेज बसें चलती है। ऐसे में ग्रामीणों के आवागमन को लेकर संचालित हो रही निजी बसों के संचालकों की ओर से मनमर्जी से ही भाड़ा वसूल किया जाता है। जिसका भार आम गरीब, मजदूर व किसान वर्ग पर पड़ता है। जिससे उन्हें परेशानी हो रही है। हालांकि परिवहन विभाग की ओर से पांच वर्ष पूर्व एक नियम भी बनाया गया था, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण नियमों की कोई पालना नहीं हो रही है। जिससे आम व्यक्ति की जेब पर किराया भारी पड़ता है।
यह है नियम
परिवहन विभाग के अनुसार वर्ष 2016 में एक नियम जारी किया गया था। जिसके अंतर्गत ग्रामीण रूट पर चलने वाली बसों के संचालक एक किमी पर 80 पैसे के हिसाब से किराया वसूल कर सकते है। जितनी दूरी होगी, उस हिसाब से एक गांव से दूसरे गांव के किराए की दर तय की जाती हैै। ग्रामीण क्षेत्र में चलने वाली बसों के संचालक अपनी मनमर्जी से ही किराया तय करते हैै। परिवहन विभाग की अनदेखी के कारण विभिन्न रूटों पर चलने वाली बसों के संचालक यात्रियों से मनमर्जी से किराया वसूल करते है।
रोडवेज की कमी से बढ़ रही परेशानी
पोकरण से सांकड़ा, फतेहगढ़, ओला, नाचना नहरी क्षेत्र ऐसे रूट हैै, जहां दर्जनों गांव व सैंकड़ों ढाणियां स्थित है। इन रूट पर एक भी रोडवेज की बस का संचालन नहीं होता है। जिससे यहां निजी बसों का बोलबाला है। इसी प्रकार फलसूण्ड व बाड़मेर रूट पर रोडवेज की बसें नाममात्र की ही संचालित होती है। ऐसे में निजी बस संचालक डीजल की बढ़ती कीमतों की बात के साथ किराया बढ़ा दिया जाता है। जिसका भार आम आदमी पर पड़ता है। जिससे उन्हें परेशानी हो रही है। बावजूद इसके परिवहन विभाग की ओर से इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
करवाई जाएगी जांच
इस संबंध में जानकारी मिली है। निरीक्षक को जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए गए है।
- टीकूराम, जिला परिवहन अधिकारी, जैसलमेर।