>>: निजी बसों के थमे रहे पहिए, परिवहन कार्यालय परिसर में खड़ी की बसें

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करौली. निजी बसों का टैक्स माफ करने सहित अन्य मांगों को लेकर गुरुवार को निजी बसों का चक्काजाम रहा। वहीं निजी बस संचालक अपनी बसों को जिला परिवहन कार्यालय परिसर लेकर पहुंचे, जहां मांगों को लेकर विरोध-प्रदर्शन करते जिला परिवहन अधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इसके बाद बस संचालकों ने सीएम के नाम जिला कलक्टर को प्रेषित किया। इधर निजी बसों का संचालन बंद रहने से यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ी। वहीं रोडवेज बसों में यात्रीभार बढ़ गया।

निजी बस ऑपरेटर्स के राज्यव्यापी चक्काजाम के आह्मन पर यहां निजी बस यूनियन ने भी बसों का संचालन बंद रखा। सुबह से ही बसों का संचालन नहीं हुआ, जिसके चलते विभिन्न मार्गों पर जाने वाले यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए परेशानी झेलनी पड़ी। विशेष रूप से मासलपुर, मण्डरायल, गंगापुरसिटी आदि मार्गों पर यहां से बड़ी संख्या में निजी बसों का संचालन होता है, लेकिन निजी बसें बंद रहने से उन्हें दूसरे वाहनों का सहारा लेना पड़ा।

विरोध-प्रदर्शन कर सौंपा ज्ञापन
मार्गों पर बसों का संचालन बंद करने के बाद दोपहर में विरोध स्वरूप निजी बस संचालक बसों को जिला परिवहन कार्यालय लेकर पहुंचे, जहां सरकार द्वारा मांगें पूरी नहीं करने पर रोष जताते हुए प्रदर्शन किया। इस दौरान बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहनकुमार गर्ग के नेतृत्व में बस संचालक, चालक-परिचालकों ने जिला परिवहन अधिकारी को ज्ञापन सांैंपा। इसके बाद बस संचालक जिला कलक्टर को ज्ञापन देने कलक्ट्रेट पहुंचे। इस दौरान बस यूनियन अध्यक्ष मोहनकुमार गर्ग, एसोसिएशसन के मदनमोहन उर्फ पप्पू पचौरी सहित अनिल शर्मा, अशोक गुर्जर, बृजेश, सूरज मीना, जलसिंह मीना, गब्बर, ओमप्रकाश शर्मा, सुनील शर्मा, साबिर खान आदि मौजूद थे।

बस ऑपरेटर्स की यह है मांगें
निजी बस ऑपरेटर्स की ओर से ज्ञापन में बताया गया है कि कोरोना के कारण मार्च 2020 से अब तक सुचारू रूप से बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है। क्योंकि कोरोना के कारण कभी लॉकडाउन तो कफ्र्यू लगा। वहीं स्कूल-कॉलेज और सरकारी कार्यालय भी बंद रहे। इन सबके चलते लोगों का आवागमन पूरी तरह से नहीं हो सका। इस कारण बसें भी संचालित नहीं हो पा रही। जबकि खड़ी बसों का टैक्स बकाया हो गया और बीमा समाप्त हो गया है। वहीं अनेक बसों की फाइनेंस की किश्तें भी बकाया हो गई है। इससे निजी बस मालिकों को काफी नुकसान हुआ है। ज्ञापन में निजी बसों का एक वर्ष का टैक्स माफ करने, अन्य प्रदेशों की भांति निजी बस मालिकों को संचालन खर्च को देखते हुए किराया निर्धारित करने, बस संचालन पर ही टैक्स वसूली करने और बस संचालन नहीं होने पर भविष्य में भी खड़ी बस का टैक्स माफ करने की मांग की गई है।

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