जैसलमेर. पश्चिमी सीमा पर अवस्थित जैसलमेर जिला सीमापार बैठे भारत के दुश्मनों की निगाहों में खूब चढ़ा हुआ है। उन्होंने जिले भर में विशेषकर पोकरण फायरिंग रेंज के इलाके और सीमाई क्षेत्रों में भारत की सामरिक व गोपनीय जानकारियां हथियाने के लिए जासूसों की खेप तैयार कर ली है। एक के बाद एक ऐसे संदिग्ध तत्व भारतीय खुफिया व सुरक्षा एजेंसियों के हत्थे भी चढ़ रहे हैं, लेकिन यह आशंका भी है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने जिले में अनेक स्लीपर सेल तैयार कर रखे हैं। जो हनी या मनी ट्रेप में फंसकर भारत विरोधी हरकतों को अंजाम दे रहे हैं। पिछले दिनों के दौरान ऐसे कई मामले अब तक सामने आए हैं। सुकून का विषय यही है कि सेना के साथ अन्य केंद्रीय व राज्य की खुफिया एजेंसियां ऐसे तत्वों पर कड़ी निगाहें रखे हुए हैं।
सैन्य क्षेत्रों तक पहुंच
आइएसआइ की नजरों में वे लोग बहुत जल्दी से चढ़ते हैंए जिनकी पहुंच सेनाए सीमा सुरक्षा बल आदि सैन्य बलों के प्रतिष्ठानों तक होती है। वह चाहे किसी भी रूप में हो। ऐसे लोगों को हनी ट्रैप में फांस कर या पैसों का लालच देकर उनसे भारतीय सुरक्षा से जुड़ी सूचनाएं मांगी जाती हैं। जानकारी के अनुसार पहले उनसे बहुत साधारण किस्म की सूचनाएं ली जाती हैं, फिर धीरे-धीरे अहम जानकारियां हासिल करने का प्रयास किया जाता है। पोकरण सहित अन्य फायरिंग रेंज के आसपास के ग्रामीण जनप्रतिनिधि भी आइएसआइ के निशाने पर रहते हैं, क्योंकि उनके पास सेनाए सीसुब आदि के अभ्यास से जुड़ी सटीक सूचनाएं होती हैं।
संदेह के घेरे में सीमापार की रिश्तेदारियां
जैसलमेर जिले के सीमावर्ती इलाकों के निवासियों की व्यापक रिश्तेदारियां सीमापार पाकिस्तान में हैं। ऐसे में बड़ी तादाद में लोग वैध वीजा पर पाकिस्तान आवागमन करते रहे हैं। यहां के सीमावर्ती क्षेत्र से पाकिस्तान जाने वाले लोगों पर वहां की खुफिया एजेंसी आइएसआइ नजरें जमाए रहती है। वह उन्हें बरगलाकरए लालच देकर या डरा.धमकाकर भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कई बार तैयार कर लेते हैं। विभिन्न सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों के बीच तालमेल के अभाव को दूर करने के लिए कई प्रयास किए जाने के बाद भी अभी तक पूर्णरूप से सामंजस्य कायम नहीं हो पाया है। एजेंसियां एक दूसरे से अपनी कार्रवाई को साझा नहीं करती। स्थानीय पुलिस को तो कई बार कुछ भी जानकारी नहीं दी जाती। राज्य व केंद्र सरकार के अधीन आने वाली एजेंसियों में आपसी तालमेल अब भी बहुत कम बना है।
रुक नहीं रहा सिलसिला
गत वर्षों के दौरान जासूसी का सिलसिला जोर पकड़े हुए है। पाकिस्तान निवासी नंदलाल गर्ग के जैसलमेर में रहते हुए आइएसआइ के लिए जासूसी करते हुए धरे जाने के बाद से सीआइडी और अन्य एजेंसियों को एक के बाद एक जासूसी में लिप्त तत्वों अथवा आइएसआइ के स्लीपर सेल के तौर पर कार्यरत लोगों के खिलाफ सफलता मिलती रही है। इस तरह सम क्षेत्र के चंगाणियों की बस्ती के बाशिंदे सदीक खां को पाकिस्तान के लिए रेल पकडऩे से पहले जोधपुर रेलवे स्टेशन पर पकड़ा गया था। उसकी निशानदेही पर कई तत्वों को पकड़ा गया। हाल के समय में जासूसी के संदिग्धों की खेप पोकरण फायरिंग रेंज के आसपास पकड़ी गई है।
एजेंसियां हुई सतर्क
पोकरण फिल्ड फायरिंग रेंज व सैन्य ठिकानों के आसपास के क्षेत्र में पोकरण कस्बा, गोमट, रामदेवरा, लोहारकी, खेतोलाई, लाठी, ओढ़ाणिया आदि ग्राम पंचायतों के विभिन्न गांव स्थित हैं। किस गांव में क्या गतिविधि हो रही है तथा कौन व्यक्ति संदिग्ध गतिविधि में लिप्त है तथा किस संचार माध्यम से सेना व सुरक्षा से जुड़ी गुप्त सूचनाओं को इधर.उधर कर सकता हैए इसको लेकर पोकरण क्षेत्र में सुरक्षा एजेंसियों की अब कड़ी नजर है। यहां सेना की सबसे बड़ी पोकरण फिल्ड फायरिंग रेंज स्थित होने के कारण वर्षभर देश के कोने.कोने से सेना की कई बटालियन यहां युद्धाभ्यास के लिए आती है। यहां सेना का स्टेशन हेडक्वार्टरए एक छोटी सैन्य छावनी व बीएसएफ की एक बटालियन भी स्थाई रूप से निवास करती है।
फैक्ट फाइल
-2018 तक सीमा सील करने का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ
-08 चौकियां अब भी सीआइडी की बंद हैं
-38 हजार वर्ग किमी में फैला जैसलमेर जिला
-470 किमी लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा जिले में