>>: Digest for July 11, 2021

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राजसमंद. केन्द्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन की रणनीति बनाने के लिए जिला कांग्रेस की शुक्रवार को नगर परिषद सभागार में हुई बैठक में हंगामा बरपा। मामला था नगर परिषद में पार्षदों के मनोनयन का। युवक कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष दिलीप जोशी ने यह मुद्दा उठाया, जिन्हें धक्के देकर बैठक से बाहर कर दिया गया। बाद में उन्हें पार्टी की प्राथमिकत सदस्यता से निष्कासित भी कर दिया।

हुआ यूं कि दोपहर दो बजे कांग्रेस की बैैठक शुरू हुई। इसमें जिला कांग्रेस प्रभारी पुष्पेन्द्र भारद्वाज व अन्य पदाधिकारियों की मौजूदगी में युवा कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष दिलीप जोशी ने नगर परिषद में हाल ही में राज्य सरकार की ओर से मनोनीत आठ पार्षदों में से कुछ लोगों के चयन पर सवाल खड़े किए। कहा कि भाजपा के लिए काम कर चुके और भाजपा की विचारधारा रखने वालों को मनोनीत कर दिया गया, जबकि कांग्रेस के लिए 20 साल से ज्यादा समय से काम कर रहे कार्यकर्ताओं की अनदेखी की गई। दिलीप जोशी ने नाम गिनाते हुए पार्षदों के मनोनयन पर आपत्ति जताई। इस दौरान हंगामा खड़ा हो गया। जोशी के भड़कने पर पास खड़े कार्यकर्ताओं ने उन्हें समझाने की कोशिश की। कुछ देर बाद मामला बिगडऩे पर उनसे हाथापाई कर दी गई। जोशी को धक्का-मुक्की कर बैठक कक्ष से बाहर निकाल दिया गया।

'मैं तो कार्यकर्ताओं की पीड़ा रखने गया थाÓ
इधर, जोशी ने आरोप लगाया कि वह पार्टी के मंच पर कार्यकर्ताओं की पीड़ा रखने के लिए गए थे, लेकिन अपने ही लोगों ने दुव्र्यवहार कर दिया। जोशी ने कहा कि बैठक के दौरान किसी कार्यकर्ता ने उनके शरीर पर नुकीली चीज से हमला किया।

निष्कासन कर दिया है
इधर, हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधियां करने एवं कांग्रेस पार्टी की रीति-निति के विरुद्ध काम करने के आरोप में जिला प्रभारी पुष्पेन्द्र भारद्वाज ने दिलीप जोशी पुत्र मदनलाल जोशी के विरुद्ध तत्काल अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हुए कांग्रेस पार्टी एवं अग्रिम संगठनों के समस्त पदों से निष्कासित कर दिया। साथ ही कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी निष्कासित कर दिया गया है। निष्कासन की रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्दसिंह डोटासरा को भेज दी गई है। बताया गया कि आगामी दिनों में और भी पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों को चिह्नित कर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
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राजसमंद में कुछ लोगों की हमेशा बैठकों में माहौल खऱाब करने की आदत है। ये लोग जल्दी सुधर जाएं, वर्ना पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। पार्टी में अनुशासनहीनता किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
पुष्पेंद्र भारद्वाज, जिला कांग्रेस प्रभारी

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राजसमंद. केन्द्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन की रणनीति बनाने के लिए जिला कांग्रेस की शुक्रवार को नगर परिषद सभागार में हुई बैठक में हंगामा बरपा। मामला था नगर परिषद में पार्षदों के मनोनयन का। युवक कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष दिलीप जोशी ने यह मुद्दा उठाया, जिन्हें धक्के देकर बैठक से बाहर कर दिया गया। बाद में उन्हें पार्टी की प्राथमिकत सदस्यता से निष्कासित भी कर दिया।

हुआ यूं कि दोपहर दो बजे कांग्रेस की बैैठक शुरू हुई। इसमें जिला कांग्रेस प्रभारी पुष्पेन्द्र भारद्वाज व अन्य पदाधिकारियों की मौजूदगी में युवा कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष दिलीप जोशी ने नगर परिषद में हाल ही में राज्य सरकार की ओर से मनोनीत आठ पार्षदों में से कुछ लोगों के चयन पर सवाल खड़े किए। कहा कि भाजपा के लिए काम कर चुके और भाजपा की विचारधारा रखने वालों को मनोनीत कर दिया गया, जबकि कांग्रेस के लिए 20 साल से ज्यादा समय से काम कर रहे कार्यकर्ताओं की अनदेखी की गई। दिलीप जोशी ने नाम गिनाते हुए पार्षदों के मनोनयन पर आपत्ति जताई। इस दौरान हंगामा खड़ा हो गया। जोशी के भड़कने पर पास खड़े कार्यकर्ताओं ने उन्हें समझाने की कोशिश की। कुछ देर बाद मामला बिगडऩे पर उनसे हाथापाई कर दी गई। जोशी को धक्का-मुक्की कर बैठक कक्ष से बाहर निकाल दिया गया।

'मैं तो कार्यकर्ताओं की पीड़ा रखने गया थाÓ
इधर, जोशी ने आरोप लगाया कि वह पार्टी के मंच पर कार्यकर्ताओं की पीड़ा रखने के लिए गए थे, लेकिन अपने ही लोगों ने दुव्र्यवहार कर दिया। जोशी ने कहा कि बैठक के दौरान किसी कार्यकर्ता ने उनके शरीर पर नुकीली चीज से हमला किया।

निष्कासन कर दिया है
इधर, हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधियां करने एवं कांग्रेस पार्टी की रीति-निति के विरुद्ध काम करने के आरोप में जिला प्रभारी पुष्पेन्द्र भारद्वाज ने दिलीप जोशी पुत्र मदनलाल जोशी के विरुद्ध तत्काल अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हुए कांग्रेस पार्टी एवं अग्रिम संगठनों के समस्त पदों से निष्कासित कर दिया। साथ ही कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी निष्कासित कर दिया गया है। निष्कासन की रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्दसिंह डोटासरा को भेज दी गई है। बताया गया कि आगामी दिनों में और भी पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों को चिह्नित कर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
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राजसमंद में कुछ लोगों की हमेशा बैठकों में माहौल खऱाब करने की आदत है। ये लोग जल्दी सुधर जाएं, वर्ना पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। पार्टी में अनुशासनहीनता किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
पुष्पेंद्र भारद्वाज, जिला कांग्रेस प्रभारी

आईडाणा. कोरोनाकाल में आर्थिक परेशानी को देखते हुए हजारों अभिभावकों ने निजी स्कूलों से टीसी कटवाकर अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिले का मन बनाया, लेकिन उन्हें वहां भी पूरी तरह मुफ्त प्रवेश नहीं मिलेगा। सरकार ने फीस माफी पर कोई निर्णय नहीं किया है।
शिक्षा विभाग ने 7 जून को विद्यालय खोलने के बाद आखिरकार अब प्रवेश को लेकर प्रदेश के विद्यालयों के लिए गाइडलाइन जारी भी कर दी है। मोटी फीस वसूली के कारण विद्यार्थी बड़ी संख्या में निजी विद्यालयों को छोड़कर सरकारी में प्रवेश ले रहे हैं। जो विद्यार्थी पहले से पढ़ रहे हैं, उनके अभिभावक भी ज्यादा आर्थिक संकट में हैं, लेकिन सरकार ने इस वर्ष की फीस माफ करने के बारे में कोई निर्णय नहीं किया। ऐसे में प्रवेश की गाइडलाइन जारी होने के बाद विद्यालयों द्वारा गत वर्ष के अनुसार शुल्क लिया जा रहा है। राजकीय विद्यालयों में कक्षा 1 से 8 तक शुल्क माफ है, लेकिन कक्षा 9 से 12 के लिए छात्र शुल्क व विद्यालय विकास शुल्क सहित अन्य शुल्क वसूला जाता है।
अभिभावक कर रहे शुल्क माफी की मांग
अभिभावकों का कहना है कि राजकीय विद्यालयों में अधिकतर बच्चे गरीब व निम्न आय वर्ग के पढ़ते हैं। उनके परिवारों का रोजगार भी छिन गया है। कोरोना के कारण सबसे ज्यादा प्रभाव भी गरीब तबके व निम्न आय वर्ग पर पड़ा। ऐसे में सरकार को इस वर्ष के शुल्क को माफ करना चाहिए।
आठवीं तक दाखिले पूरे साल होंगे
राजकीय व निजी विद्यालयों के खुलने के करीब एक माह बाद विभाग ने प्रवेश को लेकर गत 5 जुलाई को दिशा-निर्देश जारी किए। पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों के प्रवेश पूरे साल होंगे। कभी भी कोई भी विद्यार्थी किसी भी विद्यालय में प्रवेश ले सकता है। कक्षा 9 से 12 के विद्यार्थियों को 31 जुलाई तक विद्यालयों में प्रवेश लेना होगा। हालांकि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी प्रवेश तिथि को आगे बढ़ाने की संभावना है। ड्रॉप आउट स्टूडेंट्स को जोडऩे की कवायद भी हो रही है। राज्य में बड़ी संख्या में बच्चों ने कोरोनाकाल में स्कूल छोड़ दिए हैं। अन्य राज्यों में रहने वाले जो अभिभावक अपने शहर में आ गए हैं, उन्हें भी अब नए विद्यालय की तलाश है। ऐसे ड्रॉपआउट बच्चों को फिर से जोडऩे का प्रयास हो रहा है।
कक्षा 9 व 10 के लिए शुल्क
छात्र कोष (सामान्य) 200
छात्र कोष (आरक्षित) 100
एसयूपीडब्ल्यू 50
नवीन प्रवेश 10
दुर्घटना बीमा 10
स्काउट 5
विकास शुल्क 100-200
कक्षा 11 व 12 के लिए शुल्क
छात्र कोष (सामान्य) ३00
छात्र कोष (आरक्षित) 1५0
प्रायोगिक परीक्षा 100
नवीन प्रवेश 10
दुर्घटना बीमा 10
स्काउट 5
विकास शुल्क 100-200

आईडाणा. बोर्ड कक्षाओं के कम परिणाम को लेकर कार्यवाही के बारे में शिक्षा विभाग की नींद एक से डेढ़ वर्ष बाद खुलती है। समय पर कार्यवाही नहीं होने से न तो संस्थाप्रधानों और न ही शिक्षको में इसका कोई भय रहता है। न ही अगले सत्र के परिणाम के लिए पूरी मेहनत हो पाती है।
सत्र 2019-20 में न्यून परीक्षा परिणाम रहने पर संस्थाप्रधानों व व्याख्याताओं को माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से अब नोटिस थमाए गए हैं। विभाग ने इन पर कार्यवाही करने से पहले इन शिक्षा अधिकारियों से 15 दिनों में स्पष्टीकरण मांगा है। निर्धारित समय पर न्यून परीक्षा परिणाम का स्पष्टीकरण नहीं देने पर संबंधित के खिलाफ 17 सीसी की चार्जशीट में कार्यवाही होगी। अतिरिक्त निदेशक माध्यमिक शिक्षा रचना भाटिया ने बुधवार को इस संबंध में नोटिस जारी किए हैं। जिन शिक्षा अधिकारियों को नोटिस जारी किए गए हैं, उनमें 982 व्याख्याता व 821 संस्थाप्रधान हैं।
यह है परिणाम का मापदंड : कक्षा 12 में संस्थाप्रधान के लिए विद्यालय का परिणाम 60 प्रतिशत या कम व व्याख्याता के लिए विषय का परिणाम 70 प्रतिशत या कम रहने पर कार्यवाही की जाती हैं। वहीं, कक्षा 10 में संस्थाप्रधान के लिए विद्यालय का परिणाम 50 प्रतिशत या कम व विषयाध्यापक के लिए 60 प्रतिशत या कम परिणाम रहने पर कार्यवाही की जाती है।
खानापूर्ति : शिक्षा विभाग द्वारा कम परिणाम पर कार्यवाही के लिए नोटिस देकर महज खानापूर्ति की जाती है। नोटिस का जो भी जवाब होता है विभाग उसे स्वीकार कर आगे की कोई भी कार्यवाही करता है, इसको लेकर आज तक कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं हुई। ऐसे में किसी को भी ऐसा नोटिस से कोई फर्क नहीं पड़ता। वहीं, समय पर नोटिस नहीं मिलने से पहले कई शिक्षक अपने प्रभाव से तबादले करवा लेते हैं।

कुम्भलगढ़. केलवाड़ा में कडिय़ा रोड पर स्थित महादेव भोजनालय पर शुक्रवार को एक बाल श्रमिक को मुक्त करवाया गया। बाल कल्याण समिति की पहल पर हुई इस कार्रवाई में होटल मैनेजर के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम के तहत केललवाड़ा थाने में प्रकरण भी दर्ज करवाया गया। समिति अध्यक्ष कोमल पालीवाल ने बताया कि जिले में बालश्रम के विरुद्ध अभियान चलाया जा रहा है। इसमें पुलिस विभाग, चाइल्ड लाइन, मानव तस्करी यूनिट, बाल कल्याण समिति संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं। केलवाड़ा में महादेव भोजनालय पर बालश्रम की सूचना पर थाना प्रभारी शैतानसिंह नाथावत के निर्देश पर हेड कांस्टेबल रामभरोस, लंकेश कुमार, चन्द्रशेखर व जाब्ता पहुंचा। वहां मैनेजर कैलाश पुत्र मोहनलाल निवासी आंतरी की होटल पर 13 साल का एक नाबालिग बालक झूठे बर्तन साफ करता हुआ मिला। उसे दल ने छुड़वाया तथा अनुसंधान अधिकारी एएसआई मानसिंह ने बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया। बालक को किशोर गृह में आश्रय दिया गया।
बालक ने बताया कि वह बीते पांच दिन से होटल पर काम पर आया था। उसे उसके भाई योगेश ने तीन हजार रुपए मासिक मेहनताने पर झूठे बर्तन साफ करने व सफई के लिए नौकरी पर लगाया था। होटल पर सुबह 7 से शाम 5 बजे तक काम करवाया जा रहा था। अध्यक्ष पालीवाल ने बताया कि जिले में जून व जुलाई में अब तक 8 बाल श्रमिकों को पांच प्रकरणों में रेस्क्यू किया गया।

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