>>: Digest for July 20, 2021

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बाड़मेर. शहर के दानजी की होदी बिदासर निवासी वीरमसिंह ने अपने पोते की सगाई पर टीका दस्तूरी के रूप में मिले एक लाख रुपए लौटा दहेज बंद करने का समाज को संदेश दिया।

वीरमसिंह के पौत्र किशनसिंह की एक दिन पूर्व सगाई हुई है। किशनसिंह के ससुराल हेमावास फागलिया से ससुर पूरसिंह व अन्य सगाई करने आए तो टीका दस्तूरी के तौर पर एक लाख रुपए दिए।

किशनसिंह के पिता अमरसिंह व दादा वीरमसिंह ने एक लाख रुपए लौटाते हुए मात्र एक रुपया रखा और कहा कि दहेज लेन-देन गलत है।

अमरसिंह ने बताया कि उनका इकलौता पुत्र किशनङ्क्षसह वर्तमान प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है, वे व्यापारी है।

उनको दहेज नहीं चाहिए। शिक्षक रावतसिंह महेचा ने बताया कि समाज में दहेज प्रथा व टीका दस्तूरी बंद करने के लिए हर किसी को एेसी पहल करनी होगी।

किशनसिंह के पिता अमरसिंह व दादा वीरमसिंह ने एक लाख रुपए लौटाते हुए मात्र एक रुपया रखा हर किसी को एेसी पहल करनी होगी।

बाड़मेर. शहर सहित जिले में कोरोना का असर कम होते ही लोग बेपरवाह हो गए हैं। शहर की बाजार में उमड़ रही भीड़ हर जगह कोरोना गाइडलाइन को तोड़ रही है। सोशल डिस्टेंस तो मानो पुरानी बात हो गई अब तो मास्क का उपयोग भी लोग नहीं कर रहे हैं।

वहीं, पुलिस व प्रशासन भी अब सख्ती बरतते नजर नहीं आते जिस पर कोरोना नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ रही है। एेसे में जबकि तीसरी लहर की बात चल रही है, यह बेपरवाही जागरूक लोगों को जरूर चिंता में डाल रही है।

विश्व व्यापी बीमारी कोरोना ने जिले में पहली व दूसरी लहर में काफी कहर बरपाया। पहली लहर में भी जिला कोरोना की चपेट में आया तो कई इलाकों में सम्पूर्ण लॉकडाउन रहा। बेरिकेड्स लगे तो आवाजाही बंद की।

दूसरी लहर आई तो जिले में २४६ परिवारों को अपनों को खोने का दर्द दे गई। वहीं, करीब उन्नीस हजार लोगों को कोरोना ने चपेट में लिया। लोग कई दिन तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करते रहे।

चिकित्सकों की मेहनत, प्रशासन की सख्ती के बाद कोरोना काबू में आया तो लॉकडाउन में छूट मिली, लेकिन अब इसका शहरवासी बेजा फायदा उठा रहे हैं। इस पर कोरोना गाइडलाइन जगह-जगह टूट रही है।

शहर में पग-पग पर लापरवाही, कहीं पड़ न जाए भारी- थारनगरी बाड़मेर में लोगों की बेपरवाही पग-पग पर नजर आ रही है। मुख्य बाजार में सुबह से ही लोगों की भीड़ उमड़ रही है। यह भीड़ कोरोना नियमों को तार-तार कर रही है। सोशल डिस्टेंस तो सडक़ से लेकर दुकान और गली से लेकर चौराहों हर जगह नजर नहीं आती। अब तो मास्क लगाने में भी लोग परहेज बरत रहे हैं। एेसे में यह लापरवाही न केवल खुद के वरन जिले के लोगों के लिए भी भारी पड़ सकती है।

जागरूक लोग कर रहे तीसरी लहर की चिंता- एक तरफ जहां लोग कोरोना नियमों की पालना नहीं कर रहे तो जिले में कई जागरूक लोग इस बेपरवाही को तीसरी लहर का न्योता देना मान चिंतित हो रहे हैं। उनके अनुसार कोरोना का असर अभी विश्व में खत्म नहीं हुआ है, एेसे में यह बेपरवाही बाड़मेर के लिए कहीं भारी न पड़ जाए।

बाड़मेर. कृषि विज्ञान केन्द्र दांता की ओर से नारी परियोजना के अंतर्गत खरीफ के मौसम में गृह वाटिका निर्माण विषय पर प्रशिक्षण आयोजित किया गया।

घर पर छोटी सी गृह वाटिका लगाने के लिए प्रेरित करते हुए प्रथम पंक्ति प्रदर्शन लगाने के लिए खरीफ मौसम की सब्जियों के बीजों का वितरण किया गया।

वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं केन्द्र अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार ने कहा कि जिले की महिलाओं का पोषण स्तर बहुत ही कम हैख् इसके लिए केन्द्र हमेशा प्रयासरत रहता है कि उनके घर पर उनको सभी प्रकार की सब्जियों की उपलब्धता हो जिससे कि पोषण स्तर सुधर सके।

केन्द्र की गृह विशेषज्ञ डॉ. सोनाली शर्मा ने कहा कि शारीरिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए सन्तुलित पोषक तत्वों का भोजन में होना बहुत जरूरी है लेकिन उन्हें कोई फिक्र नहीं होगी जिनके घर पर इस मौसम में गृह वाटिका लगाई जाएगी।

केन्द्र प्रोग्राम असिस्टेंट रेखा दंतावानी ने बताया कि गरीब तबके के लोगों के लिए महंगी सब्जियों को खरीदकर खाना बहुत ही मुश्किल होता है इसके लिए केन्द्र की ओर से यह प्रदर्शन दिए गए जिससे लोगों को आसानी रहेगी, उनके घर पर हरी ताजी सब्जियां उपलब्ध होगी।

बाड़मेर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर ने गोविन्द सुथार को महात्मा गांधी एवं सरदार वल्लभभाई पटेल के राष्ट्रवाद विचारों का तुलनात्मक अध्ययन विषय पर शोध के लिए डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की।

सुथार ने यह शोध जोधपुर के राजकीय महाविद्यालय के राजनीति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सी.आर. सुथार के निर्देशन में किया।

सुथार ने गांधी एवं पटेल के दर्शन एवं कार्य, दोनों की राष्ट्रीय आन्दोलन एवं राष्ट्रीय एकीकरण में योगदान तथा राष्ट्रवाद सम्बधी विचारों का तुलनात्मक अध्ययन किया है।

इससे पूर्व सुथार ने तीन बार राजनीति विज्ञान में नेट उत्तीर्ण कर चुके हैं। इनके पिता डॉ. हुकमाराम सुथार एम.बी.सी. राजकीय कन्या स्नातकोतर महाविद्यालय में प्राचार्य पद पर कार्यरत है एवं राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष है।

विश्वकर्मा छात्रावास में प्रवेश प्रक्रिया शुरू

बाड़मेर. जांगिड पंचायत बाड़मेर की ओर से स्थानीय दानजी की होदी में सोमवार को श्री विश्वकर्मा शिक्षण एवं शोध संस्थान का गठन किया गया।

उच्च शिक्षा के लिए विद्यार्थी छात्रावास में रह कर अध्ययन कर सकेंगे। छात्रावास के संचालन के लिए गठित कमेटी में मोतीलाल ओढ़ाणा को अध्यक्ष नियुक्त किया गया। नरसिंहप्रसाद ओढ़ाणा को उपाध्यक्ष, जगदीशचन्द सलूण को सचिव एवं चुतराराम मांडण को कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया।

अध्यक्ष मोतीलाल ओढ़ाणा ने बताया कि महाविद्यालय के नियमित छात्र एवं प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारियों के लिए समाज के विद्यार्थी नवनिर्मित छात्रावास में प्रवेश के लिए 25 जुलाई से पूर्व आवेदन कर सकते हैं।

रामसर पत्रिका . भारत के जांबाज जवानों के शौर्य और पराक्रम की यादें संजोए यहां पहुंची स्वर्णिम मशाल यात्रा के तहत शहीदों को पुष्प चक्र अर्पित कर उन्हें नमन किया गया।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक दिल्ली से रवाना हुई स्वर्णिम मशाल यात्रा 17 जुलाई को बाड़मेर पहुंची थी।

इसके बाद यह यात्रा शनिवार को गडरा रोड और रविवार को मराठा हिल मुनाबाव होते हुए सोमवार को रामसर पहुंची। यहां मालू राउमावि में राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।

भारतीय सेना के जवानों व स्थानीय अधिकारियों ने शहीद हुए वीर सैनिकों को पुष्प चक्र अर्पित किए।
यह विजय मशाल यात्रा रवाना भारत पाक युद्ध 1971 में शहीद हुए वीर जवानों के सैल्यूट कार्यम के 50 साल पूरे होने के बाद हुई।

यह सैन्य संघर्ष 3 दिसंबर 1971 को शुरू हुआ और 16 दिसंबर 1971 को ढाका समर्पण के बाद समाप्त हुआ। इस युद्ध के बाद बांग्लादेश दुनिया के नक्शे पर नया देश बन कर उभरा।
उल्लेखनीय है कि तब 13 दिन तक चले युद्ध के दौरान तीस हजार सैनिक और तीन लाख बांग्ला लोग प्रभावित हुए और करीब एक लाख लोग भारत आए। इस युद्ध में शहीद हुए वीर जवानों के वीरता व बलिदान की यादें ताजा करने के लिए यह विजय मशाल यात्रा निकाली जा रही है।

इस मौके पर डेजर्ट ऑफ रेजीमेंट के अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल जीजेश के.पी, उपखंड अधिकारी, तहसीलदार, खंड विकास अधिकारी, एएसआई, कैप्टन हरिसिंह सोढ़ा, हवलदार तनेराजसिंह, हवलदार तेजमाल सिंह, कानाराम, लाखाराम, कमलसिंह और राणमल सहित कई जने मौजूद रहे।

रामसर पत्रिका . भारत के जांबाज जवानों के शौर्य और पराक्रम की यादें संजोए यहां पहुंची स्वर्णिम मशाल यात्रा के तहत शहीदों को पुष्प चक्र अर्पित कर उन्हें नमन किया गया।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक दिल्ली से रवाना हुई स्वर्णिम मशाल यात्रा 17 जुलाई को बाड़मेर पहुंची थी।

इसके बाद यह यात्रा शनिवार को गडरा रोड और रविवार को मराठा हिल मुनाबाव होते हुए सोमवार को रामसर पहुंची। यहां मालू राउमावि में राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।

भारतीय सेना के जवानों व स्थानीय अधिकारियों ने शहीद हुए वीर सैनिकों को पुष्प चक्र अर्पित किए।
यह विजय मशाल यात्रा रवाना भारत पाक युद्ध 1971 में शहीद हुए वीर जवानों के सैल्यूट कार्यम के 50 साल पूरे होने के बाद हुई।

यह सैन्य संघर्ष 3 दिसंबर 1971 को शुरू हुआ और 16 दिसंबर 1971 को ढाका समर्पण के बाद समाप्त हुआ। इस युद्ध के बाद बांग्लादेश दुनिया के नक्शे पर नया देश बन कर उभरा।
उल्लेखनीय है कि तब 13 दिन तक चले युद्ध के दौरान तीस हजार सैनिक और तीन लाख बांग्ला लोग प्रभावित हुए और करीब एक लाख लोग भारत आए। इस युद्ध में शहीद हुए वीर जवानों के वीरता व बलिदान की यादें ताजा करने के लिए यह विजय मशाल यात्रा निकाली जा रही है।

इस मौके पर डेजर्ट ऑफ रेजीमेंट के अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल जीजेश के.पी, उपखंड अधिकारी, तहसीलदार, खंड विकास अधिकारी, एएसआई, कैप्टन हरिसिंह सोढ़ा, हवलदार तनेराजसिंह, हवलदार तेजमाल सिंह, कानाराम, लाखाराम, कमलसिंह और राणमल सहित कई जने मौजूद रहे।

बाड़मेर. जिले में कोरोना की मार ने प्रवेशोत्सव की रफ्तार को रोक लिया। एक साल पहले जहां करीब पैंतालीस हजार बच्चों का नामांकन हुआ तो इस बार आंंकड़ा बमुश्किल ग्यारह हजार पार कर पाया है जबकि दस दिन बाद ही प्रवेशोत्सव कार्यक्रम खत्म हो जाएगा।

हालांकि २०२०-२1 में नामांकन करीब पैंतालीस हजार बढ़ा था। लक्ष्य के मुताबिक करीब पचपन हजार का नामांकन बढऩा था लेकिन अब तक मात्र बारह हजार की नामांकन बढ़ा है।

सरकारी विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने के लिए प्रवेशोत्सव कार्यक्रम नव शिक्षा सत्र के आरम्भ में शुरू होता है। करीब एक माह-ड़ेढ़ माह तक चलने वाले कार्यक्रम में शिक्षक रैली, सांस्कृतिक कार्यक्रम, संवाद कार्यक्रम, अभिभावक सम्मेलन, जन सम्पर्क के माध्यम से बच्चों को सरकारी स्कू  लों से जोड़ते हैं।

नवप्रवेशी के साथ ड्राप आउट, चौदह साल तक के बच्चों के सरकार विद्यालयों में जोड़ा जाता है। जिले के कुल नामांकन का दस फीसदी हर साल लक्ष्य होता है।

इस बार कोरोना ने प्रवेशोत्सव कार्यक्रम पर रोक लगा दी जिसके चलते नामांकन पर भी रोक लग गई। 31 जुलाई तक प्रवेशोत्सव कार्यक्रम है और अभी तक जिले में मात्र 11  हजार विद्यार्थी ही सरकारी स्कू  लों से जुड़ पाएं हैं।

खास बात यह है कि पिछले सत्र में करीब पैंतालीस हजार विद्यार्थी सरकारी स्कू  लों से जुड़े थे, लेकिन इस बार एक चौथाई आंकड़ा भी पार नहीं हुआ है।

प्रचार-प्रसार के अभाव में नामांकन कम- पूर्व में जहां विद्यालय खुलने पर अभिभावक खुद बच्चों को स्कू  ल लेकर आते थे तो विद्यालय भी रैली, सभा, अभिभावक सम्मेलन, बाल सभाएं आदि करवा गांव में प्रवेशोत्सव का प्रचार-प्रसार करते थे। इस बार कोरोना गाइडलाइन के चलते एेसा नहीं हो पा रहा है। हालांकि शिक्षक घर तक पहुंच रहे हैं, लेकिन नामांकन आशानुरूप नहीं बढ़ रहा। पूर्व में जहां प्रति सत्र पन्द्रह से बीस हजार का नामांकन होता था लेकिन इस बार तीन-साढ़े तीन हजार कम हुआ है। पिछले साल कोरोना का फायदा- सरकारी स्कू  लों को पिछले सत्र में कोरोना का फायदा मिला था, क्योंकि पहली लहर आते ही स्कू  ल बंद हुए तो निजी विद्यालयों से भी नामांकन सरकारी स्कू  लों में हुआ। इस पर करीब साढे़ पैंतालीस हजार नामांकन सरकारी स्कू  लों में बढ़ा था।

कोरोना का असर पर प्रवेशोत्सव जारी- कोरोना के चलते स्कू  ल बंद होने से नामांकन प्रक्रिया पर असर पड़ा है। हालांकि अभी भी प्रवेशोत्सव जारी है जिस पर अधिक से अधिक नामांकन का प्रयास रहेगा।-नरसिंगप्रसाद जांगिड़, सहायक निदेशक, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय बाड़मेर

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