>>: Digest for July 27, 2021

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#kargil2021
झुंझुनूं. थी खून से लथपथ काया, फिर भी बंदूक उठाके दस-दस को एक ने मारा, फिर गिर गए होश गंवाके, जब अंत समय आया तो कह गए कि अब मरते हैं, खुश रहना देश के प्यारों अब हम तो सफर करते हैं। क्या लोग थे वे दीवाने, क्या लोग थे वे अभिमानी, जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी...तुम भूल ना जाना उनको इसलिए कही यह कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी। कवि प्रदीप का लिखा देशभक्ति यह गीत वर्ष 1963 में स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने गया था। देशभक्ति का जज्बा जगाने वाले इस गीत की तरह झुंझुनूं की माटी का कण गण वीरता की गाथा गाता है। कोई भी युद्ध या ऑपरेशन हो झुंझुनूं के जवान अपनी शहदात देने में सबसे आगे रहते हैं। करगिल की विजय में भी झुंझुनूं के 18 जवानों ने शहादत दी थी। यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ। इस युद्ध के दौरान 550 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया। वहीं करीब 1400 से ज्यादा जवान घायल हुए। इसके बाद हर 26 जुलाई को करगिल शहीदों की याद में विजय दिवस मनाया जाता है।

#vijay diwas
जो लौट के घर ना आए
लांस नायक दशरथ कुमार बसावा
हवलदार मनीराम सीथल
नायक रामस्वरूपसिंह बिसाऊ
हवलदार शीशराम गिल बिशनपुरा
सूबेदार श्रीपालसिंह टीटनवाड़
सिपाही रणवीर सिंह मैनपुरा
सूबेदार हरफूलसिंह तिलोका का बास
सिपाही खडग़ सिंह नंगली गुजरान
सिपाही हवासिंह बास बिसना
सिपाही विजयपालसिंह ढाका की ढाणी
सिपाही कंवरलालसिंह बनगोठड़ी कला
लांस नायक भगवानसिंह ढाणी बंधा की
गनर राजकुमार इंद्रसर
सिपाही शीशराम पिलानी
सिपाही नरेश कुमार भालोठ
लांस नायक बस्तीराम सिमनी
लांस नायक कृष्ण कुमार सातडिय़ा
सिपाही सुरेश सिंह सहड़
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कैरोठ के शेर सिंह ने लड़ी जंग

पचलंगी. करगिल में 22 ग्रेनेडियर की अल्फा कंपनी में तैनात पापड़ा के कैरोठ गांव के निवासी सेवानिवृत्त कैप्टन शेर सिंह यादव जंग के समय करगिल क्षेत्र के बटालिक हैलमिट, जुबेर हिल एरिया में तैनात थे। 8 जुलाई 1999 को मोर्चा संभाला। उन्होंने बताया, जंग के समय सात-आठ दिन तक खाना नहीं मिला केवल सूखी पुरिया मिली। बर्फ के बीच सूखी पूरिया खाकर भूख मिटाई लेकिन अपना हौसला कम नहीं होने दिया। लगातार दुश्मन से लोहा लिया। दुश्मन को हराकर ही दम लिया।


सूबेदार ने नहीं मानी हार

पचलंगी. 22 ग्रेनेडियर की अल्फा कंपनी में तैनात पापड़ा के कैरोठ गांव के निवासी सेवानिवृत्त सूबेदार हरदयाल सिंह यादव बटालिक एरिया की जुबेर हिल पर तैनात थे। सैनिक अजीत सिंह, सतीश कुमार, आनंदपाल सहित अन्य अपने सैनिक साथियों के साथ मोर्चा संभाले हुए थे। ऊंचाई पर तैनात होने पर ऑक्सीजन की कमी भी रही। लेकिन मजबूत इरादों के आगे दुश्मन के हर दाव को फेल कर दिया। सेवानिवृत्त सूबेदार हरदयाल सिंह यादव चाचा व सेवानिवृत्त कैप्टन शेर सिंह यादव रिश्ते में भतीजा है । दोनों 22 ग्रेनेडियर अल्फा कंपनी में कार्यरत थे। शेर सिंह को बहादुर अवार्ड से भी नवाजा गया।


तिरंगा फहराकर मनाया जश्न

गुढ़ागौडज़ीञ्चपत्रिका. धमोरा निवासी हवलदार सुरेश जाखड़ तथा रघुनाथपुरा निवासी बनवारीलाल रेपस्वाल ने उस दौरान करगिल ऑपरेशन में अपना योगदान दिया था।गुढ़ागौडज़ी क्षेत्र के पूर्व सैनिकों की क्यूआरटी टीम ने टाइगर हिल की तरह गुढागौडज़ी की पहाड़ी पर तिरंगा फहराकर करगिल विजय दिवस को उत्सव के रूप में मनाया। उस दौरान सैनिकों ने वंदे मातरम व भारतमाता के जयकारे लगाते हुए पहाड़ी की चोटी पर तिरंगा लगाया। इस दौरान हव. नेमीचंद कुलहरि, छगनसिंह, बनवारीलाल, आजादसिंह बड़ागांव, रणवीरसिंह, धर्मवीरसिंह दिलीप गिल, मुन्नालाल, नंददेवसिंह, रमेश कुमार, दिनेश सांखला, प्रवीण आदि मौजूद रहे।फोटो जीडी 26सीबी..1. सुरेश जाखड़1998 में सेना में भर्ती हुए धमोरा निवासी हवलदार सुरेश पुत्र शिवचंद जाखड़ उस समय लेह में सेना की 16 ग्रनेडियर यूनिट में शामिल थे। सुरेश ने बताया कि उस दौरान खराब मौसम के चलते उनकी छुट्टी रद्द हो गई थी। उस दौरान सुरेश की उम्र मात्र 18 वर्ष ही थी। जंग में शामिल हुए हवलदार सुरेश ने बताया कि उस समय कम्यूनिकेशन की सुविधा कम थी। सेना के जवानों ने हिम्मत नहीं हारी और उसी साहस से दुश्मनों का सामना किया। 26 जुलाई को जंग जीतकर टाइगर हिल पर विजय पताका के रूप में तिरंगा फहरा दिया गया।2. बनवारीलाल रेपस्वाल1995 को सेना में भर्ती हुए बनवारी रेपस्वाल अपनी यूनिट के साथ लेह में वेलेंटियर के रूप में गए हुए थे। उस समय उनकी यूनिट भी लेह लद्दाख में पेट्रोलिंग के लिए गई हुई थी। बनवारीलाल ने बताया कि उस समय दुश्मनों ने उनकी यूनिट के एक जवान पर हमला करके घायल कर दिया था। जिसके बाद जंग की शुरूआत हो गई। भारी बर्फबारी के बीच चल रही धुंआधार गोलियां तथा कई बार सेना पर हुए गोलों के हमलों के बीच बनवारीलाल ने भी जंग में दस दिन भाग लिया था। भगवान सिंह ने 16 को उतारा मौत के घाटखेतड़ी. झुंझुनंू जिले के प्रथम करगिल शहीद बंधा की ढाणी निवासी सेना मेडल विजेता भगवान सिंह ने शहीद होने से पहले 16 दुश्मनों को मौत के घाट उतारा था। उनकी वीरता पर सेना मेडल से सम्मानित किया गया था। वे 27 राजपूत रेजीमेंट में कार्यरत थे। करगिल के सियाचीन ग्लेसियर थर्ड चौकी पर चौकी पर तिरंगा फहराया था।

झुंझुनूं. सावन के पहले सोमवार को झुंझुनूं शहर से लगते ग्रामीण क्षेत्रों में हुई मध्यम दर्जे की बरसात से लोगों को सुकुन मिला। खापजुर नया, खाजपुर पुराना, खाजपुर का बास, इंडाली, भैड़ा की ढाणी उत्तरी-दक्षिणी, पुरोहितों की ढाणी समेत शहर से लगते कई गांवों सोमवार दोपहर बाद मौसम का मिजाज बदल गया। घने काले बादलों की आवाजाही के बाद दोपहर ढाई बजे बूंदाबांदी का शुरू हुआ दौर तेज बरसात में बदल गया और आधे घंटे तक तेज और फिर मध्यम बरसात का दौर साढ़े तीन बजे तक चलने से परनाले चलने लगे। वहीं, खेतों में एकबारगी पानी ही पानी हो जाने से किसानों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। यहां तक की गांवों से गुजरने वाली सड़कों के किनारे पानी भर गया। करीब एक घंटे चली बरसात से लोगों को बैचेन करने वाली गर्मी से राहत मिली। परंतु जिला मुख्यालय पर शाम पांच बजे तक एक भी बूंद बरसात की नहीं गिरने से उमस ने लोगों के पसीने छुड़ाए रखे। गौरतलब रहे कि 26 जुलाई को सावन का पहला सोमवार होने के चलते लोग चर्चा करते नजर आए कि बरसात के जल से भगवान शिव का जलाभिषेक हो गया।

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