>>: Digest for July 30, 2021

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Table of Contents

नागौर. नागौर पंचायत समिति क्षेत्र के गांवों में वर्ष 2015-14 से 2017-18 तक एसएफसी-5 योजना में कार्यकारी एजेंसी पंचायत समिति द्वारा कुल 19 सार्वजनिक सिंग फेस ट्यूबवैल खुदवाई गई, लेकिन उनमें से 15 ट्यूबवैल आज तक चालू नहीं हुई है। यानी एसएफसी-5 योजना के 68.47 लाख रुपए खर्च करने के बावजूद ग्रामीणों को एक बूंद पानी नहीं मिला। इस प्रकार की चौंकाने वाली जानकारी खींवसर विधायक नारायण बेनीवाल ने बुधवार को नागौर पंचायत समिति की साधारण सभा की बैठक में जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को दी। विधायक ने कहा कि जनता का पैसा इस तरह क्यों बर्बाद किया गया। इसकी जांच होनी चाहिए और दोषी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। अन्यथा इस प्रकार की बर्बादी आगे भी होती रहेगी।

विधायक द्वारा यह जानकारी बैठक में रखने पर जिला परिषद सदस्य ओमप्रकाश सेन ने उनकी बात को काटते हुए कहा कि आप यह बात बार-बार कह रहे हो, लेकिन सारी ट्यूबवैल चालू हैं। इस पर विधायक बेनीवाल ने पहले तो उन्हें कहा कि वे अपनी बात बीडीओ व अधिकारियों से कह रहे हैं, इसलिए वे बीच में नहीं बोलें, क्योंकि वे उनकी बात का जवाब देने के लिए अधिकृत नहीं हैं। इसके बाद विधायक ने 29 जून 2021 को बीडीओ द्वारा लिखित में दी गई जानकारी का कागज सबको दिखाते हुए कहा कि इसमें वर्ष 2016 से 2018 तक खोदी गई सिंगल फेस 15 ट्यूबवैल के लिए जब बिजली कनेक्शन ही जारी नहीं हुए तो ट्यूबवैल कैसे चालू होगी। विधायक ने कहा कि ग्राम पंचायत के होते हुए पंचायत समिति ने कार्यकारी एजेंसी बनकर ग्राम पंचायतों में लाखों रुपए के काम करवा दिए, जो सीधा ग्राम पंचायतों के अधिकारों का हनन है। उन्होंने गगवाना ग्राम पंचायत में पंचायत समिति द्वारा वर्ष 2019-20 में एसएफसी-5 योजना के तहत करवाए 36.4 लाख के विभिन्न कार्यों पर भी प्रश्न चिह्न लगाते हुए कहा कि इस प्रकार की गलत परिपाटी डालना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि आज इस बैठक में इस प्रकार का प्रस्ताव लिया जाना चाहिए कि जब तक ग्राम पंचायत सहमति नहीं दे, तब तक ग्राम पंचायत में पंचायत समिति कार्यकारी एजेंसी बनकर काम नहीं करवाएगी। इस पर जनप्रतिनिधियों ने पूरा समर्थन दिया। बैठक में विकास अधिकारी चरणसिंह ने पूर्व बैठक में लिए गए प्रस्तावों पालना रिपोर्ट पेश की।

बजट देने में नहीं हो भेदभाव
विधायक बेनीवाल ने कहा कि राजनीति के चक्कर में ग्राम पंचायतों को बजट देने में भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने वर्ष 2019-20 में कुछ ग्राम पंचायतों को जारी किए गए बजट के आंकड़े दिखाते हुए कहा कि गंठिलासर, बरणगांव, अलाय, गगवाना में अधिक बजट दिया गया, जबकि ज्यादातर ग्राम पंचायतें ऐसी हैं, जहां 2 से 5 लाख रुपए भी नहीं दिए। उन्होंने कहा कि विकास कार्यों में सभी ग्राम पंचायतों के साथ समान रूप से बजट मिले, ऐसी परिपाटी डालें।

जनप्रतिनिधियों ने रखी समस्याएं
प्रधान सुमन मेघवाल की अध्यक्षता में आयोजित नागौर पंचायत समिति की बैठक में चाऊ सरपंच सुरेश चारण ने पानी की पाइपलाइन में लीकेज व एक व्यक्ति के भरोसे छह ट्यूबवैल की जिम्मेदारी का इश्यू उठाया। चारण ने कहा कि झोरड़ा में हजारों श्रद्धालु आते हैं, लेकिन पूरा पानी सप्लाई नहीं होता। इस पर पीएचईडी जेईएन ने कहा कि वे जल्द ही लीकेज निकालवा देंगे व आदमी बढ़ा देंगे। धुंधवालों की ढाणी के सरपंच ने कहा कि खेळियों में पानी नहीं है, जानवर प्यासे मर रहे हैं। इस पर तहसीलदार सुभाषचंद्र चौधरी ने कहा कि सरकार हर गांव में पानी पहुंचाने का प्रयास कर रही है, लेकिन हमें अपने परम्परागत जल स्रोत बचाकर रखना है, उनको संरक्षित रखना है, ताकि पेयजल संकट का सामना नहीं करना पड़े।

सरकारी सिम नहीं है क्या
जिला परिषद सदस्य धर्मेंद्र गोदारा ने डिस्कॉम एईएन से कहा कि आपको कभी भी फोन करो, आप फोन उठाते नहीं हो, आपको सरकारी सिम अलॉट नहीं हुई है क्या? गोदारा ने कहा कि कुम्हारी में वॉल्टेज की समस्या है, चिमरानी में तार ढीले हैं। इस पर एईएन अजयसिंह राठौङ़ ने कहा कि पॉवर ट्रांसफार्मर उपलब्ध नहीं हो रहा है, इस वजह से वॉल्टेज की समस्या है। भवाद ग्राम पंचायत के सरपंच ने कहा कि नायकों की ढाणी में कनेक्शन के लिए फाइलों को जमा करवाए सात महीने हो गए, लेकिन कनेक्शन नहीं दिए जा रहे हैं। पंचायत समिति सदस्य हंसराज पंवार ने ताऊसर के सती कुआं से अठियासन तक सडक़ बनवाने, ताऊसर में निर्मित गौरव पथ का पुनर्निर्माण करवाने तथा विद्यालयों के लिए भूमि आवंटन करने की मांग रखी।

घूंघट में दिखी महिला शक्ति
सरकार ने भले ही पंचायतीराज व्यवस्था में महिलाओं को आगे लाने के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण दे दिया है, लेकिन जागरुकता व शिक्षा के अभाव में आज भी स्थिति सुधर नहीं पाई है। बुधवार को आयोजित बैठक में खुद प्रधान सहित सभी महिला जनप्रतिनिधि घूंघट में बैठी नजर आईं। कुछ महिलाओं के साथ तो उनके पति व रिश्तेदार भी बैठक में रहे। हालांकि बीडीओ ने उन्हें बाहर जाने के लिए कहा, लेकिन कुछ बैठे रहे।

नागौर. गरीबों का गेहूं डकारने वाले सरकारी कर्मचारियों से वसूली करने की कार्रवाई तेज हो गई है। रसद विभाग ने जिले के 110 कर्मचारियों को अंतिम चेतावनी देते हुए तीन दिन में राशि जमा नहीं कराने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की तैयारी कर ली है।
गौरतलब है कि अपात्र होने के बावजूद खाद्य सुरक्षा एक्ट का लाभ लेने वाले सरकारी कर्मचारियों से रसद विभाग द्वारा जुर्माना राशि वसूली जाने का अभियान पिछले काफी दिनों से चल रहा है। इसी अभियान के तहत जिला कलक्टर के निर्देशानुसार तीन विभागों के 110 कर्मचारियों (शिक्षा विभाग के 85, पुलिस विभाग के 38 व चिकित्सा विभाग के 7) से 24 लाख 57 हजार 339 रुपए की जुर्माना राशि वसूली जानी है।
जिला रसद अधिकारी पार्थसारथी ने बताया कि अपात्र होने के बावजूद खाद्य सुरक्षा एक्ट के तहत मिलने वाले सरकारी गेहूं का उपभोग करने वाले जिन 110 सरकारी कर्मचारियों से जुर्माना राशि वसूली जानी है, वे पुलिस, शिक्षा व चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं। जिला रसद अधिकारी ने बताया कि इन तीनों विभागों के सम्बन्धित कर्मचारियों की सूची जिला पुलिस अधीक्षक, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा जिला शिक्षा अधिकारी को भिजवाई जा चुकी है। जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने तीनों विभागों के जिला अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे सम्बन्धित कर्मचारियों को 3 दिन की अवधि के अंदर रसद विभाग में जुर्माना राशि जमा करवाने के लिए आदेशित करें। 3 दिन के अंदर जो भी कर्मचारी जुर्माना राशि रसद विभाग में जमा नहीं करवाएगा, उसके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के साथ-साथ वेतन से कटौती की जाएगी।

जिले में डाकघर के 31 एसओ कार्यालय किराए के भवनों में हो रहे संचालित
नागौर. लोकसभा में बुधवार को आरएलपी संयोजक व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल के सवाल पर संचार मंत्रालय ने लिखित जवाब देते हुए कहा कि नागौर जिले में 31 स्थानों पर डाकघरों के एसओ कार्यालय किराए के भवन में चल रहे हैं, जबकि 3 एसओ कार्यालय ही सरकारी भवनों में चल रहे हैं। वहीं ग्रामीण डाकघरों के आधुनिकीकरण करने व भवन निर्माण से जुड़े बिंदु पर मंत्रालय ने बताया कि ग्रामीणों क्षेत्रों में संचालित डाकघरों को शामिल करते हुए लागत-लाभ- विश्लेषण, व्यवहारिक आवश्यकता व निधियों की उपलब्धता के आधार पर अपने उपलब्ध भूखण्डों पर आधुनिक सुविधाओं से युक्त डाक भवनों का निर्माण करने सम्बन्धी नीति है, वहीं डाकघरों का निर्माण भूमि व निधि की उप्लब्धता के आधार पर किया जाता है।

नागौर. काश्तकारों के लिए खुशखबरी है। जिले में जिप्सम की आपूर्ति हो गई है। राजस्थान राज्य माईन्स एण्ड मिनरल्स लिमिटेड की ओर से करीब एक हजार टन जिप्सम फिलहाल जिले में पहुंच गया है। इसके लिए काश्तकार कृषि विभाग के स्थानीय कार्यालय अथवा संबंधित सहायक कृषि अधिकारी व कृषि पर्यवेक्षक को इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। इस संबंध में कृषि विभाग की ओर से काश्तकारों को इसकी जानकारी दिए जाने के साथ ही फसलों में जिप्सम की महत्ता बताए जाने का काम भी ग्राम पंचायतवार शुरू कर दिया गया है। काश्तकारों को इसकी आपूर्ति अनुदानित दर पर की जाएगी। इसमें काश्तकारों को ५० प्रतिशत अनुदान पर इसकी उपलब्धतता कराई जा रही है। प्रति बैग किसानों को यह लगभग ७० रुपए में देय रहेगी।
इसलिए जिप्सम का प्रयोग आवश्यक है
कृषि विस्तार उपनिदेशक शंकरराम बेड़ ने बताया कि किसानों को बताया जा रहा है कि जिस मिट्टी का पी.एच. मान 8.5 से अधिक विनियमशील सोडियम की मात्रा 15 प्रतिशत से अधिक होती है। वह मृदा क्षारीयता की समस्या से ग्रसित होती है इस प्रकार की मृदा सुखने पर कठोर होने साथ ही इसमें दरारे पड़ जाती है। क्षारीय मिट्टी में पौधो के समस्त पोषक तत्वो की उपस्थिती के बावजुद मृदा से अच्छी उपज प्राप्त नही होती है। जिप्सम के उपयोग से मिट्टी मे घुलनसिल केल्सियम की मात्रा बढ़ती है। जो क्षारीय गुण के लिए जिम्मेदार अधिशोधित सोडियम को घोलकर और मृदा कण से हटाकर अपना स्थान बना लेता है। परिणामस्वरूप भुमि का पीएच मान कम कर देता है। क्षारीय भूमि सुधार के लिए इन मृदाओं का मृदा परीक्षण के आधार पर सिफारिश की गई जिप्सम आवश्यकता से आधी मात्रा मई-जून माह में खेत में समान रूप से बिखेर कर जुताई करके अच्छी तरह से 10 से 15 सेन्टीमीटर मिट्टी की ऊपरी सतह में मिला देना चाहिए,। खेत में डोलिया बनाकर बडी-बडी क्यारीया बना देनी चाहिए ताकि वर्षा का पानी बहकर खेत से बाहर नही जा सके। तिलहन फसले जैसे-ंउचय मूंगफली, तिल, सोयाबीन, सरसों, तारामीरा आदि में जिप्सम के उपयोग से इनके दानों में तेल की मात्रा बढ़ती है। दलहनी फसलों में जिप्सम के उपयोग से प्रोटीन की मात्रा में वृद्धि होती है, जिससे इनके दाने सुडोल बनते है और पैदावार बढ़़ती है। ये पौधों की जड़ों में स्तर राईजोबियम जीवाणुओं की क्रियाशीलता को बढ़ाती है, जिससे फसलें वातावरण में उपस्थित स्वतंत्र नाईट्रोजन का अधिक से अधिक उपयोग करती है। खाद्यान फसलों में जिप्सम का उपयोग से पौधे बढ़वार अच्छी करते है। साथ ही खाद्यान सहित सभी फसलों की उपज में बढ़ोतरी होती है।

नागौर. सरस डेयरी से जुड़े ठेकाकर्मी दुग्ध संघ की ओर से अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार का एलान कर दिया गया। संघ के प्रतिनिधियों का कहना है कि राजस्थान डेयरी फेंडरेशन व नागौर डेयरी में कार्य बहिष्कार को प्रभावी तरीके से चलेगा, क्यों कि उनकी मांगों पर लंबे समय से ध्यान नहीं दिया जा रहा। आरसीडीएफ एवं दुग्ध संघों में सालों से ठेका पद्धति से जुड़े होने के बाद भी उनको भर्ती में वरीयता नहीं दी जाती है। आरसीडीएफ एवं दुग्ध संघों में सहकारी भर्ती बोर्ड की ओर से कराई जा रही भर्ती में उनको कोई प्राथमिकता नहीं मिल रही है। जबकि पूर्व में राज्य सरकार, सहकारी भर्ती बोर्ड, आरसीडीएफ एवं डेयरी प्रशासन को मांगपत्र देकर इससे अवगत कराया जा चुका है। इस संबंध में ज्ञापन पत्र मुख्यमंत्री, सहकारिता मंत्री, पशुपालन मंत्री एवं आरसीडीएफ प्रबन्ध संचालक जयपुर को भेजकर यथोचित कदम उठाए जाने का आग्रह किया है। धरना में शिवराज एवं महेन्द्र आदि मौजूद थे।

विद्यालय में कक्षा-कक्ष निर्माण शुरू
नागौर. राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय अमरपुरा में भामाशाहों के सहयोग से दो बड़े कमरे व एक हॉल की नींव का मुहूर्त कराकर निर्माण कार्य शुरू करने का शुभारंभ किया गया। साईंबाबा ट्रस्ट चूंटीसरा के प्रधान ट्रस्टी माधवदास व ट्रस्टी भगतसिंह ने नींव का मुहूर्त कराया। साईंबाबा ट्रस्ट के कार्यों से प्रेरित होकर भामाशाह धन्नाराम, अचलाराम, भोजाराम, नाथूराम घोषलिया की ओर से भी एक कमरे का निर्माण कार्य शुरू कराया गया। इस दौरान परिसर में पौधे भी लगाए गए। इसमें एसीबीईओ महबूब खान, प्रधानाचार्य शिवराज सिंह, धर्मेन्द्र सोलंकी, पूनाराम, अमराराम प्रजापत, जगन्नाथ, नेनाराम, सुशीला चौधरी, गोवर्धनराम मुण्डेल एवं रामनिवास आदि मौजूद थे।

नागौर. रामपोल सत्संग भवन में चल रहे सत्संग में कथावाचक संत रमताराम ने कहा गोस्वामी तुलसीदास महाराज ने रामचरितमानस का लेखन करते हुए कहा कि भगवान के चरित्र तो बहुत बड़े हैं, लेकिन प्रभु के गुण का वर्ण करना बुद्धि से परे है। मेरा भाग्य तो छोटा है, लेकिन अभिलाषा भगवान रामचंद्र के चरित्र बनाने की बड़ी है। जिनका ईश्वर के चरणों में प्रेम नहीं, उनको इस कथा में कुछ नहीं मिलेगा। जिस कथा में भगवान राम का नाम का यश का वर्णन किया गया है। उस कथा में सारे ग्रंथों का सार आ जाता है। कहने का अर्थ है कि राम नाम के बिना कहीं भी रस नहीं रहता है। जीवन में राम नाम होना जरूरी है। जिस ग्रंथ में राम का वर्णन होगा। वह कथा सभी संत महात्माओं के लिए पूज्यनीय होगी। इस ग्रंथ को संत महात्मा स्वीकार कर लेंगे। अपार संसार समुंदर को पार करने के लिए राम नाम रूपी पुल पर चढकऱ आसानी से पार हो सकता है। संत मुरलीराम महाराज ने कहा कि भगवान श्रीराम का नाम ही भवसागर को पार करा सकता है, लेकिन इसके लिए खुद को समर्पित करना पड़ेगा। भगवान की सच्चे भाव से भक्ति करनी होगी। भक्त की भक्ति इतनी प्रबल होनी चाहिए कि भगवान की कृपा उस पर बनी रहे। कहने का अर्थ है कि भक्ति के दौरान भक्त जब खुद को अपने ईष्ट के समक्ष समर्पित कर देता है तो उसके अंदर अहं भाव पूरी तरह से समाप्त हो जाता है। भक्ति में अहं का कोई स्थान नहीं है। इस अवसर पर साध्वी मोहनी बाई ने जिण दिन संत मिल जाये, भजन प्रस्तुत किया। बाल संत रामगोपाल महाराज, नंदकिशोर बजाज, नंदलाल प्रजापत, कांतिलाल कंसारा, मदन मोहन बंग, रामअवतार शर्मा आदि मौजूद थे।

नागौर. रामद्वारा केशवदास महाराज बगीची बख्तासागर में चातुर्मास की कथा में भागवत पर प्रवचन करते हुए मंहत जानकीदास ने कहा कि भगवान के नाम अलौकिक शक्ति है। ग्रंथों में ऐसा लिखा है कि ब्रह्म ज्ञानी संतो को भी प्रारब्ध भोगना पड़ता है प्रारब्ध का नाश ब्रह्म ज्ञान से भी नहीं होता है। ज्ञानी संतो के जीवन में सुख दुख ,मान अपमान के प्रसंग आते हैं, परंतु के मन को शांत रखते हैं। प्रारब्ध बहुत बलवान होता है। भगवान नाम के जाप से प्रारब्ध का नाश होता है। साधारण भक्ति से प्रारब्ध का नाश नहीं होता है। भगवान का नाम समर्पित भाव से लेना पड़ता। सर्वकाल भक्ति करने वाले का प्रारब्ध नाश होता है। कोई भी सत्कर्म नियम से बारह वर्ष तक बराबर होने पर उसकी शक्ति बढ़ जाती है। वह सिद्ध हो जाता है। जीवन में कैसा भी सुख-दुख का प्रसंग आए, लेकिन भक्ति छोडऩा नहीं चाहिए। सुख-दुख में मानव भोजन नहीं छोड़ता है तो फिर भगवान की भक्ति को भी नहीं छोडऩी चाहिए। सुख-दुख बादल के समान है। भागवत कथा में प्रसंग आता है कि जो वैष्णव भगवान को याद करते हुए सो जाता है तो रात्रि भर भक्ति करने भक्ति करने का फल होता है। भगवान के स्वभाव को जानने वाला भगवान को एक क्षण भी नहीं छोड़ सकता। भक्ति से ही मरण सुधरता है। अंतकाल सुधारने के लिए ही पूरे जीवन में भगवान की भक्ति पूजा पाठ की जाती है। ताकि उसका अंत सुधर जाए। इस दौरान संत मि_ूराम ,संत मांग दास, संत कल्याण दास ,संत लक्षआनंद, मोडाराम ढाका, भंवरूराम ढाका, किशोरराम माझू ,भंवरुदास वैष्णव, सत्यनारायण माहेश्वरी आदि मौजूद थे।

नागौर. जिला मुख्यालय के बीकानेर रोड स्थित रीको एरिया में बरसात की बूंदों के गिरने के साथ ही यहां की सडक़ों पर करंट दौडऩे लगता है। नंगे तारों के नीचे तक गिरते-लटकते तारों के साथ असुरक्षित-अव्यवस्थित हालात में रखे गए ट्रांसफार्मर अब खतरा बन गए हैं। यही नहीं, सघन हुए पेड़ों के बीच लटके तार बारिश के साथ ही जमीन पर फैलते करंट का कारक बनने लगे हैं। इसकी वजह से यहां के उद्यमियों में भी अब अनहोनी की आशंका की वजह से डर नजर आने लगा है।रीको एरिया में दालों की फैक्ट्रियों के बीच बरसात के दौरान दौड़ते करंट यहां पर लगे कामगारों के लिए खतरा बनने लगे हैं। पूरे एरिया में बिजली के तारों के जाल पेड़ों के अंदर से होते हुए फैले हुए हैं। इनकी देखभाल नहीं होने की वजह से यह कई जगहों पर लटके हुए नजर आने लगे हैं। पेड़ों से होकर गुजरने की वजह से बारिश के दौरान पानी का साथ मिलते ही कई बार यह करंट सडक़ों पर उतर जाता है। यही नहीं, यहां अवैज्ञानिक तरीके से लगे ट्रांसफार्मर के नजदीक से गुजरने पर अक्सर कई पशु असमय हादसे का शिकार होकर अपनी जान गवां बैठते हैं। ऐसे हादसों की संख्या भी उद्यमियों क अनुसार एक दर्जन का आंकड़ा पार कर गई है।
धर्म का आधार शब्द नहीं, आचरण
ानागौर. जैन श्वेतांबर तपागच्छ श्री संघ के बोहरावाड़ी स्थित उपाश्रय में प्रवचन करते हुए साध्वी सौम्यप्रभा ने कहा कि भगवान महावीर स्वामी ने अहिंसा को परम धर्म कहा है। धर्म का महल अहिंसा की नींव पर टिका हुआ है। धर्म का आधार शब्द नहीं आचरण है। मन, वचन और काया तीनों से अहिंसा का पालन किया जा सकता है। मन में शुभ चिंतन वचनों में कोमलता काया में स्थिरता हो तो धर्म आत्मा का स्वभाव बन जाएगा। जीवन मंगल के आधार पर टिका हुआ है। जीवन के सांसारिक-पारिवारिक धार्मिक प्रत्येक कार्य में मंगल से जुड़े हुए हैं। तीर्थंकरों और गुरुजनों का नाम मंगल है। मछली दर्पण स्वस्तिका आदि आकृतियां स्थापना, दही गुड़ आदि द्रव्य मंगल है। संयम, तप ब्रम्हचर्य और दान भाव मंगल है। चातुर्मास काल में भाव मंगल की आराधना करनी चाहिए। तप से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

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