>>: हरियाली अमावस्या पर रहेगा रवि पुष्य योग

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जोधपुर. इस बार रविवार ८ अगस्त को श्रावणी अमावस्या के दिन सर्वार्थसिद्धि योग तथा रवि पुष्य योग भी बन रहा है। अमावस्या के दिन पितरों को खुश करने के लिए पिंडदान, तर्पण व श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। ज्योतिष अनीष व्यास ने बताया कि हरियाली अमावस्या प्रकृति को पुन: कुछ लौटाने का पर्व है। हरियाली अमावस्या पर भी पितरों की शांति के लिए पिंडदान और दान-धर्म और पितरों की संतुष्टी के लिए पौधरोपण करने का महत्व है। मंदिर परिसर व तीर्थ स्थलों में पीपल, बरगद, केला, नींबू अथवा तुलसी का पौधरोपण करना शुभ है। इस दिन पति-पत्नी को जोड़े के साथ शिव-पार्वती का पूजन करना शुभ माना जाता है।

जोधपुरवासी निभाते हैं परम्परा
श्रावणी अमावस्या को शहर के बाहर भोगिशैल पहाडि़यों में स्थित धार्मिक स्थलों की परिक्रमा के लिए भारी भीड़ प्रशासन के लिए चुनौती बन सकती है। श्रावणी अमावस्या को भोगिशैल पहाडि़यों व पड़ाव स्थलों पर आमोद प्रमोद के साथ 'गोठ' की परम्परा रही है। प्रकृति के प्रति आभार जताने के विशेष दिन श्रावणी अमावस्या को भोगिशैल पहाडि़यों के धार्मिक स्थलों के दर्शन करते है।

हरियाली अमावस्या कब से कब तक
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - अगस्त 7 शाम ७.11 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त - अगस्त 8 शाम 7.19 बजे

रातानाडा गणेश मंदिर में विशेष व्यवस्था
श्रावणी अमावस्या को रातानाडा स्थित गणेश मंदिर में प्रथम पूज्य को शीश नवाने के बाद जोधपुर शहर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के श्रद्धालु मसूरिया बाबा रामदेव मंदिर, चौपासनी श्याम मनोहर प्रभु मंदिर, कदम्ब खंडी, अरणा झरना, बड़ली भैरुजी, बैजनाथ, मंडलनाथ, बेरीगंगा तीर्थ होते हुए मंडोर उद्यान पहुंचते है। श्रावणी अमावस्या को इस बार भक्तों की भीड़ की संभावना को देखते हुए रातानाडा गणेश मंदिर में कोविड गाइडलाइन पालना के साथ सिर्फ पांच-पांच दर्शनार्थियों को ही मंदिर गर्भगृह में दर्शन की अनुमति देने का निर्णय लिया है। उल्लेखनीय है प्रत्येक तीसरे वर्ष पुरुषोत्तम मास में होने वाली भोगिशैल परिक्रमा गत वर्ष जोधपुर में २६ सितम्बर से २ अक्टूबर तक होनी थी लेकिन कोरोना महामारी के कारण स्थगित कर दी गई थी।

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