>>: उन्नत बीज व तकनीक से मिली सफलता

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मल्चिंग तकनीक बढी पैदावार
किसान ने भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बेंगलूरु से टमाटर की नई किस्म मंगवाई। इसके लिए किसान ने मल्चिंग तकनीक अपनाई। प्लास्टिक शीट से पौधों को ढक दिया जाता है। इसमें पौधों की सुरक्षा के साथ पैदावार भी बढ़ती है। मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा बढऩे के साथ उसकी जल धारण क्षमता भी बढ़ी।

स्टैकिंग तकनीक का लाभ
टमाटर के पौधों को बांस, लकड़ी और तार की सहायता से बांधने की तकनीक को स्टेकिंग कहा जाता है। यह टमाटर के गुणवत्तापूर्ण फलों के उच्च उत्पादन में मदद करता है। स्टेकिंग से पौधों को ऊंचाई प्राप्त होती है। इससे उन्हें ज्यादा सूर्य किरणें और हवा मिलती है। जिससे रोग और कीटों से बचाव होता है।

गेहूं में विरलीकरण विधि अपनाई
किसान ने गेहूं की खेती में इस वर्ष गेहूं विरलीकरण विधि अपनाई। इस विधि में गेहूं का पौधरोपण धान की खेती की तरह होता है। एक बीघा में दो से तीन किलो गेहूं के बीज की आवश्यकता होती है, जबकि परंपरागत खेती में एक बीघा में 25 से 30 किलो गेहूं की बिजाई होती है। विरलीकरण विधि लघु व सीमांत किसानों के लिए फायदेमंद है। परपरंगत की तुलना में 25 से 50 फीसदी अधिक उपज और आमदनी ली जा सकती है। खाद-पानी की भी बचत होती है।

नवनीत जैन — इटावा, कोटा

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