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Ashok Gehlot vs Sachin Pilot: अविनाश पांडे, अजय माकन के बाद सुखजिन्दर सिंह भी हुए फेल, अब 3 नए सह प्रभारी कराएंगे मेल Sunday 23 April 2023 11:57 AM UTC+00 Ashok Gehlot vs Sachin Pilot: राजस्थान प्रदेश कांग्रेस की आपसी गुटबाजी को खत्म करने के तमाम प्रयासों में हाईकमान द्वारा नियुक्त किए गए तीन प्रभारियों के फेल होने के बाद अब सह प्रभारियों को जोड़ा गया है। सत्ता और संगठन के बीच तालमेल के लिए पहले अविनाश पांडे,अजय माकन और अब सुखजिन्दर सिंह रंधावा कोई खास रिजल्ट नहीं दे पाए। इसके बावजूद भी प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी लगातार बनी रही। इस दौरान कुछ मौके ऐसे आए जब पार्टी टूटने की नौबत आई। कांग्रेस हाईकमान ने अब सह प्रभारियों की नियुक्ति की है। चूंकि यह चुनावी साल है और ऐसे समय में पार्टी के आपसी झगड़ों से दूर कर अच्छी परफोरमेंस के लिए आलाकमान ने डेमेज कंट्रोल के लिए दिल्ली महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अमृता धवन, गुजरात के प्रभारी वीरेन्द्र सिंह और काजी निजामुद्दीन को राजस्थान कांग्रेस में सह प्रभारी सचिव के तौर पर अटैच किया है। यह भी पढ़ें: Amritpal Singh Arrest Updates: अमृतपाल सिंह का क्या है राजस्थान कनेक्शन नाकामयाब रही अविनाश पांडे की कोशिशें कांग्रेस जब सत्ता में आई तो उसी दिन से गहलोत और पायलट के बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर खींचतान शुरू हो गई। 2019 में जब अविनाश पांडे प्रदेश प्रभारी थे। पांडे के तमाम प्रयासों के बावजूद सत्ता और संगठन में तालमेल नहीं बैठा। प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी बढती गई और इस गुटबाजी ने जुलाई 2020 में बड़ा रूप ले लिया। सचिन पायलट और उनके समर्थक 18 विधायक मानेसर स्थित एक होटल में जाकर बैठ गए। तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे को भनक तक नहीं लगी और कांग्रेस टूटने की कगार पर आ गई। करीब एक महीने बाद गांधी परिवार के दखल के बाद जैसे तैसे प्रदेश सरकार तो बच गई लेकिन अविनाश पांडे को हटना पड़ा। यह भी पढ़ें: ज्यादा सेल दिखाने के लिए डिमांड से ज्यादा भेजा Saras Milk अब बाजार से वापस लौट रहा है फटा दूध अजय माकन के प्रयास भी रहे नाकाम कांग्रेस आलाकमान ने पांडे के बाद अजय माकन को राजस्थान का नया प्रदेश प्रभारी बनाकर भेजा था। करीब दो साल तक वे यहां प्रभारी रहे। इन दो सालों में दर्जनों बार ऐसे मौके आए जब दो गुटों में बंटे नेताओं ने एक दूसरे के खिलाफ जमकर बयान दिए। सचिन पायलट गुट के विधायकों ने कई बार खुलेआम धमकियां दी कि पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाया तो पार्टी बड़ा खामियाजा भुगतने को तैयार रहे। 25 सितंबर 2022 को गहलोत गुट के विधायकों ने आलाकमान के खिलाफ बगावत कर दी थी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दिल्ली में सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी। गहलोत और पायलट गुट के बीच सामंजस्य बैठाने में अजय माकन नाकाम साबित हुए। गहलोत समर्थित विधायकों ने अजय माकन पर षड़यंत्र रचकर पायलट को सीएम बनाने की साजिश रचने के गंभीर आरोप लगाए। बाद में अजय माकन को प्रदेश प्रभारी के पद से हटना पड़ा। यह भी पढ़ें: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बड़ा तोहफा, महंगाई राहत कैंप में मिलेगा 10 बड़ी योजनाओं का सीधा लाभ सुखजिन्दर सिंह रंधावा भी नहीं दिखा सके कमाल यह भी पढ़ें: रसूखदारों पर कार्रवाई के इंतजार में मृतक रामप्रसाद मीणा का परिवार पायलट के अनशन को रंधावा ने पार्टी विरोधी कदम बताते हुए कार्रवाई की बात कही थी लेकिन गांधी परिवार के दखल के बाद फिलहाल कार्रवाई का मसला ठंडा पड़ गया। इसी बीच पायलट ने सार्वजनिक मंच से अपनी ही सरकार के मुखिया के कामकाज पर लगातार सवाल उठा रहे हैं। ना केवल सचिन पालयट बल्कि प्रदेश सरकार के कई विधायक और मंत्री अपनी ही सरकार के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे हैं।
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