>>: Ashok Gehlot vs Sachin Pilot: अविनाश पांडे, अजय माकन के बाद सुखजिन्दर सिंह भी हुए फेल, अब 3 नए सह प्रभारी कराएंगे मेल

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Ashok Gehlot vs Sachin Pilot: राजस्थान प्रदेश कांग्रेस की आपसी गुटबाजी को खत्म करने के तमाम प्रयासों में हाईकमान द्वारा नियुक्त किए गए तीन प्रभारियों के फेल होने के बाद अब सह प्रभारियों को जोड़ा गया है। सत्ता और संगठन के बीच तालमेल के लिए पहले अविनाश पांडे,अजय माकन और अब सुखजिन्दर सिंह रंधावा कोई खास रिजल्ट नहीं दे पाए। इसके बावजूद भी प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी लगातार बनी रही। इस दौरान कुछ मौके ऐसे आए जब पार्टी टूटने की नौबत आई। कांग्रेस हाईकमान ने अब सह प्रभारियों की नियुक्ति की है। चूंकि यह चुनावी साल है और ऐसे समय में पार्टी के आपसी झगड़ों से दूर कर अच्छी परफोरमेंस के लिए आलाकमान ने डेमेज कंट्रोल के लिए दिल्ली महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अमृता धवन, गुजरात के प्रभारी वीरेन्द्र सिंह और काजी निजामुद्दीन को राजस्थान कांग्रेस में सह प्रभारी सचिव के तौर पर अटैच किया है।

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नाकामयाब रही अविनाश पांडे की कोशिशें

कांग्रेस जब सत्ता में आई तो उसी दिन से गहलोत और पायलट के बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर खींचतान शुरू हो गई। 2019 में जब अविनाश पांडे प्रदेश प्रभारी थे। पांडे के तमाम प्रयासों के बावजूद सत्ता और संगठन में तालमेल नहीं बैठा। प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी बढती गई और इस गुटबाजी ने जुलाई 2020 में बड़ा रूप ले लिया। सचिन पायलट और उनके समर्थक 18 विधायक मानेसर स्थित एक होटल में जाकर बैठ गए। तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे को भनक तक नहीं लगी और कांग्रेस टूटने की कगार पर आ गई। करीब एक महीने बाद गांधी परिवार के दखल के बाद जैसे तैसे प्रदेश सरकार तो बच गई लेकिन अविनाश पांडे को हटना पड़ा।

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अजय माकन के प्रयास भी रहे नाकाम

कांग्रेस आलाकमान ने पांडे के बाद अजय माकन को राजस्थान का नया प्रदेश प्रभारी बनाकर भेजा था। करीब दो साल तक वे यहां प्रभारी रहे। इन दो सालों में दर्जनों बार ऐसे मौके आए जब दो गुटों में बंटे नेताओं ने एक दूसरे के खिलाफ जमकर बयान दिए। सचिन पायलट गुट के विधायकों ने कई बार खुलेआम धमकियां दी कि पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाया तो पार्टी बड़ा खामियाजा भुगतने को तैयार रहे। 25 सितंबर 2022 को गहलोत गुट के विधायकों ने आलाकमान के खिलाफ बगावत कर दी थी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दिल्ली में सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी। गहलोत और पायलट गुट के बीच सामंजस्य बैठाने में अजय माकन नाकाम साबित हुए। गहलोत समर्थित विधायकों ने अजय माकन पर षड़यंत्र रचकर पायलट को सीएम बनाने की साजिश रचने के गंभीर आरोप लगाए। बाद में अजय माकन को प्रदेश प्रभारी के पद से हटना पड़ा।

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सुखजिन्दर सिंह रंधावा भी नहीं दिखा सके कमाल
इसके बाद कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा को राजस्थान का नया प्रभारी बनाकर भेजा। इस दौरान माना जा रहा था कि वो इस विवाद को सुलझा लेंगे। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से पहले उनको राजस्थान की जिम्मेदारी दी गई। राहुल गांधी की भारत यात्रा के दौरान राजस्थान कांग्रेस में सब ठीकठाक था लेकिन कुछ दिनों बाद ही गहलोत और पायलट गुट के बीच बयानबाजी शुरू हो गई। सब कुछ जानते हुए भी प्रदेश प्रभारी रंधावा कुछ नहीं कर सके। नतीजा यह रहा कि सचिन पायलट ने हाल ही के दिनों में अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन कर दिया।

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पायलट के अनशन को रंधावा ने पार्टी विरोधी कदम बताते हुए कार्रवाई की बात कही थी लेकिन गांधी परिवार के दखल के बाद फिलहाल कार्रवाई का मसला ठंडा पड़ गया। इसी बीच पायलट ने सार्वजनिक मंच से अपनी ही सरकार के मुखिया के कामकाज पर लगातार सवाल उठा रहे हैं। ना केवल सचिन पालयट बल्कि प्रदेश सरकार के कई विधायक और मंत्री अपनी ही सरकार के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे हैं।

 

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