>>: किस करवट बैठेगा एससी-एसटी वोटबैंक, भाजपा ने जमाई नजरें

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जयपुर। प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक पार्टियों ने वोटबैंक को खंगालना शुरू कर दिया है। भाजपा ने अब एससी-एसटी वोटबैंक पर नजरें जमाई है। प्रदेश में करीब 30 प्रतिशत इस वोटबैंक का किसी भी पार्टी की हार और जीत में अहम योगदान है। यही वजह है कि पार्टी इस वोटबैंक को अपनी ओर खींचने में लगी हुई है। पार्टी सूत्रों की मानें तो एससी मतदाता 17 फीसदी और एसटी 13 प्रतिशत हैं। इसे कांग्रेस का परंपरागत वोटबैंक माना जाता है।

ऐसे में भाजपा इसे अपने पक्ष में लेने के लिए मोदी सरकार की एससी-एसटी को लेकर बनी योजनाओं को इनके बीच लेकर जाया जाएगा। पार्टी ने सभी 200 सीटों के लिए पूर्णकालिक और अल्पकालीन विस्तारक बनाए हैं। मगर एससी और एसटी बाहुल्य सीटों पर भी विशेष फोकस किया गया है। एसटी के 100 बूथों के लिए अलग से 46 और एससी के 100 बूथों के लिए 25 अलग से पूर्णकालिक विस्तारक लगाए गए हैं, जो इन बूथ पर काम करके केंद्र की योजनाओं के जरिये भाजपा के पक्ष में माहौल बनाएंगे। ये विस्तारक घर—घर पहुंच केंद्र की मोदी सरकार की योजनाओं की जानकारी देंगे। साथ ही पार्टी की रीति और नीति से योजनाओं के लाभार्थियों को जोड़ने का काम करेंगे।

पार्टी कर रही है फोकस

इस वोटबैंक को अपनी ओर लेने के लिए पार्टी एससी—एसटी बाहुल्य वाली सीटों पर फोकस कर रही है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा खुद सवाई माधोपुर और भरतपुर में दो दिन तक एससी-एसटी सम्मेलन के जरिये जीत का मंत्र दे चुके हैं। भरतपुर संभाग के जिलों के अनुसूचित जनजाति से संबंधित प्रबुद्धजनों के साथ बैठक कर चुके हैं।

52 हजार बूथ पर उतारी टीम

भाजपा ने 200 विधानसभा सीटों पर 52 हजार बूथों पर अपनी टीम उतार दी है। इनमे से विशेषकर कमजोर सीटों वाले बूथ के साथ करीब 20 हजार उन बूथों को चिन्हित किया है जो एससी-एसटी बाहुल्य वाली हैं। हाल ही में अंबेडकर जयंती से बुद्ध पूर्णिमा तक सेवा पखवाड़ा शुरू किया गया था। पार्टी की निर्देशानुसार एससी मोर्चा SC बाहुल्य क्षेत्रों में बूथ लेवल पर पार्टी के प्रचार प्रसार का काम अलग-अलग कार्यक्रमों के जरिए कर रहा है।

ये है सीटों का गणित

राजस्थान में 13 फीसदी एसटी और 17 फीसदी एससी का वोट बैंक है। रिजर्व सीटों की बात की जाए तो एसटी की 25 और एससी की 34 सीटें है। मगर दोनों ही पार्टियां सामान्य सीटों पर इन वर्गों के लोगों को टिकट देती आई है। मौजूदा विधानसभा में एसटी के पास 32 और एसटी के 35 विधायक हैं। यह का वोट बैंक मूल रूप से कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है। यही वजह है कि बीजेपी इस बार कांग्रेस की इस वोट बैंक पर सेंधमारी करना चाह रही है।

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