>>: चौथे भालू आने के इंतजार में अभी एक नर भालू पिंजरे में ही

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माउंट आबू एवं जालौर के सुंधा माता वन कंजर्वेशन से अब तक तीन भालू सरिस्का टाइगर रिजर्व में आ चुके हैं। इनमें दो नर एवं एक मादा भालू हैं। सरिस्का पहुंचे एक नर व एक मादा भालू को पिछले दिनों जंगल में खुले विचरण के लिए छोड़ दिया गया है। वहीं एक नर भालू अभी पिंजरे में हैं। इस भालू को मादा भालू आने पर एक साथ छोड़ा जाएगा।

पर्यटकों में भालुओं को देखने का क्रेज : सरिस्का घूमने वाले पर्यटकों में बाघ के साथ ही भालुओं की साइटिंग का क्रेज दिखाई पड़ रहा है। पर्यटकों को कई बार बाघ- बाघिन की साइटिंग तो हो रही है, लेकिन भालुओं को देख पाने की इच्छा अभी अधूरी है।


नए होने के कारण अभी सुरक्षित जंगल में छोड़ा
सरिस्का में भालू का पुनर्वास पहली बार कराया गया है। हालांकि कुछ वर्ष पूर्व यहां एक भालू रहा है, लेकिन अकेला होने के कारण वह ज्यादा समय जंगल में नहीं रह सका। माउंट आबू व जालौर के सुंधा माता वन क्षेत्र से लाए गए भालुओं के लिए सरिस्का अभी नया क्षेत्र है। इस कारण दोनों भालुओं को फिलहाल सरिस्का के सुरक्षित जंगल में छोड़ा गया है। इस जंगल में पर्यटन रूट नहीं है। इस कारण पर्यटकों को इस जंगल में घुमाने के लिए नहीं ले जाया जाता।

पर्यटकों में भालुओं को लेकर क्रेज

सरिस्का आने वाले पर्यटकों में भालु को लेकर भी क्रेज दिखाई देता है, लेकिन फिलहाल भालुओं को उस क्षेत्र में छोड़ा गया है, जो उनके लिए सुरक्षित है। अक्सर भालुओं को उस क्षेत्र में रखा जाता है, जहां बाघों का मूवमेंट कम या नहीं होता है।

निरंजन सिंह, नेचर गाइड सरिस्का टाइगर रिजर्व

सरिस्का बाघ परियोजना करणा का बास एनीकट में शुक्रवार को मगरमच्छ के 11 बच्चों को देखा गया। सरिस्का में मगरमच्छों का कुनबा बढ़ गया है। मगरमच्छ के छोटे बच्चों को देखकर पर्यटक भी काफी खुश हैं।

सरिस्का डीएफओ डीपी जगावत ने बताया सरिस्का बाघ परियोजना के करणा का बास एनीकट में मगरमच्छ के 11 बच्चे नजर आए। एक मगरमच्छ की औसतन लंबाई 5 से 7 फीट होती है यह सर्दियों में अंडे देते हैं मादा मगरमच्छ मिट्टी के घोसले बनाकर अपने अंडों को उसमें दबा देती है और फिर उन घोसलों की देखभाल करती है । जब बच्चे अंडे से निकलने वाले होते हैं आवाज करते हैं इस आवाज को सुनकर मादा मगरमच्छ घोसलों से मिट्टी हटाकर बच्चे को बाहर निकाल लेती है। अपने मुंह में दबाकर सीधा पानी में ले जाती है एक बार में लगभग 20 से 80 अंडे देते हैं । ये अपने शिकार की हड्डियां, सींग व खुर आदि को आसानी से पचा जाते हैं। भोजन को पचाने को लेकर यह कई बार पत्थर भी खा जाते हैं मगरमच्छ हर 2 मिनट में एक या दो बार सांस लेता है मगरमच्छ सिर्फ मांस खाते हैं मगरमच्छ के मुंह में 24 दांत होते हैं बेहद नुकीले होते हैं। इसके बावजूद यह अपने शिकार को चबाने की बजाए निगलना पसंद करते हैं। मगरमच्छ पानी में लगभग 25 मील घंटे की रफ्तार से तेज दौड़ सकते हैं इनकी। यह बिना भोजन भोजन के लगभग 1 महीने तक जीवित रह सकते हैं।

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