>>: लापरवाही से धधक रहे जंगल

>>

Patrika - A Hindi news portal brings latest news, headlines in hindi from India, world, business, politics, sports and entertainment!

उदयपुर. गर्मी आने के साथ ही मेवाड़ की पहाडि़यां धधकने लगती है। वर्षों से इसी प्रकार आग लगने की घटनाओं में हजारों हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो रहे हैं। कुछ दशकों पूर्व तक हरि-भरी दिखाई देने वाली कई पहाडि़यां अब पेड़ों से विहीन दिखाई देती है। इन पहाडि़यों में वन विभाग के साथ ही रेवेन्यू, चरागाह आदि भूमि भी होती है। पहाड़ी पर आग लगने पर इसे पारंपरिक तरीके से ही बुझाया जा सकता है। इसके लिए न तो वन विभाग के पास संसाधन है और न ही नगर निगम के पास।इन दिनों जिले में कई स्थानों पर पहाडि़यों पर आग लगने की घटनाएं बढ़ गई है। दो दिन पूर्व वन विभाग के हिंग्लासा माता के आसपास की पहाडि़यां धधकी थी। इसमें 70 हेक्टेयर क्षेत्र खास हो गया। वहीं देबारी िस्थत जिंक कॉलोनी के पास की पहाडि़यों पर आग लगने से 40 हेक्टयेर से अधिक क्षेत्र में पेड़-पौधे जल गए। वहीं देबारी, उमरड़ा, बांकी वनखंड के साथ ही कई जगह आग लगने की घटनाएं हो चुकी है।

-------

इन संसाधनों से बुझाई जा रही आग

वन विभाग के कर्मचारी पहाडि़यों पर चढ़कर खजूर, सप्तपति आदि की डालियों से आग पर काबू पाने का प्रयास करते हैं। वहीं फायर ब्रिगेड पहाड़ी पर ऊपर लगी आग के रैंज में आने का इंतजार करती है। फायर लाइन भी आग लगने पर ही बनाई जाती है।

-------

संसाधन भारी

वन विभाग को आग बुझाने के लिए ब्लोअर और अन्य संसाधन दिए जाते हैं। लेकिन ये इतने भारी है कि इन्हें लेकर पहाड़ी पर चढ़ना और आग के बीच इनका उपयोग करना काफी मुश्किल है।

-------

हिंसक जानवर आते हैं आबादी की ओर

जंगल में आग लगने से पैंथर और अन्य वन्यजीव कॉलोनियों में आ जाते हैं। वहीं छोटे-मोटे जीवों में से 20 प्रतिशत जलकर मर जाते हैं। सबसे अधिक नुकसान सरिसृपों का होता है। इनके बिलों में धुआ जाने और आग की चपेट में आने से इनकों काल का ग्रास बनना ही पड़ता है।

-----

इनका कहना है

मेवाड़ में पहाडि़यों पर आग लगने की घटनाएं कई कारणों से होती है। इनमें मगरा स्नान की परंपरा के साथ ही महुवे के फूल एकत्रित करने के लिए इसके पेड़ के नीचे आग लगाकर सफाई की जाती है। वहीं शहद के लिए मधुमखियों को भगाने के लिए भी धुंआ किया जाता है। आबादी वाले क्षेत्रों में कचरे में आग लगाने, धूम्रपान करके बेतरतीब फैंकने के चलते भी आग लगती है। जागरूकता की कमी और लापरवाह नजरिये से कई बार बड़े वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचता है।

- राहुल भटनागर, पूर्व उपवन संरक्षक।

You received this email because you set up a subscription at Feedrabbit. This email was sent to you at abhijeet990099@gmail.com. Unsubscribe or change your subscription.