>>: जीवन को बदलने का माद्दा रखने वाली पुस्तकें तरस रही पाठकों को

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जैसलमेर. समय की गति कई बार बहुत विचित्र भी होती है। आज का दौर ज्ञान और नित नई तकनीकी ऊंचाइयों को छूने का है लेकिन जिन पुस्तकों में जीवन की दशा और दिशा बदलने की सबसे ज्यादा क्षमता है, वे ही आम जनजीवन से मानो बेदखल हो गई हैं। यकीन न हो तो जैसलमेर के सबसे अहम स्थल हनुमान चौराहा पर अवस्थित जिला पुस्तकालय का ही उदाहरण लिया जा सकता है। यहां जीवन के प्रत्येक पहलू पर केंद्रित करीब 47 हजार पुस्तकों का अनमोल खजाना भरा पड़ा है लेकिन उन पुस्तकों को पढऩे वाले पाठकों का अभाव दिनोंदिन विकराल होता जा रहा है। गत अर्से यहां अडाणी समूह की तरफ से सीएसआर फंड से करीब 70 लाख रुपए खर्च कर पुस्तकालय को पूर्णतया आधुनिक स्वरूप प्रदान किया गया है। जहां पाठकों के लिए बैठ कर पढऩे की वह सुविधा है जो अधिकांश लोगों को उनके घरों अथवा निजी लाइब्रेरियों में कतई नहीं मिलता। पुस्तकालय में नियमित रूप से पढऩे आने वालों अथवा घर ले जाकर पुस्तकें पढऩे वालों की तादाद सौ से भी कम है। हालांकि युवा वर्ग जो प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़े हैं, उन्हें पुस्तकालय में उपलब्ध पत्र-पत्रिकाएं पढऩे की सुविधा अच्छे तौर पर काम आ रही है। जिला पुस्तकालय में साहित्य, संस्कृति, विज्ञान, तकनीकी, भाषा सहित कला से जुड़े तमाम आयामों से जुड़ी करीब 47 हजार पुस्तकें संग्रहित हैं।
क्यों मनाया जाता है विश्व पुस्तक दिवस
यूनेस्को की ओर से साल 1995 से प्रतिवर्ष 23 अप्रेल को विश्व पुस्तक दिवस मनाया जाता है। हर बार इसकी थीम जुदा होती है। इस बार यह 'आपका' विश्व पुस्तक दिवस रखी गई है। यूनेस्को ने विलियम शेक्सपियर और इंका गार्सिलासो डे ला वेगा जैसी कई साहित्यिक हस्तियों का सम्मान करने के लिए विश्व पुस्तक दिवस आयोजित करने का फैसला किया गया है। जिनकी 23 अप्रेल को मृत्यु हुई। शेक्सपियर का तो जन्म भी 23 अप्रेल को हुआ था। पुस्तक दिवस मनाने का एक सीधा उद्देश्य लोगों को पुस्तकों की दुनिया से जोड़े रखने का है। वर्तमान दौर में जब प्रत्येक आयुवर्ग का व्यक्ति हाथ में 5-6 इंच के मोबाइल में सारी दुनिया का ज्ञान टटोल रहा है, उनका नाता ज्ञान की असल चाबी पुस्तकों से लगातार कम होता जा रहा है। यही कारण है कि जैसलमेर के जिला पुस्तकालय में तमाम सुविधाओं के बावजूद पाठकों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो रही और बाजार में किताबों की दुकानें सिमटती जा रही हैं।
पुस्तकालय पर एक नजर
- जिला पुस्तकालय में इन दिनों करीब 50 युवक-युवतियां नियमित तौर पर अखबार व मैगजीन्स पढऩे के लिए पहुंचते हैं। इनमें से कुछ अपनी पठन सामग्री साथ लेकर भी आते हैं।
- सालाना 100 रुपए से भी कम खर्च में युवा वर्ग यहां का सदस्य बनकर रोजाना करीब 8 घंटे तक पूर्ण सुविधायुक्त माहौल में अध्ययन कर सकता है।
- पुस्तकालय को 70 लाख रुप ए खर्च कर पूर्णतया नया रंग-रूप प्रदान किया गया है। इस साल जनवरी में जीर्णोद्धार के बाद इसे आम पाठकों के लिए खोला गया।
- यहां आधुनिक मेज-कुर्सियों के साथ बड़ी सेंट्रल टेबल रखी गई है और मुख्य हॉल में सभी किताबों को नई अलमारियों में करीने से रखा गया है, ताकि उनका अवलोकन आसानी से किया जा सके।
- ऊपरी मंजिल पर दोनों बड़े कमरों में से एक को हाइटेक बनाया गया है। दूसरे कमरे में युवाओं को पढऩे की सुविधा मुहैया करवाई जा रही है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने वाले अभ्यर्थियों को यहां लॉकर्स की सुविधा भी है।
- भाषा और पुस्तकालय विभाग की ओर से संचालित पुस्तकालय में करीब 47 हजार पुस्तकें हैं। कोलकाता के राजा राममोहन राय पुस्तकालय की तरफ से सबसे ज्यादा किताबें मुहैया करवाई जाती है। यहां अनेक बहुमूल्य और प्राचीन पुस्तकें अध्ययन के लिए उपलब्ध हैं।
फैक्ट फाइल -
- 1961 में जैसलमेर में जिला पुस्तकालय की स्थापना
- 47 हजार पुस्तकें पाठकों के लिए उपलब्ध
- 70 लाख रुपए से पुस्तकालय का करवाया गया जीर्णोद्धार

पुस्तकें हमारी सच्ची साथी
पुस्तकों का अधिकाधिक अध्ययन करने की सीख देश और दुनिया के तमाम महापुरुषों ने हमें एक समान रूप से दी है। सही मायनों में पुस्तकें हमारे लिए सबसे अनमोल साथी होती हैं। इनमें जीवन की प्रत्येक कठिनाई का समाधान मिल सकता है। साथ ही यह व्यक्ति के चारित्रिक विकास का सर्वोत्तम साधन है। यह वास्तव में दुखदायी है कि आज के दौर में पुस्तकें पढऩे का शौक निरंतर कम होता जा रहा है।
- मोहनलाल पुरोहित, शिक्षाविद्

विषय की गहराई का ज्ञान
पुस्तकों का महत्व किसी भी युग में कम नहीं हो सकता। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं को भी पुस्तकों से ही विषय की गहराई का ज्ञान हो सकता है। यह ज्ञान उन्हें परीक्षाओं में निश्चित रूप से सफलता दिलाएगा।
- आनंद कुमार, व्याख्याता

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