>>: sanjeevani co operative society : शेखावत को आरोपी तो माना, गिरफ्तारी से रोक हटाने पर सरकार का जोर नहीं

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जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार को संजीवनी मल्टीस्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी प्रकरण में राज्य सरकार के प्रार्थना पत्र के उन तथ्यों को रिकॉर्ड पर ले लिया, जिनमें केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को आरोपी माना गया है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि सरकार के याचिका पर न्यायसंगत आपत्तियां उठाने के अधिकार इस आधार पर प्रभावित नहीं होंगे कि पूर्व में शेखावत के आरोपी नहीं होने का कथन किया गया था। हालांकि, राज्य ने शेखावत की गिरफ्तारी पर रोक के आदेश में दखल पर फिलहाल जोर नहीं दिया है।

न्यायाधीश कुलदीप माथुर की एकल पीठ में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री की याचिका में राज्य सरकार की ओर से पूर्ववर्ती आदेश में संशोधन को लेकर पेश प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई हुई। पूर्व में 13 अप्रेल को राज्य की ओर से कहा गया था कि संजीवनी मामले में अब तक की जांच में शेखावत आरोपी नहीं है, जबकि इसके तत्काल बाद राज्य ने अपने अधिवक्ताओं के कथन में संशोधन को लेकर प्रार्थना पत्र दायर किए थे। शेखावत ने अपनी याचिका में संजीवनी मामले की जांच सीबीआई से करवाने तथा अपनी गिरफ्तारी से सुरक्षा की याचना की थी, जिस पर कोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी से राहत प्रदान कर दी थी। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ अभिषेक मनु सिंघवी और सिद्धार्थ लूथरा ने वीसी के माध्यम से कहा कि 13 अप्रैल को जब इस मामले की सुनवाई की जा रही थी, तब वे वीसी के माध्यम से उपस्थित हुए थे, जबकि उनकी सहायता के लिए जांच अधिकारी व्यक्तिगत रूप से कोर्ट रूम में मौजूद थे। सिंघवी ने कहा कि अनजाने में बताया गया कि याचिकाकर्ता एसओजी द्वारा दर्ज की गई किसी भी प्राथमिकी में आरोपी नहीं है। जबकि तथ्यात्मक रूप से याचिकाकर्ता जांच एजेंसी द्वारा अब तक की गई जांच में आरोपी है। उन्होंने कहा कि उक्त बयान में त्रुटि का एहसास होने पर जोधपुर में राज्य के अधिवक्ता कोर्ट के समक्ष मामले का उल्लेख करने के लिए वापस पहुंचे, लेकिन तब तक अदालती कार्यवाही समाप्त हो चुकी थी। ऐसे में सही तथ्य को स्पष्ट करने के लिए मामले का उल्लेख नहीं किया जा सका।
राज्य की ओर से यह भी कहा गया कि चाहे गए स्पष्टीकरण से इस स्तर पर कोर्ट के शेखावत की गिरफ्तारी पर रोक संबंधी आदेश में कोई परिणामी परिवर्तन नहीं होगा। एकल पीठ ने राज्य के सभी तथ्यों को रिकॉर्ड पर लेते हुए स्पष्ट किया कि पूर्व का कथन राज्य सरकार की सभी न्यायोचित और कानूनी आपत्तियों को उठाने के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेगा। कोर्ट ने कहा कि सभी मामलों की सुनवाई पूर्व नियत 30 मई को होगी, तब तक अंतरिम आदेश प्रभाव में रहेगा।
अब आगे क्या, इसी पर सभी की निगाहें

संजीवनी मामले में नित नए मोड़ आ रहे हैं। पहले सीबीआई जांच और गिरफ्तारी से बचने के लिए केंद्रीय मंत्री शेखावत ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, वहीं इसके समानांतर एक नवगठित संजीवनी सोसायटी पीड़ित समिति ने सीबीआई जांच की गुहार लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। शेखावत को राज्य के अधिवक्ताओं के उस बयान पर कि फिलहाल जांच में शेखावत आरोपी नहीं माने गए हैं, 13 अप्रैल को राहत मिल गई। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने संजीवनी मामले की जांच सीबीआई को देने की मांग वाली याचिका मौखिक टिप्पणियों के साथ खारिज कर दी।

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