कोटा. रामगंजमंडी तहसील सहित कुंडाल क्षेत्र के गांवों में पीने का पानी उपलब्ध कराने वाली राणाप्रताप सागर पेयजल परियोजना से करीब तीन लाख से ज्यादा लोगों का सीधा जुड़ाव होने के बावजूद पेयजल योजना में प्राकृतिक रूप से कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं हो इसे लेकर विभागीय स्तर पर कोई ठोस प्रबंधन नहीं किया गया। जिसका खमियाजा जल उपभोक्ताओं को 23 साल से प्राकृतिक आपदा के समय जलापूर्ति बंद होने के रूप में भुगतना पड़ रहा है। योजना पर निरंतर बढ़ते दबाव के बावजूद निर्बाध जलापूर्ति बनी रहे और ग्रामीण व शहरी इलाके के लोगों को परेशानी नहीं झेलनी पड़े, इस मामले में विभाग की तरफ से कोई प्रपोजल नहीं बने। जनप्रतिनिधियों ने भी इस मामले को विधानसभा में उठाकर सरकार को जगाने का प्रयास नहीं किया।
राणा प्रताप सागर से जब रामगंजमंडी, सुकेत, सातलखेड़ी सहित करीब 14 गांवों के लिए पेयजल योजना बनी तो जुगाड़ वाले पम्प से बिना शोधित जलापूर्ति वर्ष 2000 में शुरू हुई। योजना का भराव क्षेत्र आम्बाकुई बनाया गया। आम्बाकुई में पेयजल योजना के पम्प चालू करने के लिए बिजली पहले मध्यप्रदेश के गांधी सागर से उपलब्ध कराई जाने लगी, लेकिन इसमें परेशानी आने पर योजना को रावत भाटा आरएपीपी से जोड़ दिया, जिसकी दूरी योजना के भराव क्षेत्र से करीब पच्चीस किलोमीटर है। पेयजल योजना जब शुरू हुई तो पच्चीस किलोमीटर दूर जंगल से होकर आने वाली विद्युत लाइन तेज अंधड़ व हवाओं से विद्युत पोल व तार टूटने से अक्सर बाधित होती थी।
पेयजल योजना का स्वरूप बढ़ाया
भाजपा शासन में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 14 गांव की पेयजल योजना का स्वरूप बढ़ाते हुए रामगंजमंडी तहसील के 142 गांव, कुंडाल व भवानी मंडी के क्षेत्र के गांवों को जोड़ते हुए सवा दो सौ गांव की पेयजल योजना का नाम रामगंजमंडी पचपहाड करते हुए करोड़ों की राशि योजना पर व्यय की, लेकिन जंगल से आने वाली विद्युत लाइनों का स्थाई समाधान नहीं किया।
कांग्रेस भाजपा ने नहीं ली सुध
इस पेयजल योजना को शोधित जलापूर्ति कांग्रेस शासन में पूर्व मंत्री रामकिशन वर्मा के समय शुरू हुई थी जो पेयजल योजना के बड़े स्वरूप के बाद भी जारी है लेकिन बीते बीस सालों में रामगंजमंडी का प्रतिनिधित्व करने वाले जनप्रतिनिधि प्राकृतिक आपदा से पेयजल योजना का पानी बाधित होने की समस्या का स्थाई समाधान कराने में विफल साबित हुए है।
हर साल बंद होती है योजना
- वर्तमान में इस योजना से भवानी मंडी को जलापूर्ति नहीं होती। रामगंजमंडी तहसील व कुंडाल क्षेत्र के गांवों को योजना से जलापूर्ति होती है। जल जीवन मिशन में घर घर पानी पहुंचाने का मुख्य स्त्रोत इस योजना को बनाया हुआ है। अभी जो हालत है उसमे योजना के चार उच्च क्षमता के पम्प से पानी 24 घंटे लिया जाता है तब जाकर रामगंजमंडी व ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति होती है।
एक माह में पंद्रह दिन जलापूर्ति बाधित
पेयजल योजना के मुख्य स्त्रोत आम्बाकुई में मई में करीब पंद्रह बार पेयजल योजना विद्युत लाइन में फाल्ट आने से योजना के पम्प बंद होने के रूप में सामने आ चुकी है। 48 घंटे में मिलने वाला पानी जब लोगों को 72 घंटे में मिलने लगता है तो लोगों की बेचैनी बढ़ जाती है।
भूमिगत बिछे विद्युत लाइन तो मिटे समस्या
पेयजल योजना के आम्बाकुई में जीएसएस पर आरएपीपी से होकर आने वाली विद्युत लाइन जंगल से होकर गुजर रही है। जहां पेड़ों के कारण अक्सर तेज हवाएं चलती हैं। अंधड़ के समय यहां बिजली के तार टूटने विद्युत पोल धराशायी होने से बिजली बंद होने व फाल्ट से विद्युत आपूर्ति में व्यवधान की अक्सर शिकायत रहती है, जिसका स्थाई समाधान भूमिगत विद्युत केबल डालकर किया जा सकता है, लेकिन इस मामले में विभाग की तरफ से प्रपोजल नहीं बनाए, जनप्रतिनिधि भी उदासीन हैं।
आती है परेशानी क्या करें
सहायक अभियंता ने बताया कि जब भी मौसम बिगड़ता है तो अक्सर विद्युत फाल्ट आने से योजना के पम्प बंद हो जाते है, जिसका सीधा असर जलापूर्ति बाधित होने के रूप में सामने आता है। मई माह में पंद्रह बार बिजली के व्यवधान से योजना बंद हो चुकी है। जल जीवन मिशन से घर घर पानी पहुंचाने की स्कीम के बाद प्राकृतिक प्रकोप से योजना बंद होगी तो विभाग के समक्ष परेशानी ज्यादा बढ़ जाएगी।