>>: अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ रही बचाव के लिए जागरूकता जरूरी

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अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ रही बचाव के लिए जागरूकता जरूरी
-सामान्य अस्पताल में 15 से 20 मरीज प्रतिदिन इलाज के लिए आ रहे

अलवर. जिले में अस्थमा के रोगी लगातार बढ़ रहे हैं। इससे सामान्य अस्पताल के श्वसन रोग विभाग एवं टीबी अस्पताल की ओपीडी में रोगियों की संख्या बढ़ी है। जानकारों के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर के बाद अस्थमा के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में बीमारी की पहचान कर समय पर इलाज कराना बेहद जरूरी है। ताकि अस्थमा पर नियंत्रण किया जा सके।

बीमारी बढऩे का कारणअस्थमा एक दीर्घकालिक सांस से जुड़ी बीमारी है, जिसमें फेफड़ों की संास की नलियों में सूजन आ जाती है। इसके काराण सांस की नलियां सिकुड़ जाती है और फेफड़े अतिसंवेदनशील हो जाते हैं। ऐसे में धूल, ठंड, पराग, जानवरों के फर, वायरस एवं वायु प्रदूषण अस्थमा अटेक का कारण बनते हैं। वहीं अस्थमा होने पर आमतौर पर बार-बार छाती में जकडऩ, सांस लेने में दिक्कत एवं खांसी की शिकायत होती है। इसके साथ ही बच्चों में अस्थमा होने पर रात्रि व सुबह के समय लगतार खांसी रहती है।

समय पर इलाज जरूरीअस्थमा पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकता है, लेकिन इसे नियंत्रित करके सक्रिय जिंदगी को जिया जा सकता है। हालांकि अस्थमा को नियंत्रित करने के लिए बाजार में कई तरह की थेरेपी व दवाइयां मौजूद हैं, लेकिन दुनिया भर में इंहेलेशन थेरेपी को सबसे बेहतरीन व सुरक्षित माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार इंहेलेशन थेरेपी में दवाई का डोज सीधे फेफड़ों में पहुंचता है और तुरंत असर करता है। यही नहीं टेबलेट व सिरप की तुलना में इंहेलेशन थेरेपी में 20 गुना कम दवा की जरूरत होती है। इसकी जांच पीक-फ्लो मीटर एवं स्पाइरोमेट्री

से आसानी से की जा सकती है।

चिकित्सक की सलाह अवश्य लें

अस्थमा एक गंभीर बीमारी है, विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया में लगभग 26 करोड़ लोग अस्थमा से पीडि़त हैं।अस्थमा के शुरूआती लक्षण दिखाई देने पर चिकित्सक की सलाह से जांच करा कर समय पर इलाज लिया जाए तो इसे नियंत्रित कर एक आम इंसान की तरह सक्रिय व स्वस्थ्य जीवन जीया जा सकता है।

-डॉ. कपिल भारद्वाज, प्रभारी, टीबी अस्पताल।

जागरूकता जरूरी

वर्तमान में 100 में से करीब 3 से 4 प्रतिशत लोग अस्थमा से पीडि़त हैं। वहीं सामान्य अस्पताल में प्रतिदिन 15 से 20 अस्थमा के रोगी इलाज के लिए आ रहे हैं। ऐसे में बीमारी को लेकर सावधानी जरूरी है। यदि अस्थमा का समय पर इलाज लिया जाए तो बीमारी गंभीर रूप नहीं लेगी।

-डॉ. विष्णु गोयल, विशेषज्ञ, सामान्य अस्पताल

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