>>: पाली में न्यायिक अ​धिकारियों ने किया ऐसा

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पाली। राजस्थान राज्य न्यायिक अकादमी के तत्वावधान में नगर परिषद सभागार में पाली, जालोर व सिरोही जिले के न्यायिक अधिकारियों की कार्यशाला का आयोजन किया गया। Rajasthan High Court के न्यायाधीश सुदेश बंसल की अध्यक्षता में दांडिक मामलों में अभियुक्त को नियमित जमानत, अंतरिम व अस्थायी जमानत, अग्रिम जमानत देने के विधि सिद्धांतों, जमानत के प्रभाव, सह अभियुक्त को जमानत देने के प्रभाव आदि पर मंथन किया गया। किसी अभियुक्त की जमानत कब निरस्त की जा सकती है। अग्रिम जमानत कितने समय तक प्रभावी रहती है। किसी अन्य प्रकरण में अभिरक्षा में होने पर दूसरे प्रकरण में अग्रिम जमानत स्वीकार किए जाने योग्य होने व चालान पेश नहीं होने पर दी गई जमानत के संवैधानिक अधिकार, इसके बाद प्रक्रम पर निरस्त करने के सिद्धांतों पर मंथन किया गया।
कार्यशाला में न्यायालय की ओर से किसी वाद के चलने योग्य होने, पूर्व न्याय, न्यायालय फीस, वाद मूल्यांकन के बिन्दुओं को प्रारंभिक रूप में तय करने, पक्षकारों की ओर से सभी बिंदुओं पर साक्ष्य पेश करने के बाद भी कब प्रारंभिक व विधिक बिन्दुओं को पहले तय किया जा सकता है सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई।

सामंजस्य बैठाकर कार्य करने की सीख
न्यायाधीश बसंल ने कहा कि वर्तमान में न्यायिक अधिकारियों का कार्यभार काफी बढ़ गया है। न्यायिक अधिकारियों को सामंजस्य बैठाकर कार्य करना चाहिए। इसका कारण यह है कि न्यायालय के पक्षकारों, अधिवक्ताओं के लिए न्यायाधीश सर्वेसवोZ होता है। न्यायिक अकादमी की ओर से आयोजित कार्यशालाओं से ज्ञान में वृदि्ध होती है। उन्होंने न्यायिक अधिकारियों को श्रेष्ठ पुस्तकों का अध्ययन करने का सुझाव दिया। इस मौके जिला एवं सेशन न्यायाधीश पाली एमआर सुथार, जिला एवं सेशन न्यायाधीश सिरोही रूपा गुप्ता, जिला एवं सेशन न्यायाधीश जालोर हारून के साथ तीनों जिलों के 59 न्यायिक अधिकारियों ने भाग लिया। संचालन विशिष्ठ न्यायाधीश विश्वबंधु व एसीजेएम वैदेहीसिंह ने किया।

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