जैसलमेर. जैसलमेर क्षेत्र में उद्योग के नाम पर पर्यटन के अलावा एकमात्र दूसरे पत्थर उद्योग को अवैध खनन का रोग बुरी तरह से जकड़े हुए है। बीते लम्बे अर्से से जैसलमेर मुख्यालय के आसपास के गांवों के अलावा दूरदराज के क्षेत्रों में जहां भी पीला पत्थर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, उसे भारी मशीनरी लगा कर अवैध रूप से निकाल कर बाजार में बेचा जा रहा है। इस काम में छोटी मछलियों के अलावा कई बड़ी मछलियां ही नहीं मगरमच्छ भी शामिल हैं। ऐसा करने वालों पर रसूखदारों का वरदहस्त बदस्तूर कायम है। जिसके कारण जिम्मेदार उनके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने से कतराते हैं और यदा-कदा कोई अधिकारी ऐसा करने का साहस दिखाता भी है तो उसे यहां टिकने नहीं दिया जाता। वैसे अवैध खनन कहां-कहां पर हो रहा है और उसके पीछे कौनसे बड़े चेहरे हैं, इस सबकी सारी जानकारियां खनन विभाग के पास बताई जाती हैं लेकिन कार्रवाई करने में उनकी इच्छाशक्ति जवाब दे जाती है। माना जाता है कि अवैध खनन के काम को निर्बाध ढंग से चलने देने की एवज में जिम्मेदारों को 'खुश' और 'संतुष्ट' कर दिया जाता है।
हकीकत: यहां अवैध खनन परवान पर
-जिला मुख्यालय के समीप मूलसागर क्षेत्र में पीले पत्थर का सर्वाधिक अवैध खनन किया जा रहा है। इसका कारण यह है कि मूलसागर क्षेत्र में मार्बल की श्रेणी का पीला पत्थर निकलता है। जिसकी कीमत जेठवाई या अन्य क्षेत्रों में निकाले जाने वाले पत्थर की तुलना में करीब तीन गुना अधिक है। मसलन मूलसागर का पत्थर 1500 से 2000 रुपए प्रति टन के भाव बिकता है जबकि जेठवाई का पत्थर गुणवत्ता के हिसाब से 500 से 1000 रुपए प्रति टन में बिकता है। मूलसागर के पत्थर पर रॉयल्टी करीब 300 रुपए प्रति टन है, वहीं जेठवाई व उसी श्रेणी के अन्य जगहों के पत्थर पर यह 170 रुपए प्रति टन वसूली जाती है। मूलसागर क्षेत्र में गत दिनों अवैध खनन के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई किए जाने के बाद खनि अभियंता को एपीओ करने की भी बहुत चर्चा रही।
न कोई रोकने वाला, न टोकने वाला
-मूलसागर के अलावा वायुसेना स्टेशन की 900 मीटर की परिधि में आने वाले जियाई में अवैध खनन धड़ल्ले से किया जा रहा है।
-इसके अलावा अमरसागर, बड़ाबाग, जाजिया और चूंधी तक के क्षेत्रों में धरती के गर्भ से अवैध रूप से पीला पत्थर निकाले जाने की प्रक्रिया अंधाधुंध ढंग से चल रही है।
-अवैध खननकर्ता अपने मालिकाना भूमि के आसपास की सरकारी जमीन से पत्थर निकाल कर उसे खोखला बना रहे हैं।
-इसके चलते इन क्षेत्रों में जमीन पर बड़े-बड़े 'घाव' बन गए हैं। अमरसागर और उसके आसपास के क्षेत्रों में विगत सालों के दौरान पहाडिय़ों को खोखला किया जा चुका है। -जगह-जगह खुदाई किए जाने से बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं। इसके चलते रियासतकालीन अमरसागर तालाब में अब तेज बारिश में भी बहुत कम पानी पहुंच पाता है।
बाड़ ही खेत को खाए
-अवैध खनन के गोरखधंधे को राजनीतिक रूप से कद्दावर लोगों की तरफ से शह दिए जाने के कारण यह मर्ज लाइलाज बना हुआ है।
-इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के जनप्रतिनिधि भी बेधडक़ इस काम में जुटे होने से अवैध खननकर्ताओं को रोकने वाला कोई नहीं दिखता।
-जब कभी उनके आपसी हित टकराते हैं, तब ही वे लोग खान विभाग या प्रशासन तक शिकायतें पहुंचाते हैं।
-अवैध खनन के कारोबार के खिलाफ यदा-कदा काईवाइयां बीते समय में की गई है।
-गत दिनों हिटाची जैसी भारी भरकम मशीनरी व पत्थर परिवहन करने में काम आने वाले ट्रक मौके पर से जब्त किए गए।
-कार्रवाइयों में खनन विभाग के साथ प्रशासन व पुलिस भी साथ रहा।
-एकाधिक कार्रवाइयां यूआइटी की पहल पर भी हुई लेकिन अधिकांश समय जिम्मेदार इस समस्या की तरफ से आंखें ही मूंदे रहते हैं।
-पत्थर के अलावा जैसलमेर शहर व उसके ग्रामीण क्षेत्रों में बजरी व रेत का अवैध खनन करने का धंधा भी बेरोकटोक किया जा रहा है।
प्रभावी कार्रवाई करेंगे
मुझे दो दिन पहले कार्यभार सौंपे जाने के आदेश हुए हैं। इसकी पालना में गुरुवार को कार्यभार ग्रहण करूंगा। जैसलमेर में जहां से भी अवैध खनन किए जाने की सूचना मिलेगी, वहां टीम भिजवा कर प्रभावी ढंग से कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
- भगवानसिंह भाटी, खनि अभियंता, खान विभाग जैसलमेर