>>: नाले में तब्दील हो रही ऐतिहासिक बरसाती नदियां

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पोकरण. सरकार की ओर से नदियों, तालाबों, जलस्त्रोतों के रख रखाव को लेकर करोड़ों रुपए खर्च कर अभियान व कार्यक्रम चलाए जा रहे है। जबकि कस्बे में वर्षों पुरानी बरसाती नदियां अनदेखी का दंश झेलकर अपने अस्तित्व को खत्म होते देख रही है। वर्षों पूर्व साफ पानी को लेकर पहचान रखने वाली नदियां बीते कुछ वर्षों में गंदे पानी के नाले बहकर रह गए है। जिसके कारण नदियों के आसपास निवास कर रहे लोगों का गंदगी व दुर्गंध के कारण जीना दुभर हो गया है तो जिस जगह पानी जमा हो रहा है, वहां जमीन का उपजाऊपन भी खत्म हो रहा है। जबकि जिम्मेदार कोई ध्यान नहीं दे रहे है। जानकारी के अनुसार कस्बे में दो बड़ी व वर्षों पुरानी नदियां है, जो बारिश के दौरान अपने पूरे वेग के साथ चलती है। बीलिया व तोलबेरा नदी का इतिहास वर्षों पुराना है। बारिश के दौरान दोनों नदियां पूरे वेग से चलती है और तालाबों में पानी एकत्रित होता है। साथ ही तोलाबेरा नदी का पानी कस्बे के पास स्थित रिण क्षेत्र में जमा होता है। वर्षों पूर्व रिण क्षेत्र में नमक उत्पादन होता था। यही नहीं नदियों का पानी जगह-जगह गड्ढ़ों में जमा हो जाने पर 3 से 4 माह तक पशुओं के लिए भी काम आता था। जिससे उन्हें राहत मिलती थी।
ये है दो बड़ी नदियां
बीलिया नदी - यह नदी बीलिया गांव के पास से शुरू होती है, जो गांव की आबादी के पीछे से होते हुए आशापुरा मंदिर के पीछे, खींवज मंदिर के पास से, आशापुरा-खींवज रोड को पार कर मालियों का बास, महेशानंद महाराज के आश्रम के पीछे से होकर सालमसागर तालाब पहुंचती है। इस तालाब के ओवरफ्लो होने पर पानी तोलबेरा नदी में जाता है।
तोलाबेरा नदी - इस नदी के उद्गम स्थल दो है, पहला रामदेवसर तालाब व आगोर और दूसरा उत्तर की तरफ स्थित पहाड़ी क्षेत्र। सालमसागर व रामदेवसर तालाब का ओवरफ्लो पानी एवं आगोर का पानी जैसलमेर-रामदेवरा रोड, रामदेव कॉलोनी, मदरसे के सामने होते हुए तोलाबेरा नदी में मिलता है। पहाड़ी से पानी ढलकता हुआ रामदेव कॉलोनी से सीधे तोलाबेरा नदी में आता है। तोलाबेरा नदी का पानी रिण क्षेत्र में पहुंचता है।
पहले छोड़ी सीवरेज, अब जमा हो रहा गंदा पानी
कस्बे के बीलिया नदी में महेशानंद महाराज के आश्रम के पास कुछ वर्ष पूर्व सीवरेज लाइनें छोड़ी गई थी। इसके बाद कुछ माह पूर्व यहां नालियों का पानी भी आने लगा। घरों से निकलना गंदा पानी व सीवरेज का गंदा पानी जमा होने से नदी में गंदगी व कचरे के ढेर लगे है। बारिश के दौरान यही पानी सालमसागर तालाब में जमा होता है। जिससे साफ पानी भी दुषित हो जाता है।
नदी में बह रही नालों की गंदगी
कस्बे के चांदप्रोल, पुरोहितों की गली, सामलसागर तालाब के पास से एक नाला निर्माण करवाया गया है। यह नाला वार्ड संख्या 1 होते हुए मदरसे के पास खुला हुआ है। इस नाले से गंदगी, कचरा, मलबा आदि बहकर तोलाबेरा नदी में जा रहा है। यह नदी पूरी तरह से गंदगी से सनी पड़ी है। बारिश के दौरान साफ पानी भी नदी में मिलकर दुषित हो जाता है। जिसे रोकने की कोई जहमत नहीं उठा रहा है।
जमीन हो रही बेकार
नदियों का पानी पूर्व में लोग पीने के उपयोग में लेते थे, लेकिन अब हालात यह है कि दुर्गंध व गंदगी के कारण नदियों के पास खड़े होना भी मुश्किल हो गया है। इसके अलावा नदियों का पानी कस्बे के उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित खेतों में जमा हो जाता है। जिससे उस जमीन का उपजाऊपन भी खत्म हो रहा है।
लग गई बबूल की झाडिय़ां
बीलिया व तोलाबेरा नदी के जल बहाव क्षेत्रों में घनी बबूल की झाडिय़ां लग गई है। जिसके कारण गंदगी बढ़ रही है। झाडिय़ों के कारण यहां कचरा भी जमा हो रहा है। साथ ही मच्छरों की तादाद बढऩे से आसपास निवास कर रहे लोगों को परेशानी हो रही है। इसके अलावा बीमारियां फैलने का खतरा भी बढ़ गया है।

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